नयी दिल्ली : लॉकडाउन के दौरान भोजनालय खोले जाने की सरकार से अनुमति मिलने के बाद कई रेस्तरां कारोबारियों ने कहा है कि ग्राहकों की संख्या की सीमा तय किये जाने से उनका व्यवसाय घाटे का सौदा हो जाएगा और इन्हें बंद रखना ही बेहतर होगा।
रेस्तरां मालिकों ने संकेत दिया कि बाहर जाकर भोजन करना अब भी दूर की बात है और घर पर भोजन पहुंचाना जारी रहेगा।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का कोई मतलब नहीं है क्योंकि नकदी संकट से जूझ रहा उद्योग विस्तारित लॉकडाउन से सावधानी पूर्वक बाहर निकल रहा है और अपने भविष्य की योजना बना रहा है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कुछ एसओपी जारी की थी, इनके जरिये अगले हफ्ते रेस्तरां में बैठ कर भोजन करने वाले व्यक्तियों की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत की गई है। ये रेस्तरां गृह मंत्रालय के एक पूर्व के आदेश के मुताबिक है।
सामाजिक दूरी के नियमों का जिक्र करते हुए एसओपी में रेस्तरां के अंदर और कतार में कम से कम छह फुट की दूरी रखे जाने का दिशानिर्देश दिया गया है।
ज्यादातर पाबंदियों की जरूरत को स्वीकार करते हुए उद्योग के अंदर के लोगों ने कहा कि रेस्तरां में बैठ कर भोजन करने वाले लोगों की संख्या आधा करना व्यवहारिक नहीं है।
दिल्ली, मुंबई स्थित प्लम बाई बेंट चेयर, लॉर्ड ऑफ द ड्रिंक्स और तमाशा जैसे रेस्तरां श्रृंखला के मालिक प्रियंक सुखीजा ने कहा कि एसओपी विस्तारित लॉकडाउन से कहीं अधिक नुकसानदेह है।
सुखीजा ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘बैठने की 50 प्रतिशत क्षमता के साथ करीब 80 प्रतिशत रेस्तरां बाद में खुलने के बाद भी भवन किराया, कर्मचारियों के वेतन और बिजली बिल के कारण घाटे का सौदा हो जाएंगे।’’ उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि उनके रेस्तरां बंद रहेंगे।
वह अपने प्रत्येक बड़े रेस्तरां के लिये औसतन 12 लाख रुपये मासिक किराया अदा करते हैं।
उन्होंने कहा कि गुड़गांव की तरह दिल्ली सरकार को उनके खुले स्थानों का उपयोग करने की इजाजत देनी चाहिए।
सुखीजा ने कहा, ‘‘यदि आप बैठने की 50 प्रतिशत क्षमता और लोगों के भोजन के लिये बाहर जाना चाहते हैं तो रेस्तरां को अपने खुले स्थान का उपयोग करने की इजाजत देनी चाहिए या उन्हें सार्वजनिक जमीन देनी चाहिए। उन्हें उस तरह की एक नीति बनानी होगी क्योंकि यह लॉकडाउन से अधिक नुकसानदेह है।’’
अभी जो नियम लागू होंगे वे दो सरकारी आदेशों से लिये गये हैं, ये चार जून के एसओपी और 30 मई का गृह मंत्रालय का आदेश है। इसके जरिये रेस्तरां को आठ जून से खोले जाने की इजाजत दी गई थी। इस बात का भी जिक्र किया गया था कि बार बंद रहेंगे।
नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनआरएआई) प्रमुख अनुराग कतरियार के अनुमान के मुताबिक ढाई महीने के लॉकडाउन में रेस्तरां क्षेत्र को 80,000 करोड़ रुपये से अधिक नुकसान हुआ है।
