सुरक्षात्मक साधनों के बिना जान हथेली पर रख दे रहे हैं सेवाएं

बैंक कर्मचारियों में बढ़ रहा है कोरोना का प्रकोप, 5०० के करीब ब्रांच बंद, फिर भी राज्य और केंद्रीय सरकार उदासीन

1 बैंककर्मी की मौत, 700 के करीब बैंक कर्मचारी हो चुके हैं संक्रमित’

स्टाफ कम कर काम करने की नहीं मिल रही है छूट, ना ही मिल रही है रेलवे और यातायात की सुविधा

बबीता माली
कोलकाता, समाज्ञा : बंगाल में कोरोना का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। हेल्थ स्टाफ, डॉक्टरों, पुलिस जैसे कोरोना वॉरियर्स की तरह ही बैंक कर्मचारी भी लगातार इस कोरोना काल में सेवाएं दे रहे हैं मगर इनकी सुरक्षा भी भगवान भरोसे है। हेल्थ स्टाफ, डॉक्टरों, पुलिस की तरह ही बैंक कर्मचारी भी कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं लेकिन इनकी सुरक्षा को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के कर्मियों का आरोप है कि दिन ब दिन बैंक कर्मचारियों में कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है। गत बुधवार की रात ही बी टी रोड एसबीआई बैंक के ब्रांच में कार्यरत एक स्टाफ की कोरोना से मौत हो गई है। अभी तक करीब ६००-७०० एसबीआई बैंक कर्मी संक्रमित हो चुके हैं लेकिन आरोप है कि ना राज्य सरकार और ना ही केंद्रीय सरकार एसबीआई के बैंक कर्मचारियों की सुरक्षा के बारे में सोच रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि एसबीआई के सभी ब्रांच में सुरक्षात्मक साधनों का अभाव है। इन अभाव के बीच ही सभी स्टाफ काम करने को मजबूर है। सूत्रों ने बताया कि पूरे बंगाल में करीब ५०० ब्रांच एसबीआई के बंद हो चुके हैं। कोलकाता में भी सियालदाह, मानिकतल्ला, धर्मतल्ला सहित कई ब्रांच बंद किए गए हैं। हालांकि आरोप है कि जिस ब्रांच में कोई स्टाफ कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है, उस ब्रांच को दो दिनों तक बंद करने के बाद फिर तीसरे दिन खोल दिया जाता है लेकिन सुरक्षात्मक साधनों को मुहैया नहीं करवाया जाता है।

ना है थर्मल स्कैनिंग की सुविधा, ना ही मुहैया करवाई गई है पीपीई किट
बैंक के एक सूत्र ने बताया कि एसबीआई के किसी भी ब्रांच में थर्मल स्कैनिंग की कोई सुविधा नहीं है। कौन ज्वर लेकर आ रहा है यह देखने वाला यहां कोई नहीं है। वहीं यहां काम करने वाले कर्मचारियों को पीपीई किट भी नहीं मुहैया करवाई गई है। यहां तक की रोजाना बैंक को भी सैनिटाइज नहीं किया जाता है। बैंक कर्मी खुद के रुपए से सैनिटाइजर, दस्ताने और मास्क व फेस शील्ड खरीदते हैं लेकिन बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों की इस पर कोई नजर नहीं पड़ती है। एक बैंक कर्मचारी ने बताया कि रोजाना जान हथेली पर रखकर काम पर आते हैं। घरवाले भी यही सोचते है कि दफ्तर से हम कोरोना तो लेकर घर नहीं जा रहे हैं। खुद के साथ ही घरवालों की सुरक्षा भी दांव पर लगाकर काम कर रहे हैं।

ग्राहकों में भी है जागरुकता का अभाव
१००,२०० और ५०० रुपया जमा करवाने के लिए या पासबुक अपडेट करवाने के लिए ग्राहक बैंक पहुंच जाते हैं। इससे संक्रमण बढ़ने का खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है। बैंक सूत्रों ने बताया कि अगर ग्राहक थोड़े जागरूक हो जाए तो संक्रमण को बढ़ने से रोका जा सकता है। जब तक इमर्जेंसी ना हो तब तक बैंक ना आने से भी ग्राहकों का काम चल सकता है। रोजाना ही ५०-६० ग्राहकों का एक – एक ब्रांच में आना होता है।

काम के समय में कटौती सहित कई मांग है बैंक कर्मचारियों के एसबीआई के रवीन्द्र सरणी ब्रांच के ब्रांच मैनेजर अचिंत्य
मुखोपाध्याय ने बताया कि पहले ही ऑफिस के समय कम करने यानी केवल सुबह १० से दोपहर २ बजे तक ब्रांच खुले रहने और सभी शनिवार को भी छुट्टी देने के लिए राज्य सरकार को चिट्ठी लिखी जा चुकी है लेकिन इसके बावजूद कोई कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि ना राज्य सरकार और ना ही केंद्र सरकार हम बैंक कर्मचारियों के बारे में कुछ सोच रही हैं। उन्होंने बताया कि ब्रांच खुले रहने का समय कम करने से और शनिवार को भी छुट्टी मिलने से संक्रमण का खतरा कम रहेगा। उनके अनुसार समय कम होने से बैंककर्मी ग्राहकों से कम समय तक ही संपर्क में आएंगे और शनिवार को छुट्टी रहने से शनिवार और रविवार दो दिन मिल जाएंगे खुद को ठीक से सैनिटाइज रखने और रेस्ट करने के लिए। इससे संक्रमण भी नहीं बढ़ेगा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अन्य सरकारी दफ्तरों में ५० प्रतिशत स्टाफ को लेकर काम हो रहा है लेकिन बैंक में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि यातायात की भी कोई व्यवस्था नहीं है। कभी बस में तो कभी ऑटो से ऑफिस पहुंच रहे हैं। रेलवे में भी बैंक कर्मियों को कोई सुविधा नहीं दी गई है। इस बाबत उन्होंने मांग की है कि समय में कटौती, सभी शनिवार को छुट्टी और रेलवे में सुविधा देने सहित यातायात की सुविधा उपलब्ध कराई जाए। साथ ही सुरक्षा के साधन भी मुहैया करवाए जाए।

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