नहीं जलाएंगे आग तो इष्ट देव को कैसे चढ़ाएंगे भभूत : नागा बाबा

मनाही के बावजूद धड़ल्ले से जल रही है धूनी और लकड़ी का चुल्हा

कोलकाता : ‘सारे तीर्थ बार-बार, गंगासागर एक बार’ का नारा लगाते हुए श्रद्धालुओं और तीर्थ यात्रियों का आउट ट्राम घाट पर आने का सिलसिला शुरू हो चुका है। यहां अब तक लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच चुके हैं और अगले 2-3 दिनों में यहां और भी श्रद्धालु पहुंचेंगे। वहीं पर्यावरण प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष आउट्राम घाट पर किसी प्रकार लकड़ी जलाने पर रोक लगायी गयी है। कुछ वर्ष पहले तक गंगासागर की यात्रा पर विभिन्न राज्यों से आने वाले तीर्थ यात्री अपने साथ बर्तन व खाना पकाने के सामान के साथ ही स्टोव आदि लाते थे जिस पर वे खुद खाना पकाते थे। किन्तु इस वर्ष आउट्राम ट्राम घाट पर चुल्हा तक जलाने की अनुमति नहीं है। इसके बावजूद यहां आने वाले नागा साधु ना सिर्फ अपनी धुनी रमा रहे हैं बल्कि कुछ शिविरों के सामने लकड़ी के चुल्हे पर दुध उबालने का भी नजारा दिखा।

आग जलाना हमारी मजबूरी

हिमाचल प्रदेश से आये नागा साधु बाबा संतोष गिरी का कहना है कि आग जलाना हमारी मजबूरी है। हम भगवान पर भभूत चढ़ाते हैं और उसी भभूत को अपने शरीर पर मलते हैं। इस भभूत के कारण ठंड से हमारी रक्षा होती है। भभूत तैयार करने के लिए लकड़ी जलाना ही होगा, अन्यथा राख नहीं बन सकेगी। उन्होंने कहा कि लकड़ी जलाने पर उस आग को सेंक कर भी हम ठंड से बचते हैं। बाबा संतोष गिरी का कहना है कि अभी तक मेला प्रबंधन या सरकार की तरफ से किसी ने आकर आग जलाने से हमें रोका नहीं है। उन्होंने बताया कि मैं गंगासागर से घुमकर तब आउट्राम ट्राम घाट आया हूं। यहां शिविर समाप्त हो जाने के बाद वापस हिमाचल चला जाऊंगा। अन्य वर्ष तो 25 दिसंबर तक मैं आउट्राम घाट आ जाता हूं किन्तु इस वर्ष थोड़ी देर हो गयी है। इस वर्ष मैं 1 जनवरी को आउट्राम घाट आया, इसलिए अपनी धूनी रमाने के लिए अच्छी जगह नहीं मिली। 

स्वयं सेवी संस्था नहीं जलाती है चुल्हा

गंगासागर तीर्थ यात्री संघ समिति के अध्यक्ष तारकनाथ त्रिवेदी का कहना है कि आग जलाकर धूनी रमाने वाले अधिकांश लोग साधु-महात्मा हैं। इसलिए उन्हें रोका नहीं जा सकता है। किन्तु स्वयं सेवी संस्था के लोग लकड़ी के चुल्हे पर खाना नहीं पकाते हैं। सभी सेवा शिविरों में एलपीजी पर खाना पका रहे हैं। वहीं केएमसी के कंट्रोल रूम के अधिकारियों का कहना है कि हम लगातार आग नहीं जलाने का अनुरोध करते हुए माईकिंग कर रहे हैं, किन्तु कोई हमारी बात नहीं मान रहा है। श्रद्धालुओं को अनुरोध करने के अतिरिक्त और कुछ हम कह भी नहीं पाते हैं।

तीर्थ यात्रियों की सुविधाओं के लिए केएमसी है तत्पर

कोलकाता : आउट्राम घाट पर सामाजिक संस्थाओं के साथ ही कोलकाता नगर निगम भी तीर्थ यात्रियों की सुविधाओं का ख्याल रखने के लिए पूरी तरह से तत्पर है। केएमसी के कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के अनुसार पूरे आउट्राम घाट पर केएमसी के तरफ से जल, मेडिकल और वेस्ट एंड सॉलिड के कंट्रोल रूम बैठाए गए हैं। जिसमें 3 शिफअट में 150 से 200 वॉलेंटिर काम कर रहे हैं। केएमसी द्वारा दिये गये निर्देशों के अनुसार 18 जनवरी तक तीर्थ यात्रियों को सेवाएं उपलब्ध करवानी है। बताया जाता है कि 8 जनवरी से यहां रोजाना 20-25 टैंक पीने का पानी मंगवाया जाता था किन्तु शिविरों में लोगों के बढ़ जाने के बाद इस शनिवार से 50-60 टैंक पीने का पानी मंगवाया जा रहा है। बताया जाता है कि यहां पानी का सप्लाई, स्वास्थ्य और एडब्ल्यूएएम तीनों विभाग मिलाकर कुल 150-200 वॉलेंटियर प्रतिदिन काम कर रहे हैं। 

Story – मौमिता भट्टाचार्य 

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