इतिहास में पहली बार नहीं होगा श्रावणी मेले का आयोजन, नहीं होगी कांवड़ यात्रा

लाखों भक्तों के भक्तिमय जलाभिषेक से वंचित रहेंगे तारकेश्‍वर के भोलेनाथ

हुगली : वैश्‍विक महामारी से सम्पूर्ण भारत मे हाहाकार मचा है भले ही अनलॉक वन के साथ जरूरी परिसेवा को पुनः चालू कर दिया गया। लेकिन धार्मिक आयोजन पर अब भी प्रतिबंध लगा है। वजह कोरोना का बढ़ता संक्रमण। सामूहिक आयोजन पर पूरी तरह से रोक लगाई गई। प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 31 जुलाई तक के लिये लॉक डाउन की घोषणा की। रथयात्रा के बाद कोरोना का काला साया कावड़ यात्रा पर भी पड़ा है। गुरु पूर्णिमा के दिन से ही सावन महीने का शुभारंभ होता है और इस दिन से ही बंगाल व अन्य प्रान्त से आने वाले लाखों की तादात में कांवड़िये सेवड़ाफुली पहुचते हैं, वहां से निमाई तीर्थ घाट से आस्था की डुबकी लगाने के बाद पौराणिक शिवालय तारकेश्‍वर धाम की तरफ कूच करते हैं। पूरा इलाका भोले के भक्तों से पट जाता है और भोले नाथ के जयकारे गूंजने लगते हैं। साथ ही कावड़ियों के आने से सेवड़ाफुली से लेकर तारकेश्‍वर धाम तक दुकानदारों की कमाई का साधन भी जुटता है लेकिन इस बार सावन सूखा ही जायेगा। कोरोना के बढ़ते प्रकोप के वजह से कावड़ यात्रा फिलहाल स्थगित कर दी गई है। न होगी कावड़ यात्रा न ही लगेगा श्रावणी मेला। कुल मिलाकर भगवान भोलेनाथ को भी अपने भक्तों के श्रद्धा भरे जल से स्नान करने का मौका नही मिलेगा। तारकेश्‍वर मंदिर के प्रमुख पुजारी महंत महाराज ने बताया कि कोरोना का संक्रमण जिस तेजी से फैल रहा है, इसे देखते हुए कावड़ यात्रा को स्थगित करने का निर्णय लिया गया है। सावन महीने में लाखों की तादात में कावड़िये जलाभिषेक के लिए आते हैं। इन दिनों पूरा देश महामारी की चपेट में है। ऐसे में लोगों की सुरक्षा भी बेहद जरूरी है। हालांकि तारकेश्‍वर मंदिर में सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क के नियमों का पालन करके चोंगे के माध्यम से जलाभिषेक किया जा सकता हैं। सरकारी निषेधाज्ञा को मानते हुए सीमित संख्या में ही भक्तों को प्रवेश करने दिया जा रहा है। गर्भगृह दर्शन की अनुमति अभी नहीं दी गई है।

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