होली के रंगों की तरह रंग – बिरंगे नकली सैनिटाइजर की बाजार में है भरमार
बबीता माली
कोलकाता, समाज्ञा : कोरोना वायरस का संक्रमण दिन ब दिन और तेजी से बढ़ता जा रहा है। कोरोना के बढ़ते मामलों ने कोरोना से लड़ने वाले हथियार यानी मास्क, सैनिटाइजर, ऑक्सीमीटर, विटामिन सी की दवाइयों सहित कई चीजों की बिक्री में भारी उछाल ला दिया है। मांग बढ़ने के साथ ही इनकी कालाबाजारी भी शुरू हो गई है। सिर्फ कालाबाजारी ही नहीं बल्कि नकली सैनिटाइजर का भी बाजार में बोलबाला हो गया है। असली और नकली में फर्क भी मुश्किल हो गया है। ब्रांड कंपनियों की सैनिटाइजर ही फिलहाल विश्वास के काबिल है लेकिन ब्रांडेड के बिना मिलने वाले सैनिटाइजर नकली है। ऐसे ही एक मामला सामने आया जब गुरुवार को इजरा स्ट्रीट में दो दुकानों में इंफोर्समेंट ब्रांच (ईबी) की अधिकारियों ने नकली सैनिटाइजर बेचने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया। हालांकि सिर्फ इजरा स्ट्रीट ही नहीं बल्कि उसके निकट कैनिंग स्ट्रीट में भी नकली सैनिटाइजर बेचा जा रहा है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि कैनिंग स्ट्रीट में भी धड़ल्ले से नकली सैनिटाइजर बेचा जा रहा है। हालांकि शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाती है लेकिन बाद में फिर से धंधा चालू हो जाता है।
कई हॉकरों को पकड़ा भी गया है, माल भी किया गया है बरामद
पुलिस सूत्रों ने बताया कि कुछ दिनों पहले ही एक हॉकर को पकड़कर हेयर स्ट्रीट थाने लाया गया था। वह नकली सैनिटाइजर बेच रहा था। उसके पास से रंग – बिरंगे रंग के नकली सैनिटाइजर जब्त किए गए थे। पुलिस सूत्रों ने बताया कि सस्ते में और अपनी मर्जी से दाम निर्धारित कर नकली सैनिटाइजर बेचे जा रहे हैं। अभियान चलाने के बाद भी फिर से ये नकली सैनिटाइजर बेच रहे हैं। ईबी का अभियान इन पर लगाम कसेगा।
ब्रांडेड की तुलना में कम कीमत में बेचते हैं नकली सैनिटाइजर
पुलिस सूत्रों ने बताया कि अगर ब्रांड के सैनिटाइजर खरीदते है तो वह काफी महंगा होता है। मगर नकली सैनिटाइजर कम कीमत पर ही उपलब्ध हो जाते हैं। एक मामले का उदाहरण देते हुए एक सूत्र ने बताया कि एक अभियुक्त को नकली सैनिटाइजर के साथ पकड़ा गया था। उसने बताया कि ५ लीटर नकली सैनिटाइजर की कीमत ४५०-५०० रुपए होती है। इतने सस्ते में बेचने के पीछे कारण यह है कि ये लोग घटिया क्वालिटी के केमिकल का इस्तेमाल करते हैं। उसके अलावा स्पिरिट में कुछ रंग मिला देते हैं, इससे हाथों में ठंडक लगती है और लोगों को लगता है कि यह असली सैनिटाइजर है। कम कीमत के कारण लोग धड़ल्ले से इसकी खरीददारी भी करते हैं। वहीं असली सैनिटाइजर बनाने में काफी खर्च होता है जिससे इसकी कीमत भी ज्यादा होती है।
छापामारी से एक दिन पहले भी ईबी अधिकारी आए थे, लौटे थे बैरंग
वहीं नकली सैनिटाइजर बेचने के आरोप में गिरफ्तार राजीव पंजाबी और जियाउद्दीन बासा को सशर्त जमानत पर रिहा किया गया है लेकिन पुलिस जांच कर रही है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि छापा से एक दिन पहले ईबी अधिकारी उन दोनों के दुकान में आए थे लेकिन उस वक्त उन्हें बैरंग लौटना पड़ा था। मगर फिर दूसरे दिन ही फिर से छापा मारा गया और नकली सैनिटाइजर का भंडाफोड़ किया गया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि राजीव पंजाबी के खिलाफ कई तरह के मामले है और उस पर आरोप है कि वह लोगों को झूठे मामले में फंसाने की भी धमकी दिया करता है । आरोप है कि सैनिटाइजर बेचने की आड़ में वह पुलिसकर्मियों को भी धोंस दिखाया करता था। लॉक डाउन में भी वह यह कहकर दुकान खोलकर रखता था कि वह कोरोना से लड़ने का सामान बेच रहा है। हालांकि उसके पास कोई लाइसेंस भी नहीं है। उससे जब दस्तावेज दिखाने को कहा गया तो उसके पास कोई दस्तावेज नहीं मिला।