ओस्लो : साल 2019 के लिए अर्थशास्त्र का प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी, उनकी पत्नी एस्तेय डिफ्लो के साथ-साथ अर्थशास्त्री माइकल क्रेमर को संयुक्त रूप से दिया जाएगा। इन्हें ‘अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गरीबी कम करने के उनके प्रयोगात्मक नजरिए’ के लिए नोबेल मिल रहा है। 58 साल के अभिजीत बनर्जी अभी अमेरिका में मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में इकनॉमिक्स पढ़ाते हैं।
जेएनयू से पढ़े हैं अभिजीत
अभिजीत ने 1981 में यूनिवर्सिटी ऑफ कलकत्ता से बीएससी के बाद 1983 में जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद 1988 में उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी किया।
वैश्विक गरीबी खत्म करने की दिशा में किया काम
अभिजीत ने ऐसी आर्थिक नीतियों पर रिसर्च किया, जो वैश्विक गरीबी को कम करने में मददगार बनीं। 2003 में उन्होंने एस्तेय डिफ्लो और सेंडहिल मुलैंटन के साथ मिलकर अब्दुल लतीफ जमील पावर्टी ऐक्शन लैब जेपीएल की बुनियाद रखी। 2009 में जेपीएल को डिवेलपमेंट को-ऑपरेशन कैटिगरी में बीबीवीए फाउंडेशन का फ्रंटियर नॉलेज अवॉर्ड मिला।
4 किताबें लिख चुके हैं अभिजीत
अभिजीत बनर्जी आर्थिक मसलों पर तमाम आर्टिकल लिख चुके हैं। वह ‘पुअर इकनॉमिक्स’ समेत 4 किताबें भी लिख चुके हैं। इस किताब को गोल्डमैन सैक्स बिजनस बुक ऑफ द इयर का खिताब मिला था। एमआईटी पर दिए गए उनके परिचय में यह भी बताया गया है कि उन्होंने 2 डॉक्युमेंटरी फिल्मों का निर्देशन भी किया है। वह 2015 के बाद डिवेलपमेंट अजेंडा पर बनी यूएन सेक्रटरी जनरल के हाई-लेवल पैनल में भी रह चुके हैं।
‘पुअर इकनॉमिक्स’ को मिला था बिजनस बुक ऑफ द इयर का खिताब
बनर्जी ने 2011 में आई अपनी किताब ‘पुअर इकनॉमिक्स’ में लिखा है, ‘मोरक्को का कोई शख्स जिसके बाद खाने के लिए पैसे नहीं हो, वह टीवी क्यों खरीदेगा? गरीब इलाकों में स्कूल जाने के बावजूद बच्चों को सीखने में इतनी कठिनाई क्यों होती है? क्या कई बच्चे होने से लोग और गरीब हो जाते हैं? अगर हम वाकई वैश्विक गरीबी को कम करना चाहते हैं तो ऐसे सवालों का जवाब ढूंढना जरूरी है।’
मां-बाप भी थे अर्थशास्त्र के प्रोफेसर
यह कहना गलत नहीं होगा कि अभिजीत बनर्जी को अर्थशास्त्र का ज्ञान विरासत में मिला है। उनके पिता दीपक बनर्जी कोलकाता के प्रेजिडेंसी कॉलेज में अर्थशास्त्र के विभागाध्यक्ष थे। उनकी मां निर्मला बनर्जी भी कोलकाता के सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइसेंज में अर्थशास्त्र की प्रफेसर रह चुकी हैं।
एस्तेय डिफ्लो भी एमआईटी में हैं प्रोफेसर
अभिजीत बनर्जी के साथ-साथ उनकी पत्नी एस्तेय डिफ्लो को भी अर्थशास्त्र का नोबेल मिला है। डुफ्लो का जन्म 1972 में पैरिस में हुआ था। डिफ्लो भी एमआईटी में हैं और पॉवर्टी एलेविएशन ऐंड डिवेलपमेंट इकनॉमिक्स की प्रफेसर हैं। फ्रांसीसी मूल की अमेरिकी अर्थशास्त्री डिफ्लो ने हिस्ट्री और इकनॉमिक्स से ग्रेजुएशन के बाद 1994 में पैरिस स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स (तब डेल्टा नाम से जाना जाता था) से मास्टर डिग्री हासिल की। 1999 में उन्होंने एमआईटी से इकनॉमिक्स में पीएचडी किया। एमआईटी में उन्होंने अभिजीत बनर्जी की देखरेख में ही अपनी पीएचडी पूरी की क्योंकि बनर्जी इसके जॉइंट सुपरवाइजर थे। दोनों में प्रेम हुआ और दोनों एक साथ रहने लगे। 2015 में दोनों ने औपचारिक तौर पर शादी कर ली।
नोबेल पुरस्कार देने वाली समिति ने अपने ऑफिशल ट्विटर हैंडल से एस्तेय डिफ्लो की भेजी एक सेल्फी को पोस्ट कर उन्हें बधाई दी है। ट्वीट में लिखा है, ‘2019 में इकनॉमिक्स का नोबेल पाने वाली एस्तेय डिफ्लो को बधाई! डिफ्लो जब सुबह-सुबह उठीं तो उन्हें खुद को नोबेल मिलने की खबर मिली जिसके बाद उन्होंने यह सेल्फी भेजी है।’