देखना होगा कि नीतीश कुमार कब तक कृपा के बोझ तले रहेंगे :शिवसेना

मुंबई: शिवसेना ने बिहार चुनाव में तीसरे नंबर पर रही पार्टी के लिए मुख्यमंत्री पद की ‘कुर्बानी’ को लेकर भाजपा तंज कसा और कहा कि पिछले साल महाराष्ट्र चुनाव के बाद भगवा दल ने उसके लिए ऐसा करने से इंकार कर दिया था।शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में लिखे संपादकीय में कहा गया है कि यह देखने वाली बात होगी कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कब तक ‘ कृपा के बोझ तले रहेंगे’ या वह नया मार्ग चुनेगें।

बिहार में हाल में 243 सीटों पर आयोजित विधानसभा चुनाव का परिणाम घोषित किया गया। इस चुनाव में भाजपा को 74 सीटों पर जीत हासिल हुई, वहीं सहयोगी पार्टी जद(यू) को 43 सीटों पर जीत मिली। राजद राज्य में 75 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है।पिछले साल महाराष्ट्र चुनाव में भाजपा को 105 सीटों पर जीत मिली थी और उसकी सहयोगी पार्टी शिवसेना को 56 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। हालांकि मुख्यमंत्री पद को साझा करने की मांग पर मतभेद के बाद दोनों के रास्ते अलग हो गए।उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना ने बाद में राकांपा और कांग्रेस पार्टी का दामन थामकर यहां सरकार का गठन किया।

‘सामना’ में कहा गया कि महाराष्ट्र में भाजपा को ज्यादा सीटें मिली, इसलिए शिवसेना को मुख्यमंत्री का पद नहीं मिला। लेकिन बिहार में उस पार्टी को मुख्यमंत्री का ताज दे दिया गया, जो तीसरे स्थान पर आई। वाह क्या नेकदिली है! राजनीति में इस कुर्बानी का वर्णन करने के लिए स्याही कम पड़ जाए।शिवसेना ने कहा कि चंद्रकांत पाटिल जैसे भाजपा नेता और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी यह मानते हैं कि राकांपा के शरद पवार यहां सरकार चला रहे हैं। संपादकीय में कहा गया कि इन सभी को बिहार पर नजर रखनी चाहिए कि वहां नीतीश कुमार की सरकार कौन चला रहा है।

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