बेंगलुरु : चंद्रयान-2 मिशन का लैंडर विक्रम भले ही अभी खो गया है, लेकिन इसरो के वैज्ञानिकों के हौंसले कमजोर नहीं हुए हैं। जहां एक तरफ इसरो के वैज्ञानिक इस बात को लेकर विश्लेषण कर रहे हैं कि लैंडर विक्रम सॉफ्ट लैंडिंग क्यों नहीं कर सका। वहीं दूसरी तरफ इसरो के चेयरमैन के सिवन ने वैज्ञानिकों को भविष्य के मिशन पर फोकस करने को कहा है। बता दें कि 8 सितंबर को पीएम ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए वैज्ञानिकों का हौंसला बढ़ाते हुए उनसे लगातार प्रयास करते रहने को कहा था। वैज्ञानिकों से यह बोले सिवन
सूत्रों का कहना है कि पीएम के संबोधन के अगले ही दिन इसरो चेयरमैन ने भी सोमवार (9 सितंबर) को वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के संबोधित किया था। सिवन ने चंद्रयान-2 को कई मायनों में एक सफल मिशन बताते हुए वैज्ञानिकों से आने वाले दूसरे बड़े मिशनों पर भी फोकस करने को कहा था। इसके साथ ही फेलियर अनैलेसिस कमिटी (एफएसी) इस बात की जांच कर रही है कि विक्रम की ट्रजेक्टरी (तय रास्ते में) में बदलाव क्यों हुआ और उसके बाद विक्रम की हार्ड लैंडिंग क्यों हुई?
न करें फिक्र, भविष्य पर करें फोकस’
एक इसरो वैज्ञानिक ने बताया, कि ‘हमारे चेयरमैन ने इंटरनल नेटवर्क के जरिए हमें संबोधित किया। उन्होंने यह भी कहा कि चंद्रयान-2 ऑर्बिटर साइंस में 100 प्रतिशत सफल रहा और लैंडिंग टैक्नॉलजी में 95 प्रतिशत। सॉफ्ट लैंडिंग की जगह विक्रम ने हार्ड लैंडिंग की। उन्होंने कहा कि इस बारे में ज्यादा चिंता न करें और भविष्य के मिशन पर फोकस करें।’ अन्य चीजों में इस इसरो की पाइपलाइन में ‘मिशन टु सन’, मानव स्पेसफ्लाइट मिशन, नासा के साथ एक जॉइंट मिशन (निसार) के साथ कुछ और सैटलाइट मिशन हैं। इसरो जहां विक्रम की ट्रजेक्टरी में बदलाव और उसके बाद विक्रम की हार्ड लैंडिंग के कारणों की जांच कर रहा है, साथ ही यह भी बता रहा है कि चंद्रयान कई मायनों में एक सफल मिशन भी रहा है। कोई नहीं कह सकता मिशन विफल सिवन ने खुद मीडिया इंटरव्यू में यह बात कही है कि कोई भी इस मिशन को पूरी तरह विफल नहीं बता सकता है। उन्होंने कहा कि मिशन का लैंडिंग वाला हिस्सा पूरी तरह एक तकनीक का प्रदर्शन था, जिसने अंतिम समय तक बेहतरीन ढंग से काम किया। उन्होंने कहा, ‘लैंडर विक्रम को चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने ढूंढ लिया है, लेकिन इससे अभी तक संपर्क नहीं हो पाया है। लैंडर से संपर्क स्थापित करने के सभी संभव प्रयास किए जा रहे हैं।’
जेपीएल से भी कोशिश जारी
इसरो कर्नाटक के एक गांव बयालालु में लगे 32 मीटर ऐंटेना से लैंडर से सम्पर्क करने की कोशिश कर रहा है। इसरो के एक वैज्ञानिक ने बताया कि इसके साथ ही 70 मीटर ऐंटेना से भी सम्पर्क करने की कोशिश की जा रही है, यह ऐंटेना नासा की जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी (जेपीएल) का है। लेकिन इसके बाद भी विक्रम से कोई संपर्क नहीं हो सका है।
इसरो के एक और अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की है कि हमारा जेपीएल के साथ कॉन्ट्रैक्ट है और हम विक्रम से संपर्क करने के लिए हर संभव रास्ते का इस्तेमाल कर रहे हैं।
विक्रम के लिए 10 दिन बाकी
इसरो के पास विक्रम से संपर्क स्थापित करने के लिए महज 21 सितंबर तक का समय बचा है। इसके बाद एक लुनार डे (चंद्र दिवस) पूरा हो जाएगा और विक्रम अगले 14 दिनों तक सूरज की रोशनी से दूर रहेगा। इसरो इन 10 दिन में विक्रम से संपर्क कर लेगा, इसे लेकर अभी तक कुछ नहीं कहा जा सकता है क्योंकि अब तक विक्रम के ट्रांसपोंडर्स और ऐंटेना से कोई सिग्नल नहीं आया है।
एक सूत्र ने बताया कि ऐंटेना एकदम सही दिशा में है और विक्रम से संपर्क बनाने के लिए उसके पास ऊर्जा होना जरूरी है। हालांकि इसरो ने अभी तक लैंडर विक्रम को लेकर अधिकारिक तौर पर कोई अन्य जानकारी नहीं दी है। इसरो चीफ ने कहा था कि उनके पास अभी तक पर्याप्त जानकारी नहीं है कि वे विक्रम की स्थिति के बारे में कुछ बता सकें।
विक्रम से संपर्क का प्रयास जारी, इसरो चीफ ने वैज्ञानिकों से कहा- भविष्य के मिशनों पर करें फोकस
