नयी दिल्ली: गंगा में पाई जाने वाली डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलप्राणी घोषित किए जाने के दस साल बाद शनिवार को प्रधानमंत्री ने इस प्रजाति के संरक्षण के लिए परियोजना शुरू करने की घोषणा की।
‘बाघ परियोजना’ और ‘हाथी परियोजना’ की भांति ‘डॉल्फिन परियोजना’ का उद्देश्य स्तनपायी जलचरों का संरक्षण करना है।
पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार परियोजना के तहत इन जीवों का संरक्षण किया जाएगा और नदी के पास रहने वाली जनसंख्या को सशक्त बनाया जाएगा ताकि प्रदूषण कम किया जा सके तथा वैज्ञानिक तरीकों से मत्स्यपालन और आजीविका के अन्य साधन उपलब्ध हो सकें।
भारत के 74वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम संबोधन में मोदी ने कहा, “गंगा में पाई जाने वाली और समुद्री डॉल्फिन के संरक्षण के लिए हम ‘डॉल्फिन परियोजना’ की शुरुआत करेंगे।”
मंत्रालय ने कहा कि पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के नेतृत्व में इस परियोजना की अवधि दस साल की होगी।
गंगा में पाई जाने वाली डॉल्फिन मीठे पानी में पाई जाने वाली डॉल्फिन की एक प्रजाति है जो भारत, बांग्लादेश और नेपाल में गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों में पाई जाती है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भारतीय नदियों में इन डॉल्फिन की संख्या 3700 के करीब है।
गंगा में पाई जाने वाली डॉल्फिन को वर्ष 2010 में राष्ट्रीय जलप्राणी घोषित किया गया था।
गंगा में पाई जाने वाली डॉल्फिन के संरक्षण के लिए शुरू होगी परियोजना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
