आरजीकर की पीड़िता के माता-पिता विरोध प्रदर्शन में हुए शामिल, पुलिस पर लगाया गंभीर आरोप

  • पीड़िता के पिता का दावा, पुलिस ने रुपये देने की कोशिश की एवं श्वेत पत्र पर हस्ताक्षर की कोशिश
  • पूछा सवाल… ‘पुलिस को शव का अंतिम संस्कार करने की जल्दी क्यों थी?’
  • डीसी सेंट्रल इंदिरा मुखर्जी पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर झूठ बोलने का लगाया आरोप
    कोलकाता, समाज्ञा : आरजीकर की पीड़िता के माता-पिता बुधवार को विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। इस दिन, देर शाम दोनों आरजीकर अस्पताल में प्रदर्शन में शामिल होने के लिए पहुंचे। इस दौरान, घटना वाले दिन को लेकर पीड़िता के पिता ने पुलिस को लेकर गंभर आरोप लगाया। उनका दावा है कि बेटी के शव का उस समय अंतिम संस्कार भी नहीं हुआ, पुलिस ने उन्हें पैसे देने की कोशिश की। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या यह मुआवजे का पैसा था। पीड़िता के पिता के अनुसार, बेटी का चेहरा देखने के लिए हमें साढ़े तीन घंटे तक इंतजार करना पड़ा। हम शरीर छोड़ना चाहते थे। लेकिन, 300-400 पुलिस वालों ने हमें घेर रखा था। परिणामस्वरूप, मुझे शव का अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर होना पड़ा। श्मशान घाट पर दाह संस्कार का पैसा नहीं लिया गया। वह पैसा किसने दिया? उन्होंने यह भी कहा कि अस्पताल में श्वेत पत्र पर जबरन हस्ताक्षर कराने की कोशिश की गई थी। इतना ही नहीं, पीड़िता के पिता ने यह भी आरोप लगाया कि डीसी सेंट्रल इंदिरा मुखर्जी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर झूठ बोल रही हैं। इस दौरान, पीड़ित परिवार ने अपना सारा गुस्सा पुलिस और अस्पताल प्रशासन पर निकाला। कथित तौर पर, उन्हें टाला पुलिस स्टेशन में पुलिस ने घेर लिया था, घर लौटने के बाद भी उन्होंने 300-400 पुलिस कर्मियों को अपने आसपास पाया। पीड़िता के पिता ने दावा किया कि जब लड़की का शव घर में था तो पुलिस ने उन्हें पैसे देने की कोशिश की। उन्होंने सवाल किया कि पुलिस को शव का अंतिम संस्कार करने की इतनी जल्दी क्या थी?’ वे क्या छुपाने की कोशिश कर रहे थे? ये वो सवाल हैं जिनका पीड़िता के माता-पिता जवाब चाहते हैं। इससे पहले उन्होंने शिकायत की थी कि घटना वाले दिन अस्पताल से तीन कॉल आईं। पहले उन्हें बताया गया कि लड़की बीमार थी, फिर उन्होंने कहा कि उसने आत्महत्या कर ली है। वे इस बात का जवाब तलाश रहे हैं कि शुरू से ही उनसे झूठ क्यों बोला गया, किस वजह से पुलिस को उनका इंतजार करना पड़ा। कथित तौर पर, पुलिस ने शीघ्र अंतिम संस्कार के लिए शव को ‘अपहृत’ कर लिया। पीड़िता के पिता का दावा है कि जब उनकी बेटी के शव का अंतिम संस्कार नहीं किया गया तो डीसी नॉर्थ अभिषेक गुप्ता ने उन्हें पैसे देने की कोशिश की! लेकिन उसने वो पैसे नहीं लिए। हालांकि, पीड़िता के माता-पिता ने यह स्पष्ट नहीं किया कि यह पैसा राज्य सरकार का मुआवजा पैसा है या नहीं।

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