जांगीपुर (पश्चिम बंगाल): दशकों तक देश के राजनीतिक परिदृश्य में शीर्ष पर रहे विद्वान व राजनेता प्रणब मुखर्जी को जांगीपुर क्षेत्र ने ही जनाधार वाले नेता की श्रेणी में ला खड़ा किया था।मुखर्जी के निधन के बाद पश्चिम बंगाल का यह शहर शोक में डूबा हुआ है। इस क्षेत्र से मुखर्जी दो बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। उससे पहले मुखर्जी ने दो बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था लेकिन दोनों बार उन्हें कामयाबी नहीं मिल सकी थी।
कुशल राजनेता मुखर्जी ने सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया लेकिन वह लंबे समय तक लोकसभा की सदस्यता से दूर रहे।उन्होंने 1977 में मालदा से और 1980 में बोलपुर से चुनाव लड़ा था। वह 1969 से चार दशक से अधिक समय तक राज्यसभा के सदस्य रहे और उन्होंने सार्वजनिक रूप से कई बार इस बात पर खेद जताया था कि वह जनाधार वाले नेता नहीं थे
लोकसभा में कांग्रेस के मौजूदा नेता अधीर रंजन चौधरी ने 2004 में उन्हें जांगीपुर से चुनाव लड़ने के लिए राजी किया था।वर्ष 2004 और 2009 में मुखर्जी के पोल एजेंट रहे मोहम्मद सोहराब ने कहा कि जांगीपुर ने अपना “अभिभावक” खो दिया है।उन्होंने कहा, “वह जंगीपुर के विकास को लेकर बहुत भावुक थे। वह कहते थे कि जनता के वोट जीतने से मिली खुशी जैसी कोई खुशी नहीं है। क्षेत्र के सांसद या विधायक कोई भी हों, प्रणब दा 2004 से जंगीपुर के संरक्षक थे। “
मुखर्जी ने 2004 में सिर्फ 36,000 मतों के अंतर से सीट जीती थी। 2009 में मुखर्जी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 1,28,149 मतों से हराया था।वर्ष 2016 में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो चुके सोहराब ने कहा कि उन्होंने जिले के बीड़ी उद्योग के लिए कई विकास परियोजनाएं शुरू कर अल्पसंख्यक बहुल निर्वाचन क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार किया
स्थानीय कांग्रेस नेता और जिले के बीड़ी उद्योग से भी जुड़े अली हुसैन ने कहा कि प्रणब दा ने बीड़ी बनाने वालों के लिए भविष्य निधि कार्यालय स्थापित करने में मदद की। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि हमारे बच्चों के लिए क्षेत्र में स्कूल बनाए जाएं।जब भी हमें उनकी जरूरत थी, वह हमेशा मौजूद थे।हुसैन ने कहा कि राष्ट्रपति बनने के बाद भी वह नियमित रूप से क्षेत्र के लोगों के कल्याण के बारे में पूछताछ करते रहते थे।
प्रणब मुखर्जी को जननेता की श्रेणी में लाने वाला जांगीपुर शोक में डूबा
