एक फेसबुक पोस्ट ने खोली एसएससी भ्रष्टाचार की पोल, बुरे फंसे मंत्री जी !

कोलकाता, समाज्ञा : कहा जाता है सोशल मीडिया और इंटरनेट के जमाने में कुछ भी छुपा हुआ नहीं रहता है। स्कूल सर्विस कमिशन (एसएससी) नियुक्ति में सामने आए भ्रष्टाचार के मामले इसी बात को सही साबित कर रहे हैं। कलकत्ता हाईकोर्ट में दर्ज मामलों के कारण राज्य के एक मंत्री (शिक्षा राज्य मंत्री परेशचंद्र अधिकारी) की बेटी (अंकिता अधिकारी) समेत सैंकड़ों एसएससी अभ्यर्थियों के नौकरी गंवाने से लेकर राज्य के मंत्री को जेल की हवा तक खानी पड़ रही है। लेकिन क्या आपने सोचा है कि एसएससी के योग्य अभ्यर्थियों ने अचानक कलकत्ता हाईकोर्ट में मामला क्यों दर्ज करवाया, उन्हें कैसे पता चला कि उनके स्थान पर उनसे कम योग्य अभ्यर्थियों की नियुक्ति की गयी है जिसके बाद यह पूरा घटनाक्रम शुरू हुआ। तो चलिए हम आपको इसकी वजह बताते हैं।
सोशल मीडिया पर किये गये एक पोस्ट ने इस पूरी धांधली का भांडाफोड़ किया जिसके बाद धीरे-धीरे इस मामले का कच्चा-चिट्ठा खुलता गया और अब इस मामले में राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी बुरी तरह से फंसते नजर आ रहे हैं। उनपर एसएससी भर्ती में धांधली करते हुए अभ्यर्थियों से लाखों रुपये वसूलने और अवैध संपत्ति बनाने का आरोप लगाया गया है। फिलहाल मंत्री और उनकी एक करीबी अर्पिता मुखर्जी ईडी की गिरफ्त में है, जिसके फ्लैट से 21 करोड़ रुपये से अधिक नगद, लाखों के सोने के जेवर और विदेशी मुद्रा बरामद की गयी है। बुधवार को ईडी ने अर्पिता मुखर्जी के एक अन्य फ्लैट में भी 27.90 करोड़ रुपये बरामद किये। दरअसल, फेसबुक पर कक्षा 9वीं-10वीं की नियुक्ति के लिए वेटिंग लिस्ट में रैंक 259 पर मौजूद एक अभ्यर्थी ने अपने एक परिचित व्यक्ति, जो वेटिंग लिस्ट में रैंक 275 पर था, का पोस्ट देखा था। इस पोस्ट में रैंक 275 पर मौजूद अभ्यर्थी ने लिखा था कि ‘सहायक शिक्षक के तौर पर ज्वाइन कर रहा हूं।’ इस पोस्ट को देखते ही रैंक 259 के अभ्यर्थी का माथा ठनका क्योंकि कक्षा 9वीं-10वीं में गणित के 8वें काउंसिलिंग तक ओबीसी महिला-पुरुष श्रेणी में रैंक 202 तक ही अभ्यर्थियों को बुलाया गया था। फिर रैंक 275 के अभ्यर्थी को नौकरी कैसे मिल गयी? इस एक सवाल का जवाब ढुंढने के लिए वेटिंग लिस्ट में रैंक 259 पर मौजूद अभ्यर्थी ने आरटीआई करके रैंक 275 के अभ्यर्थी की स्कूल में ज्वाइनिंग के सभी दस्तावेजों को मंगवाया और हाईकोर्ट में शिकायत दर्ज करवायी। इसके बाद उस अभ्यर्थी की नौकरी को कोर्ट ने रद्द भी कर दिया था, जिसके बाद ही इस पूरे वाक्ये की शुरुआत हुई।

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