एनआरएआई इंडिया फूड सर्विसेज रिपोर्ट 2019 के मुताबिक भारतीय रेस्तरां उद्योग में 2018-19 में 73 लाख लोग नियोजित हैं।
उन्होंने कहा कि यह सिर्फ बैठने की क्षमता के बारे में नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक बैठने की बात है, एसओपी में सिर्फ दो चीजों का जिक्र है-बैठने की 50 प्रतिशत क्षमता और छह फुट की दूरी। लेकिन रेस्तरां विभिन्न आकार के हैं। अब, यदि कोई रेस्तरां 10 फुट चौड़ा और 15 फुट लंबाई के आकार वाला है तो वहां दो से अधिक मेज नहीं लग सकती है।’’
हालांकि, उन्होंने नये दिशानिर्देशों को सही दिशा में तार्किक कदम बताया।
मैसिव रेस्टोरेंट प्रॉइवेट लिमिटेड के संस्थापक जोरावर कालरा ने कहा कि वह समझते हैं कि एसओपी मौजूदा परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए जारी किये गये, जब देश कोविड-19 के बढ़ते मामलों से निपटने के लिये संघर्ष कर रहा है। हालांकि, 50 प्रतिशत ग्राहक क्षमता के साथ रेस्तरां चलाना घाटे का सौदा है।
रेस्तरां खोले जाने की समय सीमा रात नौ बजे तक सीमित रखने और बार पर पाबंदियां अन्य चिंताएं हैं।
रास्ता एंड येती-द हिमालयन किचेन के सह साझेदार जॉय सिंह ने कहा कि वह इस बात को नहीं समझ पा रहे हैं कि सरकार रेस्तरां उद्योग के साथ भेदभाव क्यों कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि नुकसान रोकने के लिये एयरलाइनें बीच की सीटें खाली रखने से मना कर सकती हैं, तो फिर रेस्तरां एवं बार के साथ ऐसा सलूक क्यों किया जा रहा है? उन्होंने एसओपी लाने से पहले हमसे परामर्श नहीं किया। ’’
सिंह ने कहा, ‘‘देश में 80 प्रतिशत से अधिक रेस्तरां के पास शराब मुहैया कराने का लाइसेंस हैं। आप नहीं कह सकते कि रेस्तरां खोले जा सकते हैं और बार नहीं।’’
उन्होंने कहा कि रेस्तरां अपना ज्यादातर कारोबार रात नौ बजे के बाद करते हैं। सुखीजा ने भी इस बात से सहमति जताई।
सुखीजा ने कहा, ‘‘हमारा करीब 85-90 फीसदी कारोबार रात नौ बजे के बाद होता है। और हमें शराब बेचने की इजाजत नहीं दी गई है, जबकि सरकार खुद इसे बेच रही है। ’’
हालांकि, केएफसी और टाको बेल जैसे फास्टफूड चेन ने बेहतर कारोबार किया है। वे घर पर खाने-पीने की चीजें पहुंचाने के लिये हमेशा से सक्रिय रहे हैं।
केएफसी इंडिया के मुख्य विपणन अधिकारी मोक्ष चोपड़ा ने कहा, ‘‘हालांकि पहले भोजन पहुंचाया जाना, राजस्व का एक छोटा हिस्सा था लेकिन आवाजाही पर पाबंदियों के चलते अब कहीं अधिक लोग भोजन मंगवा रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान डिजिटल/ऑनलाइन आर्डर करना दोगुना हो गया है और आने वाले समय में इसका महत्व बढ़ने जा रहा है। ’’
बर्मन हास्पिटैलिटी (भारत में टाको बेल की मास्टर फ्रेंचाइजी साझेदार)के निदेशक गौरव बर्मन ने कहा कि टाको बेल की भोजन पहुंचाने की सेवाएं भी काफी बढ़ी हैं।
रेस्तरां में ग्राहकों की संख्या की सीमा तय किये जाने से करोबार घाटे का सौदा हो जाएगा:रेस्तरां मालिक
