प्रश्न काल का रद्द किया जाना लोकतंत्र की हत्या है- तृणमूल सांसद

नयी दिल्ली/कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस ने संसद के आगामी सत्र में प्रश्न काल के निलंबन को लेकर केंद्र सरकार पर बुधवार को हमला करते हुए आरोप लगाया कि सरकार नहीं चाहती है कि विपक्ष के सदस्यों को अर्थव्यवस्था और महामारी पर सवाल करने का अवसर दिया जाए।

संसद का मानसून सत्र 14 सितंबर से शुरू हो रहा है और यह एक अक्टूबर तक चलेगा। लोकसभा और राज्यसभा सचिवालयों की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार इस सत्र में प्रश्न काल नहीं होगा और निजी सदस्यों के विधेयक भी नहीं लिए जाएंगे, जबकि शून्य काल की अवधि सीमित होगी।

तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने इस संबंध में ट्वीट किया कि  सांसदों को संसद में प्रश्न काल वाले सवाल 15 दिन पहले जमा करने होते हैं। सत्र की शुरुआत 14 सितंबर से हो रही है। इसलिये प्रश्न काल रद्द हो गया? विपक्षी सांसदों का सवाल पूछने का अधिकार चला गया। 1950 के बाद पहली बार? जब संसद के कामकाज के घंटे पहले वाले ही हैं तो प्रश्न काल क्यों रद्द किया गया? लोकतंत्र की हत्या के लिए महामारी का बहाना।

उन्होंने इस ओर इशारा किया कि प्रश्न काल महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इस दौरान उठाए गए मुद्दों का जवाब संबंधित मंत्री देते हैं जबकि शून्य काल में ऐसा नहीं है।

तृणमूल सांसद ने कहा कि प्रश्न काल के दौरान सत्ता पक्ष के द्वारा भी सवाल उठाए जाते हैं और इस अवधि को निलंबित करने का कदम उठाकर सरकार “अपने सांसदों को भी सवाल पूछने का अवसर नहीं दे रही” है।

उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह है कि हम अर्थव्यवस्था और महामारी को लेकर कोई सवाल नहीं पूछ सकते हैं।

तृणमूल कांग्रेस ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि 1961 में 33वें, 1975 में 93वें, 1976 में 98वें और 1977 में 99वें सत्र में प्रश्न काल नहीं था क्योंकि ये सभी सत्र विशेष उद्देश्य – ओडिशा, आपातकाल की घोषणा, 44वें संशोधन, तमिलनाडु/नगालैंड में राष्ट्रपति शासन के लिये थे। आगामी मानसून सत्र नियमित सत्र है।


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