हेमंत सोरेन ने ली 11वें मुख्यमंत्री पद की शपथ

रांचीः झारखंड की सियासत में एक नए सूरज का उदय हो गया है। झारखंड विधानसभा चुनाव में महागठबंधन बनाकर बीजेपी की बादशाहत को खत्‍म करने वाले हेमंत सोरेन ने आज मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ली। भाई की मौत के बाद परिस्थितिवश राजनीति में कदम रखने वाले हेमंत सोरेन अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं। 19वीं सदी के आदिवासी नायक बिरसा मुंडा और बाबा साहेब को अपना आदर्श मानने वाले हेमंत सोरेन जीत के बाद साइकिल चलाते दिखे। यही नहीं उन्‍होंने फूलों के बुके की जगह ‘बुक’ देने की अपील कर लोगों का दिल छू लिया।


मगढ़ जिले के नेमरा गांव में शिबू सोरेन ऊर्फ गुरुजी और रूपी के घर 10 अगस्त, 1975 को पैदा हुए हेमंत सोरेन ने बीआईटी मेसरा से मकैनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई की है। 2005 में विधानसभा चुनावों के साथ उन्होंने चुनावी राजनीति में कदम रखा जब वह दुमका सीट से मैदान में उतरे थे। हालांकि, उन्हें पार्टी के बागी नेता स्टीफन मरांडी से हार झेलनी पड़ी। इसके बाद 2009 में बड़े भाई दुर्गा की मौत ने हेमंत की जिंदगी में बड़ा मोड़ ला दिया। दुर्गा को शिबू सोरेन का उत्तराधिकारी माना जाता था लेकिन किडनी खराब हो जाने से उनकी असमय मौत हो गई।


हार से जीत तक का सफर
उसी समय चिरुडीह हत्‍याकांड में शिबू सोरेन को दोषी ठहराया गया। मजबूरी में शिबू सोरेन को हेमंत सोरेन को अपना उत्‍तराधिकारी बनाना पड़ा। हेमंत सोरेन राज्य सभा के सांसद के तौर पर 24 जून, 2009 से लेकर 4 जनवरी, 2010 के बीच संसद पहुंचे। सितंबर में वह बीजेपी/जेएमएम/जेडीयू/एजेएसयू गठबंधन की अर्जुन मुंडा सरकार में झारखंड के उपमुख्यमंत्री बने। इससे पहले वह 2013 में राज्य के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने और दिसंबर 2014 तक इस पद पर रहे। वर्ष 2014 में राज्‍य में बीजेपी की सरकार बन गई और हेमंत सोरेन नेता प्रतिपक्ष बने।


झारखंड में 20 दिसंबर को खत्‍म हुए विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन जेएमएम-कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के गठबंधन का चेहरा थे। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने आदिवासियों से जुड़े कानून में प्रस्तावित संशोधन का विरोध किया और 70,000 से ज्यादा अस्थायी शिक्षकों का नियमन करने का समर्थन किया। उन्होंने रघुबर दास सरकार पर खुदरा शराब बिक्री और सरकारी स्कूलों के विलय को लेकर निशाना साधा। जेएमएम के नेतृत्‍व वाले गठबंधन ने राज्‍य की कुल 81 सीटों में से 47 सीटों पर कब्‍जा कर लिया।


अपनी राजनीतिक यात्रा के दौरान हेमंत सोरेन ने जेएमएम के वरिष्‍ठ नेताओं जैसे स्‍टीफन मरांडी, सिमोन मरांडी और हेमलाल मुर्मू को साइडलाइन कर दिया जिससे उन्‍हें पार्टी छोड़ने को मजबूर होना पड़ा। मुर्मू और सिमोन मरांडी ने बीजेपी जॉइन कर लिया और स्‍टीफन मरांडी ने बाबूलाल मरांडी के साथ मिलकर अपनी अलग पार्टी बना ली। बाद में स्‍टीफन मरांडी जेएमएम में वापस लौट आए और हेमंत सोरेन को अपना नेता स्‍वीकार कर लिया।


बेहद सादगी पसंद नेता हैं हेमंत सोरेन
वर्ष 2006 में शादी के बंधन में बंधे हेमंत सोरेन की पत्‍नी का नाम कल्‍पना सोरेन हैं। कल्‍पना सोरेन ने इंज‍नियंरिंग की पढ़ाई की है और रांची में स्‍कूल चलाती हैं। हेमंत के दो बेटे विश्‍वजीत और नितिन हैं। आदिवासी समुदाय से ताल्‍लुक रखने वाले हेमंत सोरेन बेहद सादगी पसंद नेता माने जाते हैं। चुनाव में शानदार जीत के बाद जश्‍न मनाने की बजाय वह साइकल चलाते नजर आए थे। जीत के बाद बुके की जगह बुक देने का अनुरोध कर हेमंत ने लोगों का दिल जीत लिया।
हेमंत सोरेन ने लिखा, ‘साथियों, मैं अभिभूत हूं झारखंडवासियों के प्यार और सम्मान से। लेकिन मैं आप सबसे एक प्रार्थना करना चाहूंगा कि कृपया कर मुझे फूलों के ‘बुके’ की जगह ज्ञान से भरे ‘बुक’ मतलब अपने पसंद की कोई भी किताब दें। मुझे बहुत बुरा लगता है कि मैं आपके फूलों को संभाल नहीं पाता।’ उन्‍होंने कहा, ‘आप अपने द्वारा दिए गए किताबों में अपना नाम लिख कर दें ताकि जब हम आपकी किताबों को संभाल एक लाइब्रेरी बनवाएंगे तो आपका प्रेमभरा यह उपहार हमेशा हम सभी का ज्ञानवर्धन करेगा।’

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