बीएसएफ के 36 बटालियन के पूर्व कमांडेंट व्यवसायियों और कस्टम अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई ने दर्ज किया एफआईआर
*आज भी सीबीआई का अभियान रहेगा जारी
*रिश्वत लेकर बांग्लादेश में करवाते थे अवैध गाय की तस्करी, पकड़े गए गायों की नीलामी में भी करते थे धांधली
*कई बीएसएफ अधिकारी और कस्टम अधिकारी है सीबीआई की रडार पर
कोलकाता, समाज्ञा : गाय तस्करी के मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने कोलकाता,मुर्शिदाबाद, सिलिगुड़ी सहित अन्य राज्यों में तलाशी अभियान चलाया। सीबीआई सूत्रों ने बताया कि बुधवार की सुबह से ही कोलकाता के साल्टलेक, राजारहाट, तपसिया, मुर्शिदाबाद के बहरमपुर, लालगोला और सिलिगुड़ी में सीबीआई की अलग – अलग टीम ने तलाशी अभियान चलाया। उक्त अभियान बीएसएफ के 36 बटालियन के पूर्व कमांडेंट सतीश कुमार सहित एफआईआर नामजद व्यक्तियों के आवास और ऑफिस में चलाया गया था। साल्टलेक के सिटी सेंटर २ के निकट ही सतीश कुमार का आवास है लेकिन रेड के दौरान वे वहां नहीं थे। सीबीआई अधिकारियों ने तलाशी अभियान चलाया और घर को सिल कर दिया। वहीं अन्य राज्यों यानी दिल्ली, रायपुर, अमृतसर और गाजियाबाद इलाके में भी इन अधिकारियों के यहां छापामारी अभियान चलाया गया। सीबीआई सूत्रों ने बताया कि मौके से कई दस्तावेज जब्त किए गए हैं। उनकी जांच की जा रही है। गुरुवार को भी यह तलाशी अभियान जारी रहेगा।
क्या है पूरा मामला
सीबीआई सूत्रों ने बताया कि गत 6 अप्रैल 2018 को एसीबी की टीम ने बीएसएफ के ३६ बटालियन के पूर्व कमांडेंट सतीश कुमार, उनके बेटे भुवन भास्कर और मो. एनामुल हक के खिलाफ प्राथमिक इंक्वायरी शुरू की गई थी। प्राथमिक इंक्वायरी में खुलासा हुआ था कि भारत से बांग्लादेश बड़ी संख्या में गायों की तस्करी की जाती है। ये तस्करी सीमा में तैनात अधिकारियों को रिश्वत देकर अवैध तरीके से की जाती थी। जांच में खुलासा हुआ कि वर्ष 2015 के 19 दिसंबर से 22 अप्रैल 2017 तक मालदा जिले में बीएसएफ के ३६ बटालियन के कमांडेंट के तौर पर सतीश कुमार तैनात थे जिनकी चार कंपनी मुर्शिदाबाद में और दो कंपनी मालदा में भारत – बांग्लादेश सीमा पर है और वे अवैध तस्करी से जुड़े हुए हैं।
कैसे दिया जा रहा था घटना को अंजाम
अपने कार्यकाल में सतीश कुमार ने 20 हजार से ज्यादा गायों को तस्करी के हाथों से बचाया था मगर आश्चर्य की बात यह रही कि इस दौरान ना कोई वाहन जब्त किया गया और ना ही कोई तस्कर गिरफ्तार किया गया था। जांच में सामने आया कि बीएसएफ और कस्टम अधिकारियों ने को. एनामुल हक, अनारुल शेख और मो. गुलाम मुस्तफा के साथ मिलकर जब्त किए गए गायों की लिस्ट में गड़बड़ी की। यानी जब्त किए गए गायों का साइज और उनकी नस्ल को कम दिखाया गया था। इतना ही नहीं इस लिस्ट के अनुसार सभी गायों को जब्त करने के 24 घंटे के भीतर ही मुर्शिदाबाद के जंगीपुर स्थित कस्टम स्टेशन के जरिए नीलाम कर दिया गया। चूंकि गायों की साइज और नस्ल को कम दिखाया गया था तो इससे कम कीमत पर ही उक्त व्यवसायियों ने खरीद लिया था। मगर इस नीलामी के कारण एनामुल हक को प्रति गाय के पीछे २ हजार रुपए बीएसएफ अधिकारियों को और प्रति गाय के पीछे 500 रुपए कस्टम अधिकारियों को दिया था। इतना ही नहीं आरोप है कि पूरे नीलामी की रकम का 10 प्रतिशत कस्टम अधिकारियों ने लिया था। वहीं गायों को चरने के एवज में भी अवैध तरीके से बीएसएफ के अधिकारियों ने हक से प्रति गाय 50 रुपया लिया था।
एनामुल हक के ऑफिस में कैसे मिला बेटे को काम
सीबीआई सूत्रों ने बताया कि जांच में देखा गया कि सतीश कुमार का बेटा भुवन भास्कर एनामुल हक के ऑफिस में कर्मचारी था। वर्ष 2017 के मई से दिसंबर महीने तक भुवन को 30-40 हजार रुपए वेतन दिए जाते थे। इससे भी यह खुलासा हो रहा है कि सतीश का एनामुल के साथ सांठ – गांठ था। इसके अलावा इन अधिकारियों के करीबी व्यवसायियों को ही नीलामी में हिस्सा लेने का अधिकार था। नीलामी से खरीदे कुछ गायों को स्थानीय मार्केट में बेचा जाता था तो कुछ गायों को अवैध तरीके से फिर से बांग्लादेश में तस्करी कर दी जाती थी। इसके बाद ही सीबीआई ने गत 21 सितंबर को पूर्व कमांडेंट सतीश कुमार, एनामुल हक, मो. गुलाम मुस्तफा, एनारुल शेख सहित कई बीएसएफ अधिकारियों और कस्टम अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया।