पबजी जैसे खेल बच्चों की सोच को नकारात्मक बना रहे :वैज्ञानिक

बेंगलुरु : वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि ऑनलाइन गेम ‘पबजी’ बच्चों को अपराध की दुनिया से परिचित करा रहे हैं और उनकी सोच को नकारात्मक बना रहे हैं।
खासतौर पर बच्चों के लिये ऑनलाइन गेम के सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय मानदंडों और नियमों का अनुपालन करने को सुनिश्चित करने की मांग के मद्देनजर यह विचार प्रकट किया गया है।
खबरों के मुताबिक एक ‘मल्टी प्लेयर कॉम्बैट गेम’ का आदी हो चुके 22 वर्षीय एक व्यक्ति ने पिछले महीने महाराष्ट्र के यवतमाल जिला स्थित अपने घर में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। साथ ही राजस्थान के कोटा में रात भर पबजी खेलेने के बाद 14 साल के एक लड़के ने अपनी जान ले ली।
पिछले साल महाराष्ट्र में ठाणे जिला स्थित भिवंडी के 15 वर्षीय एक किशोर ने मोबाइल फोन पर पबजी खेलने को लेकर बड़े भाई के डांटे जाने पर कथित तौर पर उसकी हत्या कर दी।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष जी माधवन नायर ने शुक्रवार को कहा कि पबजी नुकसान पहुंचाने के अलावा कुछ नहीं देता।
उन्होंने इस पर प्रतिबंध लगाने की चल रही मांग के बारे में पूछे जाने पर कहा कि यह बच्चों को अपराध और युद्ध की दुनिया से रूबरू कराता है। यह इसे खेलने वालों, खासतौर पर बच्चों का कौशल या बौद्धिक क्षमता नहीं बढ़ता।
उन्होंने कहा कि इस खेल में जीत हासिल होने तक इसे खेलते रहने की प्रवृत्ति होती है। यह इसकी लत लगने की प्रक्रिया और समय की बर्बादी है। यह सिर्फ आपराधिक मानसिकता विकसित करता है।
उद्योग संगठन एसोचैम ने कहा है कि कोई भी ऑनलाइन गेम के लिये, खासतौर पर बच्चों के लिये, सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का अवश्य ही अनुपालन होना चाहिए।
सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग के दिग्गज टी वी मोहनदास पाई ने कहा कि जब तक ये खेल निर्धारित नियमों का पालन करते हैं , उन्हें प्रतिबंधित करने की जरूरत नहीं है।
आईटी कंपनी इंफोसिस लि. के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी ने हालांकि यह भी कि अभिभावक के नियंत्रण, उपयोगकर्ता के डेटा की निजता और स्थानीयकरण, पहचार की चोरी आदि को लागू करने की बारी आती है तो इस तरह के ऑनलाइन गेम तैयार करने वाले लोगों को भी अवश्य की जवाबदेह ठहराना चाहिए।

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