प्रवासी कामगारों का मुद्दा ही दुर्गा पूजा समितियों का है मुख्य विषय

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में अनेक दुर्गा पूजा समितियों ने 22 अक्टूबर से शुरू हो रहे पांच दिवसीय महोत्सव के लिये कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान प्रवासी कामगारों के घर लौटते समय उनके सामने आईं परेशानियों को इस बार का विषय बनाया है।वहीं दूसरी ओर कई समितियों ने दुर्गा पूजा आयोजन कोविड-19 योद्धाओं को समर्पित किया तो कई ने कोरोना वायरस को महिषासुर राक्षस के तौर पर दिखाया है, जिसका अंत मां दुर्गा करेंगी।

इस साल कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन से पैदा हुए आर्थिक संकट के चलते दुर्गा पूजा का आयोजन सादगी से किया जा रहा है, हालांकि कई दुर्गा पूजा आयोजक बीते वर्षों की तरह विषय आधारित पूजा आयोजन कर रहे हैं। इसमें पिछले 20 साल चली आ रही पंडालों को सजाने और जगमगाने की परंपरा शामिल है।

शहर के दक्षिणी इलाके में स्थित बारिशा क्लब ने इस बार प्रवासियों के मुद्दे को विषय बनाया है। क्लब ने एक महिला की प्रतिमा लगाई है जिसकी गोद में एक बच्चा है और दो बच्चे साथ में चल रहे हैं।

पूजा समिति के एक प्रवक्ता ने कहा कि वह हमारी दुर्गा है। मूर्ति में आठ अन्य हाथ भी दिखाई दे रहे हैं। यह मूर्ति प्रवासी कामगारों के दर्द, तकलीफों को बयां करती है, जो आर्थिक गतिविधियां बंद होने और आवागमन के साधन बंद के कारण उन्हें उठानी पड़ी। फिर भी प्रवासी कामगारों के कदम रुके नहीं। किसी ने अपने वाहनों से, तो किसी ने पैदल ही हजारों मील का सफर तय किया। इस दौरान उनका हौसला भी टूटा, लेकिन वे फिर खड़े होकर चल दिये। यह प्रवासियों के जज्बे को हमारा सलाम है। इसी तरह कई अन्य पूजा समितियों ने भी प्रवासी कामगारों की दिक्कतों को इस बार का विषय बनाया है।राज्य में इस बार करीब 37,000 दुर्गा पूजा आयोजन किए जा रहे हैं।

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