बंगाल विधानसभा चुनाव : राजनीति ही नहीं बल्कि इतिहास का भी होगा इम्तिहान

वाममोर्चा से तृणमूल का होता हुआ पश्चिम बंगाल, क्या अब भगवा का होगा?

कोलकाता, समाज्ञा : पश्चिम बंगाल की राजनीति में बेहद उथल-पुथल है। चुनाव सिर पर हैं और ऐसा माना जा रहा है कि साल 2021 पश्चिम बंगाल का होगा। क्योंकि, पश्चिम बंगाल चुनाव के नतीजे देश की राजनीति को प्रभावित करेंगे। वाममोर्चा से तृणमूल का होता हुआ पश्चिम बंगाल, क्या अब भगवा का होगा? इसी सवाल पर देश की निगाहें टिकी हुई हैं। बिहार की जीत के बाद भाजपा बेहद जोश में है। लोस चुनावों में बंगाल में मिली सफलता ने भी पार्टी का मनोबल खासा ऊंचा कर दिया है। ममता बनर्जी की सरकार पश्चिम बंगाल में लंबे अरसे से राज कर रही है। इस बीच, वाममोर्चा लगातार कमजोर होता जा रहा है और कांग्रेस वाममोर्चा की उंगलियां पकड़कर चलने की तैयारी में है। ऐसे में भाजपा को ये चुनाव इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण अवसर दिख रहा है। पश्चिम बंगाल और केरल, ये दो ऐसे राज्य रहे हैं, जिन्हें लेकर संघ परिवार हमेशा से उत्साहित रहा है। यहां के राजनीतिक परिपेक्ष में लंबी असफलताओं के बावजूद संघ परिवार सदैव से जमीन पर जड़े मजबूत करने में लगा रहा। बंगाल में अब इसके नतीजे भी साफ दिखाई दे रहे हैं। पिछले लोस चुनावों में इसकी तस्वीर साफ हो गई थी। साल 2019 में भाजपा ने बंगाल में अपने इरादों की झलक दे दी। साल 2014 में, सिर्फ दो सीट जीतने वाली भाजपा ने लोस चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए 18 सीटों पर जीत हासिल की। वहीं, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को भारी घाटा हुआ। भाजपा इस जीत को आधार बनाकर राज्य में तेजी से काम कर रही है। उसका लक्ष्य बंगाल के गावों से लेकर शहरी निकायों तक संगठन का जाल मजबूत करने का है। भाजपा बंगाल को लेकर कितनी संवेदनशील है, इसकी तस्वीर खुद प्रधानमंत्री मोदी ने पार्टी मुख्यालय में जाहिर कर दी हैं।  बिहार विजय के बाद भाषण देते हुए, मोदी ने बंगाल में कार्यकर्ताओं की हत्या का मामला उठा दिया। उन्होंने ममता सरकार को सीधे तौर पर ये बता दिया कि भाजपा बंगाल में क्या करने का इरादा रखती है।

तृणमूल के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं ओवैसी

इस बीच, बंगाल विस चुनावों में औवैसी फैक्टर की भी जमकर चर्चा है। बिहार विस चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करते हुए एआईएमआईएम ने पांच सीटें हासिल की हैं। इसके बाद, ओवैसी की पार्टी के रुख को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के मुखिया असद्दुदीन ओवैसी खुलेआम ऐलान कर चुके हैं कि अब अगली बारी पश्चिम बंगाल की है। उनके इस बयान ‘अब मौत भी उन्हें नहीं रोक सकती’, के गंभीर मायने निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, ओवैसी पश्चिम बंगाल का चुनाव बेहद ही तैयारी से लड़ने की फिराक में हैं। ऐसे में इस बात की आशंका भी जताई जा रही है कि एआईएमआईएम के बंगाल विस चुनाव में मैदान में उतरने से तृणमूल कांग्रेस की अल्पसंख्यकों पर पकड़ कमजोर हो सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *