कोलकाता: पश्चिम बंगाल में कोविड-19 से हुई मौतों की संख्या को लेकर विवाद और जांच के लिए समिति गठित करने की मांग के बीच राज्य सरकार ने पूर्व में गठित ऑडिट समिति के अधिकारों में बदलाव किया है और अब समिति यह प्रमाणित नहीं करेगी कि मौत कोविड-19 की वजह से हुई है या पहले से ग्रस्त अन्य बीमारियों की वजह से। समिति के वरिष्ठ सदस्य ने रविवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि अब कोविड-19 की जांच करने वाले चिकित्सक ही प्रमाणित करेंगे कि मौत कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से हुई या किसी अन्य बीमारी से।
उल्लेखनीय है कि राजनीतिक उठापटक के बीच तीन अप्रैल को राज्य सरकार ने समिति गठित की थी। विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार ने कोविड-19 से हुई मौतों के आंकड़ों में फर्जीवाड़ा करने के लिए हथियार के रूप में इस समिति का गठन किया गया है।
पश्चिम बंगाल सरकार ने बृहस्पतिवार को स्वीकार किया कि राज्य में 105 कोरोना वायरस संक्रमितों की मौत हुई है लेकिन साथ ही जोर दिया कि केवल 33 लोगों की मौत वास्तव में कोविड-19 से हुई है।
ऑडिट समिति की रिपोर्ट के बीच मुख्य सचिव राजीव सिन्हा ने कहा कि 105 में से 72 लोगों की मौत अन्य गंभीर बीमारियों की वजह से हुई है और कोविड-19 उन मामलों में महज आकस्मिक है।
पहचान गुप्त रखते हुए ऑडिट समिति के सदस्य ने कहा, समिति अब अस्पतालों से नमूनों को एकत्र करेगी और नयी जानकारी मिलने पर इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग को देगी।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ कहा, ‘‘चिकित्सक ऑडिट समिति की सिफारिशों का अनुपालन करेंगे और प्रमाणित करेंगे की मौत कोविड-19 की वजह से हुई या अन्य बीमारियों की वजह से। विशेषज्ञ समिति अब मौतों की जांच नहीं करेगी। वह केवल कोविड-19 के विशेष मामलों को ही देखेगी।’’
उन्होंने कहा कि 105 लोगों की मौत के मामले में जांच रिपोर्ट देने के बाद उसे कोई नया नमूना नहीं मिला है।
सदस्य के मुताबिक, समिति का मुख्य उद्देश्य कोविड-19 से हुई मौतों का अध्ययन करना और वायरस की प्रवृत्ति की अधिक जानकारी प्राप्त करना है।
उन्होंने कहा, ‘‘ आम लोगों के मन में इस बीमारी को लेकर कई सवाल हैं। अभी तक इस बारे में कोई अध्ययन या आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। सरकार लक्षणों को समझकर इलाज और संक्रमण रोकने के लिए दिशानिर्देश बनाना चाहती है… और यह जानना चाहती है कि यह वायरस कैसे प्राथमिक स्तर से उच्च स्तर में खुद में बदलाव करता है।’’
सदस्य ने कहा, ‘‘मौत के मामलों में यह जानना उद्देश्य है कि वायरस संक्रमण के कितनों दिनों बाद जानलेवा हो जाता है।’’
उन्होंने बताया कि समिति कोरोना वायरस से संक्रमितों का इलाज करने वाले चिकित्सा कर्मियों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, इसकी सूची बनाएगी।
उन्होंने कहा, ‘‘समिति कोविड-19 से होने वाली मौत को प्रमाणित नहीं करेगी। हम अस्पतालों में जाएंगे और नमूने एकत्र करेंगे। अगर कोई खास जानकारी मिलती है तो राज्य के स्वास्थ्य विभाग को इसकी जानकारी दी जाएगी और हम उसके अनुरूप अनुशंसा करेंगे।’’उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस से अब तक 48 लोगों की मौत हुई है। राज्य सरकार के मुताबिक, राज्य में कोरोना वायरस से संक्रमण के 886 मामले आए हैं जिनमें से 624 मरीजों का इलाज चल रहा है जबकि 199 संक्रमण मुक्त हो चुके हैं। वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक राज्य में कोविड-19 के 922 मामले सामने आए हैं।