छोटे करदाताओं को राहत देने से चूक गईं वित्त मंत्री : नारायण जैन

कोलकाता, समाज्ञा : वित्त मंत्री ने व्यक्तिगत करदाताओं के लिए टैक्स स्लैब और कर की दरों को बरकरार रखा है। अकेले आयकर अधिनियम में 79 संशोधन हैं, जिनका कर अनुपालन में काफी प्रभाव पड़ेगा। हालाँकि वित्त मंत्री ने कोई नया कर या कोविद उपकर नहीं लगाया है जैसा कि डर था।

वरिष्ठ नागरिकों द्वारा रिटर्न :

 वित्त मंत्री  ने अपने भाषण में घोषणा की कि 75 वर्ष या उससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को अपना रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि यह कैविएट्स के साथ आया है। ऐसे वरिष्ठ नागरिक के पास केवल पेंशन आय या ब्याज से आय होनी चाहिए, ऐसे बैंक से जिसमें उसे पेंशन या ब्याज मिलता है। यदि उसकी कोई अन्य आय है तो उसे अपना आयकर रिटर्न दाखिल करना होगा। उक्त बैंक को कर योग्य आय की गणना करनी होती है और अनुमन्य कटौती और छूट की अनुमति देने के बाद, बैंक को स्रोत पर कर भी काटना होता है। तब केवल रिटर्न दाखिल नहीं करने की राहत दी जाएगी।

किफायती आवास :  

31 मार्च 2021 के भीतर ऋण स्वीकृत होने पर होम लोन पर ब्याज के लिए 1.5 लाख रुपये की कटौती के लिए धारा 80ईईए में प्रावधान है, यह तारीख एक साल बढ़ा दी गई है। यह ध्यान दिया जा सकता है कि यह कटौती केवल पहली बार घर खरीदने वाले के लिए उपलब्ध है और ऐसे आवासीय घर का स्टांप शुल्क मूल्य 45 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए। करदाता को ऋण की मंजूरी की तारीख में किसी अन्य फ्लैट का मालिक नहीं होना चाहिए। एफएम को फ्लैट के मूल्य में कीमत की वास्तविकताओं पर विचार करते हुए एक करोड़ रुपये  कीमत वाले फ्लैट पर होम लोन पर ब्याज के लिए 1.5 लाख रुपये की कटौती  अनुमति देनी चाहिए।

 स्टांप ड्यूटी मूल्य पर कर के लिए सीमित अवधि की राहत :

यदि स्टांप ड्यूटी मूल्य और अचल संपत्ति की बिक्री मूल्य में अंतर है, तो वित्ता मंत्रा ने 20 प्रतिशत तक की सुरक्षित सीमा की अनुमति दी है, यदि स्थानांतरण 12 नवंबर 2020 से 30 जून, 2021 के दौरान हो। यह पहले दिए गए आश्वासन के अनुरूप है। हालाँकि 30 जून, 2021 की तारीख को कम से कम 5 साल तक बढ़ाया जाना चाहिए क्योंकि स्टैंप ड्यूटी वैल्यूएशन बाजार मूल्य से बहुत अधिक है। स्टांप ड्यूटी मूल्य तय करने के लिए कोई वैज्ञानिक तंत्र नहीं है।

समय सीमा में कमी :

कई प्रावधानों के लिए समय सीमा घटा दी गई है। कर निर्धारण वर्ष की समाप्ति से 3 महीने पहले या कर निर्धारण पूरा होने से पहले, जो भी पहले हो, रिटर्न को संशोधित किया जा सकता है। मौजूदा समय सीमा कर निर्धारण वर्ष के अंत तक थी। वित्तीय वर्ष के अंत से रिटर्न दाखिल करने के लिए जांच करके कर निर्धारण के लिए नोटिस भेजने की समय सीमा  घटाकर 3 महीने कर दी गई है। मौजूदा समय सीमा 6 महीने थी। यदि वित्त वर्ष 2020-21 में कोई रिटर्न दाखिल किया जाता है, तो संवीक्षा कर निर्धारण के लिए नोटिस 30 जून, 2021 के भीतर भेजा जा सकता है और उसके बाद नहीं। इसी तरह जिस वित्तीय वर्ष में रिटर्न दाखिल किया जाता है  उसके अंत से 9 महीने की समाप्ति के बाद इनकम टैक्स इंटिमेशन नहीं भेजी जा सकती। अभी टैक्स रिअसेसमेंट सामान्य तौर पर 6 साल और गंभीर मामलों में 10 साल के भी केस खोले जा सकते थे। अब इसे घटाकर सामान्य तौर पर 3 साल किया जा रहा है। गंभीर मामलों में जब एक साल में 50 लाख से ज्यादा की इनकम छिपाने की बात होगी, तभी 10 साल तक केस खोले जा सकेंगे। कमिश्नर ही इसकी मंजूरी देंगे।        

यदि किसी असेसमेंट को फिर से खोलने का प्रस्ताव है तो करदाता को अवसर प्रदान करने के लिए एक नया धारा  148ए डाला गया है। इनकम टैक्स सर्च के मामलों में असेसमेंट अब धारा 153ए या 153सी के तहत 31 मार्च 2021 के बाद की गई सर्च के मामले में नहीं किया जाएगा। ये सामान्य असेसमेंट प्रक्रिया के अनुसार या पुनर्मूल्यांकन के माध्यम से पूरे किए जाएंगे। टीडीएस का दायरा बढ़ाया गया है। यदि कोई व्यक्ति अपनी रिटर्न दाखिल नहीं करता है  तो ऐसी स्थिति में टीडीएस की दर दोगुनी या 5 प्रतिशत होगी, जो भी अधिक हो ।

डिविडेंड पेमेंट पर अब टीडीएस नहीं लगेगा :

नेशनल फेसलेस अपीलेट ट्रिब्यूनल का गठन फेसलेस असेसमेंट और अपील की लाइन पर किया जाएगा। एक विवाद समाधान समिति का गठन किया जाएगा जिसमें 50 लाख रुपये तक की आय वाले लोग जा सकेगे, जिनकी विवादित आय 10 लाख रुपये हो ।

विवाद से विस्वास योजना :

सीबीडीटी ने 31 जनवरी, 2021 को जारी एक अधिसूचना द्वारा विवाद से विस्वास योजना के तहत घोषणा पत्र दाखिल करने की तारीख 28 फरवरी 2021 तक बढ़ा दी गई है। वित्ता मंत्रा ने बताया कि 85,000 करोड़ रुपए के कर विवाद हाल ही में समाप्त हुए हैं। प्रत्यक्ष कर पेशेवर एसोसिएशन ने विस्तार का स्वागत किया है।

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