जहां से शुरू किया था व्यवसायिक सफर, वहीं इमामी ने स्थापित किया श्री सिद्धिविनायक का प्रारूप

अब महानगर में भी कर सकेंगे श्री गणेश के दर्शन

कोलकाता, समाज्ञा : ‘चैरिटी बिगिन्स एट होम’ यह कहना प्रसिद्ध इमामी ग्रुप के लिए कहना गलत नहीं होगा। इमामी ग्रुप ने इस प्रचलित कहावत को सच कर दिखाया है। जी हां, देश के जाने-माने उद्योगपतियों में से एक इमामी ग्रुप के संस्थापक राधेश्याम अग्रवाल और राधेश्याम गोयनका ने जिस स्थान से अपने व्यापार की शुरुआत की थी, आज वहीं भव्य श्री सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण किया गया है। यह मंदिर मुंबई स्थित श्री सिद्धिविनायक मंदिर के तर्ज पर बनाया गया है। हम बात कर रहे हैं बड़ाबाजार के 48बी, मुक्ताराम बाबू स्ट्रीट स्थित करीब दो सौ वर्ष पुराने ऐतिहासिक मल्लिक कोठी की, जहां से इमामी ग्रुप ने वर्ष 1968 से अपने कारोबार की शुरुआत की थी। इस संबंध में, इमामी फाउंडेशन के ट्रस्टी सुशील गोयनका ने बताया कि वर्ष 1968 में राधेश्याम अग्रवाल और राधेश्याम गोयनका ने यहां 200 वर्ग फीट की जगह से व्यापार की शुरूआत की थी। इसके बाद, जैसे-जैसे व्यापार में बरकत होती गयी, उससे जुड़े लोग भी सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गये। वर्ष 2005 में, इमामी ने अपने व्यापार के साथ इमामी फाउंडेशन के नाम से इसी स्थान से समाज सेवा का कार्य शुरू किया था। चूंकि, राधेश्याम अग्रवाल और राधेश्याम गोयनका का इस कोठी के साथ बरसों पुराना रिश्ता था और यहां से उनकी कई यादें जुड़ी हुई थी। अंत में, वर्ष 2015 में उन्होंने इस कोठी को खरीद लिया और वर्ष 2016 में इसका पुनरुद्धार करने की दिशा में कदम बढ़ाया।

इमामी के संस्थापक श्री राधेश्याम गोयनका

केवल मंदिर तक ही नहीं, किये जाएंगे कई सेवा मूलक कार्य

इस संबंध में, सुशील गोयनका ने मंदिर बनाने का मुख्य उद्देश्य के बारे में बताया कि जो भक्त मुंबई स्थित श्री सिद्धिविनायक मंदिर का दर्शन करने में विभिन्न कारणों से असमर्थ होते है, वे यहां (कोलकाता में) आसानी से उस मंदिर का दर्शन कर सकेंगे। इसलिए, इसे उस मंदिर के तर्ज पर बनाया गया है। दो सौ वर्ष इस पुरानी ऐतिहासिक मल्लिक कोठी के वास्तुकला पर विशेष जोर दिया गया है और इसे पहले की ही भांति रखा गया है। सुशील गोयनका ने आगे बताया कि मंदिर में स्थापित होने वाली श्री सिद्धिविनायक की प्रतिमा को मुंबई के श्री सिद्धिविनायक मंदिर के मूर्तिकारों ने तैयार किया है। यहां उस प्रतिमा की स्थापना उसी स्थान पर होगी, जहां मल्लिकों बाड़ी का पूजा घर हुआ करता था। मंदिर में भक्तों के परिक्रमा लगाने की उपयुक्त जगह की भी व्यवस्था की गई है। मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए पांच पुरोहितों के दल को नियुक्त किया गया है, जिसमें से तीन श्री सिद्धिविनायक मंदिर से आएंगे और दो पुरोहित उड़ीसा स्थित बालेश्वलर जगन्नाथ मंदिर से आएंगे। इसके साथ ही इमामी फाउंडेशन सामाजिक कार्यों में अपनी प्रतिबद्धता को निभाते हुए कई सेवामूलक कार्य भी करेंगे। इमामी फाउंडेशन ने भवन के भूतल पर जरूरतमंदों के लिए उच्च स्तरीय चिकित्सा एवं पहली मंजिल पर कक्षा 9 से 12 के विद्यार्थियों के लिए व्यवसायिक कोर्स का प्रशिक्षण देने की व्यवस्था भी की जाएगी जिसका 75 प्रतिशत शुल्क इमामी फाउंडेशन देगी। साथ ही, भवन की पहली मंजिल में एक संग्रहालय तैयार किया गया है जहां इमामी समूह की अब तक की गौरवपूर्ण यात्रा दर्शायी जायेगी।

मंदिर के अंदर का प्रांगण

सुरक्षा व अन्य व्यवस्था चाकचौबंद

सुशील गोयनका ने बताया कि भवन में पूजा-अर्चना से संबंधित कई कमंरें हैं, जिसमें प्रसाद वितरण, पूजन सामग्री, अतिथियों के ठरहने की व्यवस्था के अलावा और कई कमरें हैं। दिव्यांग व वरिष्ठ नागरिकों के लिए मंदिर में प्रवेश के लिए अलग व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, एक आपातकालीन ह्वील चेयर की भी व्यवस्था है। ताकि, उन्हें दर्शन करने में किसी प्रकार की असुविधा न हो। भवन में एक लिफ्ट एवं तीन दिशाओं में सीढ़ियां बनायी गई है। इसके अलावा, सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए पूरे भवन में 16 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। साथ ही, भवन की हर मंजिल पर महिलाओं व पुरूषों के लिए अलग-अलग टॉयलेट की व्यवस्था भी की गई है। मंदिर में पेयजल समेत अन्य आधारभूत सुविधाएं भी उपलब्ध करवायी गयी हैं।

आज होगी प्राण प्रतिष्ठा

मल्लिक कोठी में श्री सिद्धिविनायक के तर्ज पर बने इस मंदिर में आज शाम 4 बजे, प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कर पूरे विधि-विधान के साथ स्थापना की जाएगी। कल यानी बुधवार को, मंदिर में पूर्णाहुति दी जाएगी और आगामी 28 फरवरी की सुबह स्वामी चिदानंद सरस्वती, गोविंद देव गिरि, श्रीकांत शर्मा बालव्यास, अनुराग कृष्ण शास्त्री, कन्हैयाजी के पावन सान्निध्य में मंदिर का उद्घाटन किया जाएगा। मंदिर के उद्घाटन के बाद, आम लोग सुबह 6 बजे से 11 बजे तक और शाम 4 बजे से रात 9 बजे तक भगवान के दर्शन कर सकेंगे।

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