केंद्रीय टीम ने बंगाल में कोविड-19 मौत के कारणों की जांच करने वाली समिति के साथ बातचीत की इजाजत मांगी

कोलकाता : कोराना वायरस संकट से पैदा हुई स्थिति का आकलन करने के लिये कोलकाता का दौरा कर रही केंद्रीय टीम ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल सरकार को एक पत्र लिख कर कोविड-19 संक्रमण से होने वाली मौत के कारणों की जांच करने वाली समिति के कामकाज के बारे में एक विस्तृत ब्योरा मांगा। साथ ही, समिति के सदस्यों के साथ बातचीत करने की भी इजाजत देने की मांग की।
राज्य के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा को लिखे एक पत्र में वरिष्ठ अधिकारी अपूर्व चंद्रा के नेतृत्व वाली केंद्रीय टीम ने कोविड-19 रोगियों की मौत की घोषणा को चिकित्सकों की समिति द्वारा मंजूरी देने की प्रक्रिया के बारे में जानना चाहा है।
दरअसल, विभिन्न हलकों से ये आरोप लगे हैं कि राज्य सरकार कोरोना वायरस संक्रमण के मामले और इससे होने वाली मौत के आंकड़े छिपा रही है।
चंद्रा ने सिन्हा को लिखे पत्र में कहा, ‘‘ 23 अप्रैल को प्रधान स्वास्थ्य सचिव ने चिकित्सकों की समिति गठित किये जाने के लिये कुछ कारण बताये । साथ ही, यह भी जिक्र किया था कि यदि किसी कोविड-19 मरीज की मौत सड़क दुर्घटना में होती है, तो कोरोना वायरस संक्रमण से मरने वाला मरीज नहीं कहा जा सकता।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम (आईएमसीटी) ने सहमत करने वाली कोई वजह नहीं पाई।’’
टीम ने उन सभी कोविड-19 मरीजों का केस रिकार्ड मांगा है, जिनमें मौत का कारण समिति द्वारा कुछ और बताया गया है।
चंद्रा ने कहा, ‘‘हम यह जानना चाहते हैं कि क्या समिति भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) दिशानिर्देशों या मेडिकल प्रैक्टिस के अनुरूप है।’’
चंद्रा ने बृहस्पतिवार को कोलकाता में अस्पतालों और कुछ पृथक-वास के अपने दौरे का जिक्र करते हुए कहा कि मरीजों को भर्ती करने की प्रक्रिया अव्यवस्थित है और रोगियों के लिये प्रतीक्षा स्थल पर सामाजिक मेलजोल से दूरी का ध्यान नहीं रखा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि चित्तरंजन राष्ट्रीय कैंसर संस्थान और बांगुर अस्पताल के पृथक वार्डों में काफी संख्या में रोगी पाये गये, जो पांच दिनों या उससे अधिक समय से जांच के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं।
उन्होंने अपने पत्र में कहा, ‘‘यह स्पष्ट नहीं है कि जांच के नतीजे आने में इतना वक्त क्यों लग रहा है और अस्पताल में मौजूद अन्य लोगों को संक्रमण हो सकता है।’’
उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि एमआर बांगुर अस्पताल में सिर्फ 12 वेंटिलेटर हैं जबकि इसे 354 गंभीर मरीजों की देखभाल करनी है।
रोजाना जांच की संख्या 900 होने के बारे में चंद्रा ने दोबारा जांच और पहली बार जांच कराने वाले रोगियों की संख्या बताने को कहा है।
इस बीच, एक अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय टीम ने शुक्रवार को दुमुरजोला स्टेडियम का दौरा किया जहां एक पृथक-वास बनाया गया है। टीम हावड़ा में कोविड-19 के इलाज के लिये निर्धारित किये गये एक निजी अस्पताल भी गई। उन्होंने आसपास के इलाकों का भी दौरा किया।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी विनीत जोशी के नेतृत्व में आईएमसीटी की एक अन्य टीम उत्तर बंगाल के दौरे पर है।
भाषा

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