आयात शुल्क में वृद्धि के बाद एक बार फिर खिलौना व्यवसायियों के सिर पर आयी सिकन
* उत्पादन में इस्तेमाल किए जाने वाले सामग्रियों की दाम में सरकार करें कटौती : व्यवसायी वर्ग
अंकिता यादव
कोलकाता, समाज्ञा : बच्चों के लिए सबसे पसंदीदी चीज होती है खिलौना। जो रोते बच्चे को भी जो हंसा दे वह है उनका खिलौना। खिलौने बिना बच्चे का जीवन अधूरा सा होता है। फिल्मों में खिलौने को लेकर कई गाने भी बनाए गए जैसे खेल खिलौने वाला खेल खिलौने लेकर आया रे….ऐसे कई गाने है जो खिलौने पर अधारित हैं। खिलौने पर पहले ही आयात श्ाुल्क बढ़ी थी जिसके कारण खिलौने के दाम में उछाल आया था। इससे खिलौना व्यवसायी उबरने की कोशिश कर रहे थे कि कोरोना वायरस ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। दरअसल, चीन से फैले इस जानलेवा कोरोना वायरस के कारण आज पूरा देश इसका दंश झेल रहा है। वहीं चीनी सामानों को लेकर भय ने व्यवसाय पर भी छाप छोड़ना शुरू कर दिया है। इसका असर खिलौना व्यवसाय पर भी देखने को मिल रहा है। हम आपकों यहां बता दें कि केंद्रीय सरकार ने इस साल की बजट में खिलौने पर लगने वाली आयात शुल्क को 20 फीसदी से बढ़ाकर 60 फीसदी की घोषणा की थी। देसी सामानों की बिक्री बढ़ाने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया था। 20 फीसदी से सीधे 60 फीसदी की बढ़ोतरी का मतलब है 200 फीसदी आयात शुल्क का बढ़ना। इसके कारण खिलौना व्यवसाय पर काले बादल छाने लगे थे क्योंकि भारत में अधिकतर खिलौने विदेशों से ही आयात किये जाते हैं। इनमें चीन देश भी प्रमुख है जहां से खिलौने आयात किये जाते हैं। आयात श्ाुल्क बढ़ने से खिलौने की दामों में बढ़ोतरी स्वाभाविक है और दामों में बढ़ोतरी का असर बिक्री पर पड़ना भी लाजमी है। खिलौने की कम बिक्री ने खिलौने व्यवसायियोें की कमर तोड़ कर रख दी है। वहीं चीन के कोरोना वायरस के आतंक के कारण वहां से खिलौने सहित किसी भी सामान को आयात नहीं किया जा रहा है। दरअसल, चीन से आने वाली सामान बाजार में सस्ती दाम में मिल जाते थे जिससे ग्राहकों को भी सुंदर और आकर्षक खिलौने सस्ते दाम में मिलते थे। मगर आयात नहीं होने के कारण खिलौनों के दामों में वृद्धि देखी जा रही है और इसकी मार ग्राहक के साथ ही साथ खिलौना व्यवसायियों को झेलनी पड़ रही है।
देशी खिलौनों की क्वालिटी होती है खराब: व्यवसायी वर्ग
बड़ाबाजार का सबसे बड़ा मार्केट बागड़ी मार्केट है। वहां सूई से लेकर जहाज बनाने तक के सारे सामान एक ही छत के नीचे उपलब्ध होते हैं। इसी मार्केट में खिलौना बाजार भी है जहां हर प्रकार के सस्ते से लेकर महंगे खिलौने मिलते हैं। यहां के एक खिलौना व्यवसायी मजहर आरफीन का कहना है कि सरकार द्वारा आयात शुल्क में वृद्धि होने से खिलौनों की कीमत दुगनी हो गयी है। एक सामान कई हाथों से होकर हमारे पास पहुंचता है, इससे तो दाम और बढ़ जाता है। इससे पूरे खिलौने व्यवसायियों की हालत काफी खराब हो गयी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने भारत में निर्मित खिलौना व्यवसाय को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह कदम उठाया था। लेकिन हमारे यहां निर्मित खिलौनों की गुणवत्ता और उसकी फिनिशिंग बहुत खराब है। इसके कारण लोग खरीदना नहीं चाहते हैं। वहीं हमारे यहां खिलौनों को बनाने में काफी समय लग जाता है जिसके कारण सही समय पर सही माल नहीं पहुंच पाता है। वहीं दूसरी तरफ चीन में सभी चीजें जल्दी बनने के साथ-साथ चीन हर सामानों को डुप्लीकेट बनाने में माहिर होता है। वह महंगी खिलौने का हुबहू डुप्लीकेट खिलौना बना देता है और वह भी आधी से कम कीमत पर। इसके अलावा चीन से हमारे तक बहुत ही कम समय में माल पहुंच जाता है। उन्होंने बताया कि चीन में बनी खिलौनों की गुणवत्ता और फिनिशिंग हमारे यहां के खिलौनों की अपेक्षा काफी बेहतर होती हैं। साथ ही देखने में में भी काफी आकर्षित होती है जिससे इनकी मांग ज्यादा होती है।
सरकार खिलौना व्यवसायियों के लिए उठाये उचित कदम
कुछ व्यवसायियों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से चीन में फैले कोरोना वायरस के कारण वहां से खिलौनों का आयात पूरी तरह ठप है, जिसके कारण वहां से कोई खिलौने मार्केट तक नहीं पहुंच रहे हैं। पहले से मौज्ाूद स्टॉक को ही बेचा जा रहा है। यहां के व्यवसायी वर्ग का कहना है कि सरकार हमारे व्यवसाय के बारे में कुछ निर्णय ले और खिलौनों के उत्पादन में इस्तेमाल किए जाने वाले सामग्रियों की दाम में कटौती करें। ऐसा करने से हमारे देश में ही इन सामग्रियों के इस्तेमाल से बेहतर और आकर्षक खिलौने बनाये जा सकते हैं।