वैश्विक आर्थिक मंदी के दौर में विमानन क्षेत्र में कहीं धूप तो कहीं छांव

* कोई कंपनी कमा रही है फायदा तो किसी ने झेलना शुरू किया नुकसान की मार

मौमिता भट्टाचार्य

कोलकाता : पिछले कुछ महीनों से केवल भारत ही नहीं बल्कि विश्व के लगभग हर देश में आर्थिक मंदी का दौर आया हुआ है। भारत में जहां वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान कई कंपनियों का दिवाला निकल चुका है, वहीं आर्थिक मंदी की मार झेल रहे कई तकनीकि कंपनियों ने अगले वर्ष कर्मचारियों की छंटाई की घोषणा कर दी है। आर्थिक मंदी की मार से विमानन (एविएशन) क्षेत्र भी अछुता नहीं रहा है। वित्तीय वर्ष 19-20 की तरह इस क्षेत्र में भी कहीं उन्नीस तो कहीं बीस जैसी स्थिति है।

* कोई काट रहा चांदी तो कहीं शुरू घाटों का दौर

विमानन (एविएशन) कंपनियों के नुकसान के संबंध में लोगों का ध्यान उस समय आकर्षित हुआ जब किंगफिशर एयरलाइंस के तर्ज पर जेट एयरवेज ने अचानक बंद होने की घोषणा कर दी। इसके बाद से ही विमानन कंपनियों के घाटे में जाने की खबरें समाचार पत्रों की सुर्खियां बनने लगी। ऐसा नहीं है कि वैश्विक आर्थिक मंदी के इस दौर में सभी विमानन कंपनियां नुकसान उठा रही हैं। इस दौर में भी कुछ कंपनियां जैसे इंडिगो, गो एयर, स्पाईस जेट  आदि हैं जो बहुत अधिक फायदा तो नहीं उठा रही हैं, किन्तु वे नुकसान में भी नहीं है। वहीं दूसरी तरफ हाल ही में लॉन्च हुई विस्तारा और एयर इंडिया जैसी कुछ कंपनियां लंबे समय से नुकसान उठा रही हैं, तो कुछ ने पिछले वित्तीय वर्ष से नुकसान उठाना शुरू किया है।

* एविएशन फ्यूल की कीमतों में बढ़ोतरी है घाटे का प्रमुख कारण

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) की ज्यादा लागत, दिन-प्रतिदिन बढ़ती प्रतियोगिता और वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण विमानन कंपनियों के आय और व्यय में काफी अंतर आ रहा है। विमानन कंपनियों के घाटे में जाने के प्रमुख कारण के तौर पर पिछले कुछ वर्षों के दौरान एविएशन फ्यूल की कीमतों का अत्यधिक बढ़ जाना और रूपए के मुल्य में गिरावट को माना जा रहा है। 

* पिछले वित्तीय वर्षों के आंकड़ों पर एक नजर  (रूपए करोड़)

एयर इंडिया      वर्ष                   आय                             व्यय                            लाभ/नुकसान

                   2015-16        199923.3                 198873.3                 1050 (+)

                        2016-17        218596.1                 215615.9                 2980.2(+)

                        2017-18        230036.7                 246617.4                 16,580.7(-) 

इंडिगो             2015-16        161399.1                 136370.7                 25028.4 (+)

                        2016-17        185805                     168897                     16908 (+)

                        2017-18        230208.9                 204442.5                 25766.4 (+)

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