एक ऐसा विद्यालय जहां बुनियादी सुविधाओं को तरसते हैं विद्यार्थी

शौच जाने के लिए छात्रों को अनुमति लेकर जाना पड़ता है घर

मूल समस्या –

* कुल छात्र-छात्राओं की संख्या : 1100

* प्राइमरी से उच्च माध्यमिक विद्यालय में चलने वाली कुल 14 यूनिट के लिए सिर्फ 09 शिक्षक

* शिक्षकों के लिए पद रिक्त पड़े हैं लेकिन नए शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई

* शुद्ध पेयजल की समस्या

जय चौधरी

हुगली, समाज्ञा : पश्‍चिम बंगाल में एक ऐसा सरकारी उच्च माध्यमिक विद्यालय है जहां शौच की शंका होने पर छात्रों को शिक्षकों से अनुमति लेकर घर जाना पड़ता है। कहते हैं ‘पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया’ लेकिन प्रश्‍न उठता है कि ऐसे पढ़ेगा इंडिया तो कैसे बढ़ेगा इंडिया।

क्लासरूम की अवस्था

जी हम बात कर रहे हैं पश्‍चिम बंगाल के हुगली जिले की। जिले के श्रीरामपुर नगरपालिका के 29 नंबर वार्ड के पांचु गोपाल भादुड़ी सरणी स्थित उच्च माध्यमिक हिन्दी विद्यालय श्री शिव हाई स्कूल में बुनियादी सुविधाएं बुरी तरह से चरमराई हुई हैं। यहां पढ़ने वाले छात्रों को दुर्दशा की मार झेलनी पड़ रही है। छात्र किसी भी समय किसी संक्रामक बीमारी का शिकार भी हो सकते हैं। यहां छात्रों के लिए शौचालय व अन्य मूलभ्ाूत सुविधाएं नहीं हैं। छात्रों को शौच की शंका होने पर शिक्षकों से अनुमति लेकर घर जाना पड़ता है। ऐसे में यदि किसी छात्र को लघुशंका बर्दास्त के बाहर हुई तो उसे खुले में शौच जाना पड़ता है। विद्यालय में पेयजल की भी समुचित व्यवस्था नहीं। गंदगी का अंबार लगा है। यहां आकर विकास और बेहतर शिक्षा के सभी दावें फेल हो जाते हैं। आखिर इसका जिम्मेवार कौन है, बार-बार यह सवाल उठने लगते हैं।

स्कूल प्रांगण में गंदगी


खुले में शौच जाने के वजह से विद्यालय में गंदगी का अंबार लगा है वह महामारी को न्योता दे रहा है। वजह संबंधित अधिकारी नेता मंत्री जन सेवक सबके सब उदासीन बने हुए हैं। इस विद्यालय की दुर्दशा की सुध तक लेने वाल कोई नहीं। बताया जा रहा है कि पिछले तीन वर्षों से यह सिलसिला बदस्तूर ऐसे ही चल रहा है। आखिर ऐसा हो भी क्यों नहीं, न तो विरोधी दल के कोई नेता इस विद्यालय की सुध लेते हैं न अधिकारी। यही नहीं, विद्यालय की दुर्दशा को लेकर जब पत्रकार संबंधित नेता, विधायक अधिकारियों को फोन करते हैं उनके फोन तक नहीं उठाते न ही उनके भेजे संदेश का कोई जबाब देना जरूरी समझते हैं। ऐसे में आम नागरिक जाएं तो जाएं कहां, किससे लगाए मदद की गुहार।

शौचालय


क्या कहतें है विद्यालय के प्रधानाध्यापक

विद्यालय के प्रधानाध्यापक डॉ. उमेश प्रसाद सिंह ने विद्यालय की बदहाली की बात स्वीकारी है। उन्होंन बताया कि बच्चों के लिए कम से कम 12 शौचालय की जरूरत है लेकिन विद्यालय में जगह की कमी के वजह से इतने शौचालय बनवाना संभव नहीं। सरकार की तरफ से कोई सफाई कर्मी इस विद्यालय के लिए मुहैया नहीं करवाए गए हैं। स्कूल में जगह की कमी है इसे में छात्रों को मुलभूत सुविधा देना संभव नहीं है।
नगरपालिका पार्षद क्या कहते हैं

श्रीरामपुर नगरपालिका के वर्तमान

पार्षद राजेश सिंह ने बताया कि सरकार की तरफ से पिछले तीन सालों से मैनेजिंग कमेटी का गठन नहीं हुआ। इसकी वजह से विद्यालय के रखरखाव में दिक्कतें आ रही है। इसकी लिखित शिकायत संबंधित अधिकारियों तक भेजी गई लेकिन कोई हल नहीं निकला न ही किसी ने इस गंभीर समस्या पर अपना ध्यान केंद्रित किया।

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