फिजीक्स ओलंपियाड या डब्ल्यूबीजेईई को लेकर द्वंद्व में है जेईई की राज्य टॉपर श्रीमंति

दोनों परीक्षा एक ही दिन और समय पर होने से बढ़ी समस्या

देना चाहती हूं दोनों परीक्षाएं, सरकार निकाले कोई रास्ता

कोलकाता, समाज्ञा : शनिवार को ज्वाएंट एंट्रेंस एक्जामिनेशन (जेईई) मेन का परिणाम घोषित किया गया है। जनवरी 2020 में आयोजित हुई जेईई मेन की परीक्षा में 99.99 प्रतिशत अंक लाकर डीपीएस रूबी पार्क की छात्रा श्रीमंति दे ने पश्चिम बंगाल में पहला स्थान प्राप्त किया है। समाज्ञा से हुई खास बातचीत में श्रीमंति ने बताया कि उसके सामने अभी सबसे बड़ी समस्या यह है कि वह फिजीक्स ओलंपियाड और पश्चिम बंगाल ज्वाएंट एंट्रेंस एक्जामिनेशन (डब्ल्यूबीजेईई) में से किसी एक को कैसे चुने। दोनों परीक्षाएं ही 2 फरवरी को एक ही समय पर आयोजित होने वाली है। ऐसे में किसी एक को चुनने का अर्थ है दूसरी परीक्षा में अनुपस्थित रहना।

जेईई की राज्य टॉपर श्रीमंति

श्रीमंति बताती है कि मैं फिजीक्स ओलंपियाड के दूसरे चरण की परीक्षा देना चाहती हूं क्योंकि मैंने इतनी मेहनत से पढ़ाई करके ओलंपियाड के पहले चरण में सफलता प्राप्त की है। फिर मैं दूसरे चरण की परीक्षा कैसे छोड़ दूं। किन्तु डब्ल्यूबीजेईई देने पर मैं फाइनल परीक्षा में सुरक्षित रहूंगी। इसलिए इसे छोड़ना भी उचित नहीं होगा। ऐसे में मेरे लिए समस्या यह है कि मैं तय नहीं कर पा रही हूं कि किसमें हिस्सा लूं और किसे छोड़ दूं। मैं दोनों परीक्षाएं देना चाहती हूं। वह कहती है कि मैं निवेदन करूंगी कि सरकार इस तरफ ध्यान दे और यदि संभव हो तो किसी एक परीक्षा की तिथि को बदल दिया जाए। श्रीमंति ने आईआईटी बम्बई (मुंबई) में कम्प्यूटर इंजीनियरिंग में दाखिला लेने के बारे में सोचा है।

जेईई मेन में अपनी सफलता और परिश्रम के बारे में बताते हुए वह कहती है कि मैंने जेईई मेन की पढ़ाई मैंने 2 वर्ष पहले से शुरू की थी। रूटिन पढ़ाई जैसे विभिन्न कोचिंग सेंटर में जाना, कम से कम 6 घंटे की पढ़ाई आदि किया। मैंने कुछ स्थानीय कोचिंग संस्थानों से स्टडी मेटेरियल भी लिया। इस दौरान मेरे स्कूल डीपीएस रूबी पार्क ने भी मुझे पूरा सहयोग दिया। स्कूल प्रबंधन की तरफ से कभी भी मुझ पर 100 प्रतिशत उपस्थिति का दबाव नहीं डाला गया। स्कूल ने मुझे मेरे तरीके से अपनी पढ़ाई करने का पूरा मौका दिया। डीपीएस रूबी ने जेईई मेंस के पैर्टन के आधार पर ही हमारा ऑनलाइन परीक्षा भी लिया। साथ ही वह अपनी सफलता का श्रेय भी अपने स्कूल को ही देती है। वह कहती है कि अपनी सफलता का श्रेय नि:संदेह मैं अपने स्कूल डीपीएस रूबी पार्क को दूंगी। इसके साथ ही मैं अपनी मां सुष्मिता दे और पिता सुधांशु कुमार दे को भी अपनी सफलता का श्रेय दूंगी और खास तौर पर मेरी मां को। वह बताती है कि मैं जब भी दुखी होती थी या किसी कारण से तनाव में होती थी तब मेरी मां हमेशा मेरे साथ होती है। वह जिस तरह हमारे घर को संभालती है ठीक वैसे ही वह मुझे भी संभालती हैं। वह बताती है कि मेरे पिता ब्यूरो ऑफ इंडिया स्टैंडर्ड (बीआईएस) के लैब ऑफिसर के पद पर कार्यरत हैं। वे दोनों हमेशा हर परिस्थिति में मेरे साथ खड़े रहे हैं। उन्होंने कभी मुझ पर किसी बात का दबाव नहीं डाला है।

श्रीमंति अपना आदर्श पेप्सिको कंपनी की सीईओ इंदिरा नुई को मानती है। वह कहती है कि मैं जब 9वीं कक्षा में थी तब मुझे इंदिरा नुई के बारे में पता चला था। मैं उनके जैसा बनना चाहती हूं। मैं उन्हें ही अपना आदर्श मानती हूं। खाली समय में श्रीमंति को कहानी की किताबें पढ़ना बहुत अच्छा लगता है। कहानी की किताबें पढ़ने से उसका तनाव कम होता है। उसे आमतौर पर फिक्शन पढ़ना अच्छा लगता है।

अगले वर्ष जो विद्यार्थी जेईई की परीक्षा देंगे उनको सलाह देते हुए कहती है कि लगातार पढ़ाई करते रहना बहुत जरूरी होता है। एक दिन में बैठ कर पूरी पढ़ाई कर लेंगे ऐसा सोचने से नहीं होता है। इसलिए मेरा मानना है कि एक बार में बैठकर पूरी पढ़ाई कर लेने वाली सोच के स्थान पर लगातार पढ़ाई करना ज्यादा अच्छा होता है।

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