मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र में मंदिरों को आमजन के लिए खोले जाने का अंतरिम आदेश देने से इनकार करते हुए शुक्रवार को कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण मौजूदा हालात पूजास्थलों को पुन: खोले जाने के अनुकूल नहीं हैं।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति पी वी तावड़े की पीठ ने कहा कि राज्य में कोविड-19 संबंधी हालात में सुधार नहीं हुआ है और इसलिए लोगों को घर में ही पूजा करनी चाहिए।
अदालत में जनहित याचिका दायर करके अनुरोध किया गया था कि महाराष्ट्र सरकार को, मंदिरों को आमजन के लिए पुन: खोलने का आदेश दिया जाए। यह याचिका वकील दीपेश सिरोया के जरिए दायर की गई।
सिरोया ने तर्क दिया कि राज्य सरकार मंदिर खोल सकती है और कोविड-19 लॉकडाउन के दिशा निर्देशानुसार एक समय में सीमित लोगों को पूजा करने की अनुमति दे सकती है।
पीठ ने सिरोया से सवाल किया कि वह निजी तौर पर किस मंदिर को ‘‘सबसे बड़ा’’ मानते हैं? इसके जवाब में वकील ने कहा, ‘‘सबसे बड़ा मंदिर मानवता है।’’
इसके बाद, पीठ ने कहा, ‘‘यदि आप मानवता से प्रेम करते हैं, तो इस प्रकार की प्रार्थनाओं के लिए दबाव न बनाएं।’’
कोविड-19 संक्रमण के मद्देनजर हालात मंदिरों को पुन: खोलने के अनुकूल नहीं हैं : अदालत
