प्रश्नकाल पर दो दिन के विधानसभा सत्र की तुलना संसद के मानसून सत्र से करना अतार्किक और पक्षपातपूर्ण : तृणमूल

कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि पश्चिम बंगाल विधानसभा के आगामी दो दिवसीय सत्र में प्रश्नकाल नहीं होने की तुलना संसद के मानसून सत्र से प्रश्नकाल को हटाए जाने से करना ‘‘अतार्किक और पक्षपातपूर्ण है।’’पश्चिम बंगाल विधानसभा के अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने शुक्रवार को कहा था कि ‘‘कोविड-19 हालात और समय की कमी के मद्देनजर’’ नौ सितंबर से शुरू हो रहे राज्य विधानसभा के दो दिवसीय मानसून सत्र में प्रश्नकाल नहीं होगा।

भाजपा ने तृणमूल के इस कदम को दोहरा मानदंड बताया है। गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस ने संसद के मानसून सत्र में प्रश्नकाल नहीं रखने के केन्द्र के फैसले को ‘‘लोकतंत्र की हत्या’’ बताया था।विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस के मुख्य सचेतक निर्मल घोष ने कहा कि आलोचना अनावश्यक है। यह ना सिर्फ पक्षपातपूर्ण बल्कि अतार्किक भी है। दो दिन के (विधानसभा) सत्र और संसद के सामान्य सत्र में कोई तुलना नहीं है। और जहां तक बात प्रश्नों की है, तो लिखित प्रश्न स्वीकार किए जाएंगे या नहीं, इस पर फैसला आठ सितंबर को सर्वदलीय बैठक में होगा।

घोष के सुर में सुर मिलाते हुए राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ’ ब्रायन ने कहा कि ‘‘सेब और संतरे’’ की तुलना करना अनुचित होगा।ब्रायन ने कहा कि संसद के 18 दिन लंबे सामान्य मानसून सत्र की तुलना राज्य विधानसभा के दो दिन के सत्र के साथ करना, सेब की तुलना संतरे के साथ करने जैसा है। पांच दिन से कम के किसी संसद सत्र में प्रश्नकाल नहीं होता है। इस मामले में सिर्फ एक अपवाद है, 1962 में चीन युद्ध के समय आहूत विशेष सत्र। बंगाल का सत्र सिर्फ दो दिन का है।

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