कोरोना के बीच अस्पताल में भर्ती नहीं होने और पत्नी – बेटे के बीमारी से तंग आकर उठाया कदम?
ठाकुरपु़कुर इलाके की घटना
कोलकाता, समाज्ञा : पति और बेटा पहले से बीमार है। फिर वह खुद बीमार पड़ गया। आर्थिक तंगी की मार वह झेल रहा था। वहीं बीमार होने के बाद भी आरोप है कि अस्पताल में वह भर्ती नहीं हो सका। कोरोना संदेह के कारण उसे भर्ती नहीं लिया गया। इसके बाद से वह और ज्यादा अवसाद ग्रस्त हो गया और उसने पूरे परिवार सहित खुदकुशी का रास्ता चुन लिया। घर की दीवार पर चोक से हम तीनों मर चुके हैं लिखकर जहर खाकर खुदकुशी कर ली। घटना ठाकुरपु़कुर थानांतर्गत सत्यनारायण पल्ली इलाके की है। मृतकों की शिनाख्त गोविंद कर्मकार (80), रानू कर्मकार (73) और बूला कर्मकार (49) के रूप में हुई है। बूला बचपन से विकलांग था दरअसल, उसका बायां हिस्सा पैरालिसिस था। पुलिस ने बताया कि मंगलवार की सुबह पड़ोसियों ने देखा कि घर का दरवाजा काफी देर हो जाने के बाद भी नहीं खुला है। इसके बाद ठाकुरपु़कुर थाने की पुलिस को सूचना दी गई। सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची और दरवाजा तोड़कर भीतर घुसी तो उनके भी होश उड़ गए। दीवार पर चोक से हम तीनों मर चुके है लिखा हुआ पाया और बगल में ही गोविंद अचेत हालत में पड़ा था। वहीं बिस्तर पर पत्नी रानू और बेटा बूला का शव पड़ा हुआ था। घटना की सूचना पाकर डीसी (बेहला) निलांजन विश्वास भी मौके पर पहुंचे। घटनास्थल से पुलिस को जहर वाला एक कप और एक सुसाइड नोट मिला है। डीसी का कहना है प्राथमिक जांच में यह खुदकुशी का मामला लग रहा है। फिलहाल, मामले की जांच की जा रही है।
गोविंद ने जहर के कप के बगल में लिखा था इसमें जहर है, हाथ न लगाए
घर के फर्श पर पुलिस को एक चाय का कप मिला। बहुत ही अजीब बात यह रही कि उस कप के बगल में ही गोविंद ने चोक से लिखा था कि इसमें जहर है, हाथ ना लगाए। उसके इस तरह से लिखने से जांच अधिकारियों का मानना है कि गोविंद दूसरे को अलर्ट करना चाहता था। ताकि उनके मरने के बाद कोई इस कप को ना छुए।
पड़ोसियों का आरोप अस्पताल में भर्ती नहीं होने से गोविंद हो गया था दुःखी
बेटे के बाद पत्नी का भी दाहिना भाग पैरालिसिस हो गया था। बेटे और पत्नी की सारी जिम्मेदारी 80 वर्षीय गोविंद के ऊपर आ गई थी। उसकी जीविका कारखाने में काम करके चलती थी लेकिन लॉक डाउन में वह भी बंद हो गई थी। इसके बाद ही वह किसी तरह गुजारा कर रहा था लेकिन उसने किसी के सामने हाथ नहीं फैलाई। उसके पड़ोसियों ने आरोप लगाया कि वह पहले से ही आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। वहीं इस बीच गोविंद की तबीयत खराब हो गई। गत रविवार को वह बाजार गया था और वहीं अस्वस्थ होकर गिर गया। इसके बाद उसे विद्यासागर अस्पताल ले जाया गया। वहां उसकी प्राथमिक चिकित्सा की गई लेकिन उसे कोरोना के संदेह में भर्ती नहीं लिया गया। पड़ोसियों का आरोप है कि इलाज के अभाव और अस्पताल में भर्ती नहीं होने से दुःखी गोविंद ने यह रास्ता चुन लिया। हालांकि इस मामले में पुलिस सूत्रों का कहना है कि लोगों ने पुलिस से एम्बुलेंस मांगी थी, जिसका पुलिस ने प्रबंध कर दिया। अब अस्पताल की क्या भूमिका है, इसको लेकर शिकायत मिलने पर जांच की जाएगी।
बांग्ला भाषा में लिखे सुसाइड नोट में मिले कई तथ्य
पुलिस सूत्रों ने बताया कि घटनास्थल से एक सुसाइड नोट मिला है जो बांग्ला भाषा में लिखा गया है। उस सुसाइड नोट में गोविंद ने लिखा है कि मेरी पत्नी और बेटा को पैरालिसिस है। मैं भी बीमार हूं। इसलिए हमलोग खुदकुशी कर रहे हैं। हमारी मौत के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है। मैं तपन से अनुरोध कर रहा हूं अगर अरविंद उसका घर लेना चाहता है तो उसे दे दिया जाए। घर के दाहिने ड्रावर में घर की दलील है। मेरा बैंक का पासबुक नहीं मिल रहा है जिसके कारण मैं भुगतान नहीं कर पाया। उनका अंतिम संस्कार नहीं किया जा सकता है। पड़ोसियों ने बहुत मदद की है