लखनऊः देशभर में एनआरसी को लेकर चल रही तीखी बहस और विरोध प्रदर्शनों के बीच समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ऐलान किया है कि वह एनपीआर में अपना पंजीकरण नहीं कराएंगे। अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी यह नहीं तय करेगी कि कौन भारत का नागरिक है और कौन नहीं। उन्होंने कहा कि नौजवानों को रोजगार चाहिए न कि एनपीआर।
एसपी अध्यक्ष अखिलेश ने रविवार को मीडिया से बातचीत में कहा, ‘आजकल ब्रेकिंग न्यूज चल रही है चश्मा । नौजवान आज सब समझ रहे हैं। समाजवादी मुकदमे से नहीं डरते। जब सीएम अपने मुकदमे वापस ले रहे हैं, तब मुकदमे किया जा रहा है।’ उन्होंने कहा कि राज्य में सरकार बनते ही नौजवानों के ऊपर लादे गए मुदकमे हम वापस लेंगे।
‘बीजेपी के लोग तय नहीं करेंगे कि हम नागरिक हैं या नहीं’
अखिलेश ने कहा, ‘हम संविधान बचाना चाहते हैं लेकिन जिनसे मुकाबला है वे संविधान को कुछ नहीं समझते। नौजवानों को रोजगार चाहिए या एनपीआर?’ उन्होंने कहा, ‘बीजेपी के लोग तय नहीं करेंगे कि हम नागरिक हैं या नहीं। महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में रास्ता दिखाया था। उन्होंने कुछ कार्ड जला दिए थे। यहां हम पहले होंगे जो एनपीआर का फॉर्म नहीं भरेंगे, मैं कोई फॉर्म नहीं भरने जा रहा।’
एसपी नेता ने आरोप लगाया कि सीएम योगी आदित्यनाथ अपनी कुर्सी बचाने के लिए अन्याय कर रहे हैं। सारी सीसीटीवी फुटेज और वीडियो मौजूद हैं। सरकार बनने पर हम जांच करेंगे और जो दोषी होंगे, उन पर कार्रवाई करेंगे। बीजेपी बताए कि बदायूं में पुलिस अफसर की हत्या के मामले में कितनी वसूली की गई?
एनपीआर क्या है?
नैशनल पॉपुलेशन रजिस्टर भारत में रहने वाले सामान्य निवासियों का एक रजिस्टर है। यह यहां रहने वाले लोगों का रजिस्टर है। इसे ग्राम पंचायत, तहसील, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है। नागरिकता कानून, 1955 और सिटिजनशिप रूल्स, 2003 के प्रावधानों के तहत यह रजिस्टर तैयार होता है। एनपीआर को समय-समय पर अपडेट करना एक सामान्य प्रक्रिया है और इसका उद्देश्य देश में रह रहे लोगों का अपडेटेड डेटाबेस तैयार करना है ताकि उसके आधार पर योजनाएं तैयार की जा सकें।