तीसरे दिन भी सुलग रहा बंगाल

कोलकाता, समाज्ञा : नागरिकता संशोधन कानून पर पश्‍चिम बंगाल में बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। लगातार तीसरे दिन यानी रविवार को नदिया, उत्तर 24 परगना और हावड़ा जिलों से हिंसा की घटनाएं हुईं। उत्तर 24 परगना और नदिया जिलों के आमडांगा और कल्याणी इलाके में प्रदर्शनकारियों ने कई रास्तों को जाम कर दिया और सड़कों पर आगजनी की। इस बीच प्रशासन ने सोशल मीडिया पर अफवाहों और फर्जी खबरों पर रोक लगाने के लिए मालदह, उत्तर दिनाजपुर, मुर्शिदाबाद, हावड़ा, उत्तर 24 परगना में और दक्षिण 24 परगना के कई हिस्सों में इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से बंद कर दिया है जिससे खासतौर पर सोशल मीडिया पर अफवाह और गलत खबरें प्रसारित करने वालों को रोका जा सके। अधिकारी ने कहा, ‘मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा कई बार अनुरोध किये जाने के बावजूद यह पाया गया कि कुछ सांप्रदायिक संगठन हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं और मिथ्या प्रचार करने की कोशिश कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘स्थिति के मद्देनजर, प्रशासन ने राज्य के छह जिलों में इंटरनेट सेवा को अस्थायी रूप से रोकने का फैसला किया है।’
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेताओं की अपील के बाद भी राज्य में हिंसा की घटनाएं थम नहीं रही हैं। देगंगा इलाके में दुकानों में तोड़-फोड़ करने के साथ ही टायर जलाए गए। नदिया में, प्रदर्शनकारियों ने कल्याणी एक्सप्रेस हाइवे को जाम कर दिया और कुछ ने संशोधित कानून की प्रतियां जलाईं। इसी तरह के विरोध प्रदर्शनों की खबर हावड़ा जिले के डोमजुर इलाके, बर्दवान और बीरभूम के कुछ हिस्सों से मिली, जहां प्रदर्शनकारियों ने रैलियां निकालीं और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
स्थिति को नियंत्रण में लेने के लिए पुलिस की बड़ी टुकड़ियों को मौके पर भेजा गया। हालांकि, खबरों के मुताबिक, पिछले दो दिनों के उलट, हावड़ा-सियालदह और खड़गपुर खंडों पर ट्रेनों की आवाजाही सामान्य रही। इधर, एक अधिकारी ने कहा, ‘बार-बार अनुरोध करने के बावजूद कुछ सांप्रदायकि शक्तियां हिंसक प्रदर्शन कर रही हैं। ऐसे में प्रशासन ने राज्य के 5 जिलों में इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से बंद करने का निर्णय लिया है।’
संशोधित कानून से समूचे पूर्वोत्तर भारत और पश्‍चिम बंगाल में आक्रोश है। स्थानीय लोगों को डर है कि यह अवैध आव्रजन की समस्या को और बढ़ा देगा। संशोधित कानून के मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक प्रताड़ना झेलने वाले और 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आने वाले गैरमुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी।

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