आशा देवी ने कहा, “मैंने अपनी बेटी की फोटो को गले लगाया।
नई दिल्ली
16 दिसंबर 2012 की रात निर्भया के साथ हैवानियत का गंदा खेल खेलने वालों चारों दरिंदों को फांसी दे दी गई है। सात साल बाद आज जाकर निर्भया और उनके परिवार वालों को न्याय मिला। दोषियों के लिए बीती रात बहुत ही भयानक रही और ये लोग पूरी रात सो नहीं पाए और बार-बार जेल कर्मियों से पूछते रहे कि क्या अदालत से कोई ऑर्डर आया है। फांसी से ठीक पहले निर्भया के चारों दोषियों में विनय की हालत सबसे खराब थी।आखिरी लम्हों में वह बचने की हर कोशिश करता दिखा। जेल के अधिकारियों के मुताबिक वह फूट-फूट कर रो रहा था, पैर पकड़ रहा था, गिड़गिड़ा रहा था। फांसी के लिए ले जाते समय वह वहां मौजूद 15 अधिकारियों, जिनमें जेल सुपरिटेंडेंट, डेप्युटी सुपरिटेंडेंड, हेड वार्डर व तमिलनाडु स्पेशल पुलिस फोर्स के अफसर शामिल थे, से गुहार लगाता रहा। वह एक बार अपने वकील से मिलने की जिद कर रहा। उसे उम्मीद थी कि वकील उसे फांसी से बचा लेगा।