बंगाल ने सरकारी अस्पताल को पृथक केंद्र में बदला, छात्रावासों में फंसे कई छात्र

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में राज्य सरकार के एक अस्पताल को पूरी तरह से पृथक वार्ड में बदल दिया गया है। इस अस्पताल में पहले से भर्ती मरीजों को छुट्टी दी जा रही है और नए मरीजों को भी नहीं लिया जा रहा है ताकि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का यहां इलाज किया जा सके।

एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने बुधवार को कहा, ‘‘मंगलवार से हमने मेडिकल कॉलेज अस्पताल, कोलकाता से बेहतर हालत वाले मरीजों को छुट्टी देना शुरू कर दिया है। हमने नए मरीजों को भर्ती करने से भी इनकार कर दिया है खासतौर से जो महिलाएं गर्भवती हैं तथा उन्हें अन्य अस्पतालों में भेज रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह पूरे अस्पताल को पृथक केंद्र में बदलने और कोरोना वायरस के मरीजों का इलाज करने के लिए राज्य सरकार की योजना के अनुसार किया गया है। इस अस्पताल में 2,200 बिस्तरों की सुविधा है।’’

स्वास्थ्य विभाग के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने की राज्य सरकार की तैयारियों के तौर पर यह कदम उठाया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी कोविड-19 के अधिक जोखिम वाले मरीजों को एक ही अस्पताल में रखने की योजना है। कई चीजें करनी हैं और हम उस पर काम कर रहे हैं।’’

इस बीच, पश्चिम बंगाल में पढ़ रहे विदेशियों समेत कई छात्र लॉकडाउन (बंद) के दौरान अपने घरों से दूर छात्रावासों में फंस गए हैं और उनकी यह परेशानी जल्द ही खत्म होती नहीं दिखाई दे रही है।

कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते 16 मार्च से संस्थान बंद हैं और जादवपुर, प्रेसीडेंसी और विश्व भारती विश्वविद्यालयों के छात्रावासों में रहने वाले छात्र परियोजना कार्य को पूरा करने, खाने-पीने की व्यवस्था करने में तथा इंडोर खेल खेलकर अपना समय बिता रहे हैं।

कला संकाय छात्र संघ के एक पदाधिकारी ने मंगलवार को पीटीआई-भाषा को बताया कि जादवपुर विश्वविद्यालय में 30 छात्र फंसे हैं जिनमें से ज्यादातर नाइजीरिया, सोमालिया और बांग्लादेश के हैं।

उन्होंने बताया, ‘‘इनमें से किसी छात्र में फ्लू जैसे लक्षण दिखाई नहीं दिए हैं।’’

अधिकारी ने बताया कि महिला छात्रावास में 11 छात्राएं है और सभी भारतीय हैं।

प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय के लड़कों के लिए हिंदू छात्रावास में बाहर के करीब 20 छात्र हैं और उनके पास वहां रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

हालांकि, सॉल्ट लेक में लड़कियों के लिए नव निर्मित छात्रावास खाली है और वहां केवल वार्डन रह रही है।

विश्व भारती के हॉस्टल में सभी भारतीय छात्र अपने घर जा चुके हैं लेकिन करीब 50 विदेशी अब भी रह रहे हैं। इनमें से अधिकांश बांग्लादेश के हैं और कुछ जापान के हैं।

वहीं, राज्य में इमामों के एक संगठन ने मस्जिद के अधिकारियों से बड़ी संख्या में लोगों के एकत्रित होने से बचने के लिए उनके प्रवेश पर रोक लगाने लेकिन कुछ श्रद्धालुओं के साथ नमाज पढ़ना जारी रखने के लिए कहा है।

बंगाल इमाम संघ के अध्यक्ष मोहम्मद याहिया ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि चार-पांच लोगों के साथ नियमित रूप से नमाज और अन्य धार्मिक प्रक्रिया जारी रहे जबकि मस्जिदों में अन्य लोगों के प्रवेश पर रोक लगाई जाए।

उन्होंने बताया कि अभी तक तो नौ अप्रैल को शब-ए-बारात आयोजित करने के लिए तैयारियां करने की योजना है और बाद में फैसले की समीक्षा की जाएगी।

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