आर्थिक पैकेज की 5वीं किस्त- मनरेगा, शिक्षा, बिजनेस, कंपनी एक्ट और राज्य सरकारों के रिसोर्स पर घोषणाएं

आत्मनिर्भर राहत पैकेज पर वित्त मंत्री का आखिरी प्रेस कॉन्फ्रेंस

सरकार ने पूरे 20 लाख करोड़ से अधिक का दिया हिसाब

नई दिल्ली :कोरोना संकट के चलते लॉकडाउन में घरों को लौट रहे मजदूरों को उनके गांव के आसपास और राज्य के भीतर ही रोजगार मुहैया कराने को केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना में 40 हजार करोड़ रुपए के अतिरिक्त बजट का ऐलान किया है।
वित्त मंत्रे न कहा कि आत्म निर्भर भारत बनाने के लिए कई सुधार किए जा रहे हैं। इसी दिशा में मनरेगा के साथ ही स्वास्थ्य एवं शिक्षा, कारोबार, कंपनी अधिनियम को गैर आपराधिक बनाने, कारोबार को सुगम करने और सार्वजनिक उपक्रमों की नीतियों में भी जरूरी बदलाव का फैसला लिया गया है। इन बदलावों से रोजगार, स्वरोजगार, कारोबार और आविष्कार को बढ़ावा मिलेगा।

राज्यों की कर्ज सीमा बढ़ी

केंद्र सरकार की ओर से उन्हें भी मदद दी जा रही है। उन्होंने बताया 46,038 करोड़ रुपये राज्यों को दिए गए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के जरिए राज्यों को कोरोना से लड़ने के लिए 4113 करोड़ रुपये दिए गए हैं और 12390 करोड़ रुपये राजस्व घाटा ग्रांट समय पर राज्यों को दिए गए हैं। इसके साथ ही 11092 करोड़ रुपये राज्य आपदा फंड में दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि केंद्र ने राज्यों को जीडीपी के पांच फीसद के बराबर कर्ज उठाने (ओवर ड्राफ्ट) की भी मंजूरी दी है।

निजी क्षेत्रों के लिए खोले गए सभी सेक्टर

पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज पॉलिसी में भी बदलाव किया जा रहा है। इसके तहत सभी सेक्टस्र को निजी क्षेत्र के लिए खोला जाएगा। इसके लिए एक नई नीति लाई जाएगी। उन्होंने कहा कि स्ट्रैटजिक पब्लिक सेक्टर अधिसूचित की जाएंगी जिसमें कम से कम एक पब्लिक सेक्टर कंपनी बनी रहेगी। लेकिन निजी क्षेत्र को भी इस सेक्टर में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि खर्च घटाने के लिए अन्य कुछ सेक्टर्स में सार्वजनिक उपक्रमों का आपस में विलय से लेकर उनके निजीकरण करने जैसे भी फैसले आगे चल कर लिए जाएंगे।

दिवालियापन की कार्रवाई पर एक साल की रोक

वित्त मंत्री ने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम (एमएसएमई) उद्योगों को उबारने और पटरी पर लाने के लिए जहां उसकी परिभाषा में बदलाव किया गया है, वहीं उन पर दीवालिया प्रक्रिया में भी रियायत देने का फैसला लिया गया है। इसके तहत जहां 1 लाख से बढ़ा कर 1 करोड़ रुपये इसकी सीमा कर दी गई है, वहीं कोरोना संकट को देखते हुए फिलहाल अगले एक साल तक किसी भी इकाई के खिलाफ दीवालिया प्रक्रिया शुरू नहीं करने का फैसला लिया गया है। इसके अलावा छोटी चूक पर आपराधिक कार्रवाई न हो, इसके लिए सात कानूनों में भी बदलाव किया गया गया है। कुछ धाराओं को ड्राप कर दिया गया है। साथ ही कंपाउंडेबल अफेंसिव में भी बदलाव किया गया है।

ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य केंद्रों को बेहतर बनाना

वित्त मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार ने कई अहम फैसले लिए हैं। शहर के साथ-साथ ग्रामीण स्तर पर भी स्वास्थ्य सेवाएं दुरुस्त की जाएंगी। इसके तहत अब जिला स्तर पर वेलनेस और हेल्थ सेंटर में सभी बुनियादी ढांचा दुरुस्त किए जाएंगे। संक्रामक रोगों के इलाज की व्यवस्था बनाई जाएगी और ब्लॉक स्तर पर टेस्टिंग लैब की स्थापना की जाएगी। इसके लिए केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यय बढ़ाने का फैसला लिया है।

शिक्षा के क्षेत्र में जरूरी बदलाव

उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में भी कई जरूरी बदलाव किए जा रहे हैं। वन क्लास, वन चैनल योजना के तहत क्लास 1 से 12 तक अलग-अलग डेडीकेटेड चैनल शुरू किए जा रहे हैं। इसके साथ ई-विद्या कार्यक्रम के जरिए ई-क्लासेस शुरू करने का फैसला लिया गया है। विकलांग विद्यार्थियों के लिए ई-कंटेट तैयार किए जा रहे हैं। इसके अलावा देश के टॉप 100 विश्‍वविद्यालयों को भी ऑन लाइन क्लासेस शुरू करने की मंजूरी दी गई है। उन्होंने बताया कि कोरोना संकट के चलते लॉककडाउन में सबसे ज्यादा बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ा है। इसके मद्देनजर बच्चों को मनोवैज्ञानिक इलाज के लिए विशेषज्ञ मुहैया कराने में सहयोग करने का फैसला लिया है।

कंपनीज ऐक्ट का गैरआपराधिकरण

छोटे तकनीकी और प्रक्रियात्मक चूक को आपराधिक सूची से हटा दिया जाएगा। पहले इसे आपराधिक रूप में देखा जाता था। जैसे सीएसआर रिपोर्टिंग में कोई कमी रह गई या बोर्ड रिपोर्ट में छोटी मोटी कमी रह गई, फाइलिंग के समय डिफॉल्ट हो गया, एजीएम में देरी हो गई… इन सबको आपराधिकरण की सूची से हटा दिया गया है। इससे न्यायालयों पर भी दबाव कम होगा। 7 कंपाउडेबल ऑफेंस को खत्म कर दिया गया है। निजी कंपनियां अब विदेशों में शेयरों को सीधे सूचीबद्ध करा सकती हैं। यह भारतीय कंपनियों के लिए बड़ी घोषणा है।

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