शेरदिल की कहानी आदमी, जानवर व जंगल के बीच की कहानी है : पंकज त्रिपाठी

समाज्ञा संवाददाता, चंदन राय


महानगर में जाने माने अभिनेता पंकज त्रिपाठी अपनी नई फिल्म शेरदिल : द पीलीभीत सागा के प्रमोशन के दौरान कोलकाता के लुत्फ उठाते हुए भी नजर आए। इस प्रमोशन के दौरान पंकज त्रिपाठी से बातचीत करने का मौका मिला। उन्होंने फिल्म के बारे में बताया। जंगल में हुए शूटिंग के अनुभवों को साझा किया। फिल्म और अन्य विषयों पर पंकज त्रिपाठी के साथ पेश है बातचीत के अंश..

रन मूवी में सिर्फ दो मिनट का रोल और आज मुख्य किरदार के तौर पर काम करना। यह पूरा सफर कैसे था?

सफर काफी अच्छा था। ये सफर बताता है कि आप शुरू कहां से करते हैं इससे ज्यादा मायने रखता है कि आप इसे खत्म कहां करते हैं। कभी भी रेस की शुरू में परेशान न हो हमेशा ध्यान रखें की रेस का एंड कहां करना है और केसे करना है।

यह सच्ची घटनाओं पर आधारित बनी फिल्म है। आपके पास यह फिल्म कैसे आयी?

मुझे डायरेक्टर श्रीजीत दा ने इस फिल्म की कहानी सुनाई थी। इसमें आदमी, जानवर और जंगल के बीच की लड़ाई है। यह लड़ाई क्यों है, इसका समाधान क्या है? इस पूरी कहानी को थोड़े व्यंग्य के साथ, ब्लैक कॉमेडी के साथ फिल्म में दिखाया गया है। एक आदमी तय करता है कि मैं बाघ से मरने जाऊंगा ताकी सरकार से मुआवजा मिलेगा। ये मुद्दा काफी जरूरी है इस चीज को सटायरिकल तरीके से दिखाया गया है।

आप फिल्मों को चुनते वक्त क्या देखते हैं?

मैं पहले देखता हूं कि इस कहानी का मकसद क्या है। डायरेक्टर क्या बताना चाहता है। इसमे मनोरंजन कितना है, और बन कर कैसे आएगी। ऐक्टिंग मेरी रोजी रोटी है, ताकी मेरा जीवन ठीक चले। ऐक्टिंग मेरा जीवन नहीं है। मेरा जीवन कुछ और है जंगल में जाना, घूमना, पहाड़ पर जाना, दुनिया देखना है। मां बाबूजी के लिए सब करना है। मेरा जब भी मन करता है गांव भाग जाता हूं।

इस फिल्म की शूटिंग जंगल में हुई थी। जंगल में काम करने का अनुभव कैसा था?

बहुत बढ़िया अनुभव था। जंगल में मौसम के हिसाब से सब होता है। लाइटिंग सबसे महत्वपूर्ण रोल है। जंगल में शांति बहुत थी। मुझे जंगल बहुत पसंद है, मैं वहीं चटाई बिछा के सो जाता था वैन में नहीं सोता था। मुझे बहुत आनंद आया।

जंगल में शूट के दौरान की कोई यादगार घटना?

हम जंगल में करीब 18 से 20 दिन थे। वो सारे दिन ही यादगार है। ऑक्सीजन भरपूर लेते थे, ऐसा लगता था जैसे अंदर से नहा लिया हो।

श्रीजीत मुखर्जी और पूरी शेरदिल टीम के साथ काम करना कैसा रहा?

बहुत ही शानदार था। सेट पर एक खुशी का माहौल बना रहता था जो फिल्म में भी दिखेगी और उम्मीद करते है कि लोगों को 24 जून को पसंद भी आएगी।

हमने सुना है इस फिल्म में आपकी पत्नी ने भी एक रोल किया है। उनको कैसे मनाया अभिनय के लिए?

हां, एक शॉट में हैं। उनका बहुत ही छोटा सा रोल है, और हां उन्हें मैंने नहीं मनाया। हमारे डायरेक्टर श्रीजीत दा ने उन्हें बोला आ जाओ और वो आ गई।

आपकी सादगी से जीने का तरीका लोगों के दिल तक पहुंचती है। इस चकाचौंध भरी इंडस्ट्री में रहने के बावजूद आपने ये सादगी कैसे बरकरार रखी?

इसके लिए अलग से कुछ नहीं करना पड़ता। सूरज सबको बराबर प्रकाश देता है प्रकृति ने हमें कहां बांटा है? वैसे भी मुझे ज्यादा तड़क भड़क पसंद नहीं हैं।

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