हावड़ा में तेजी से पैर पसार रहा है कोरोना

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हावड़ा,समाज्ञा: राज्य में सबसे अधिक कोरोना संक्रमित क्षेत्रों में कोलकाता और उत्तर 24 परगना के बाद हावड़ा, तीसरे स्थान पर है। यहां संक्रमण को रोकना प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गयी है। हावड़ा में पिछले चार दिनों में 800 से अधिक संक्रमित मामले आए हैं और 19 लोग मारे गये। इसमें 30 जुलाई को सबसे अधिक मामला सामने आया। इस दिन 260 नए संक्रमित मामले आए जो अभी तक हावड़ा में एक दिन में सबसे अधिक संक्रमित है। नतीजतन, स्वाभाविक रूप से सवाल उठने लगा कि क्या हावड़ा में संक्रमण को रोकना संभव है? इस मामले में प्रशासनिक और पुलिस की सख्ती और निगरानी सही हो रही है?

लापरवाही का नतीजा, 91 पहुंचा कंटेनमेंट जोन

हावड़ा शहर और ग्रामीण को मिलाकर कुल 91 कंटेनमेंट जोन हो गए हैं। कई लोगों को अभी भी बिना मास्क के बाहर घूमते देखा जाता है। बाजारों, सड़कों और बसों में लोग सोशल डिस्टेंसिंग की अवहेलना करते हुए भीड़ लगा रहे हैं। लेकिन कंटेनमेंट जोन की संख्या बढ़ने पर लोगों के साथ ही प्रशासन पर भी लापरवाही का आरोप लग रहा है। आधिकारिक सूची के अनुसार, कंटेनमेंट जोन में सीतानाथ बोस लेन, माधव घोष लेन और उपेंद्रनाथ मित्रा लेन इलाके हैं। लेकिन उन सभी में प्रशासनिक नजरदारी की कमी है। आरोप है कि हावड़ा जैसे अत्यधिक संक्रमित जिले में कंटेनमेंट जोन में जितनी निगरानी की जानी चाहिए, ज्यादातर मामलों में कोई निगरानी नहीं है। इसके अलावा, कई जगहों पर नाम मात्र ही बैरिकेड्स हैं। साइकिल से बाइक तक सब कुछ साइड से यात्रा करने के लिए स्वतंत्र है। उसी के साथ पैदल लोग भी निकल जा रहे हैं। आरोप है कि यहां बाइक सवार अपनी मर्जी से बैरिकेड्स हटाकर यात्रा कर रहे हैं। यहां तक ​​कि खुद जिले के प्रशासनिक भवनों की स्थिति यानी जिला मजिस्ट्रेट के बंगले के सामने की सड़क (ऋषि बंकिमचंद्र रोड) की स्थिति भी वहीं है। आरोप है कि कोई पुलिसकर्मी‌ या सिविक वॉलेंटियर निगरानी के लिए‌ तैनात नहीं हैं। हालांकि ऋषि बंकिमचंद्र रोड और महात्मा गांधी रोड के मोड़ पर सभी जगह बैरिकेड हैं, जिनमें से कुछ खुले हैं। वहां भी निगरानी की कम है। नतीजतन, सवाल स्वाभाविक रूप से उठता है, क्या कंटेनमेंट जोन केवल निम मात्र है? क्या इस तरह से संक्रमण को रोकना संभव है?

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