सिंगापुर के कोच ने 10 घोड़ों को दी नयी तकनीकी की ट्रेनिंग
कोलकाता,समाज्ञा : कोलकाता पुलिस दिन ब दिन आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल कर कोलकाता पुलिस को और ऊंचाई तक पहुुंचा रही है। सिर्फ उपकरणों को ही नई तकनीकी युक्त या कोलकाता पुलिसकर्मियों को ही नहीं आधुनिक तकनीकी के गुर सिखाये जा रहे हैं बल्कि कोलकाता पुलिस अपने घोड़ों को भी आधुनिक और नये तकनीक से प्रशिक्षित कर रही हैं। ऐसा पहली बार हुआ है जब कोलकाता पुलिस ने आधुनिक तकनीक से प्रशिक्षण देने के लिए विदेशी कोच से ट्रेनिंग दिलवायी। दरअसल, इससे पहले कोलकाता पुलिस खुद ही घोड़ों को प्रशिक्षित किया करती थी क्योंकि घोड़े रेस से खरीदे जाते थे। रेस के घोड़ों को अपने काम में लाने के लिए पुलिस उन्हें प्रशिक्षित करती थी। लालबाजार के अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि एक पुलिसकर्मी की तरह ही घोड़ों को प्रशिक्षित किया जाता है। कोलकाता पुलिस के तहत पहली बार ही ऐसा हुआ कि उन्होंने विदेशी कोच को बुलाया। जानकारी के अनुसार कोलकाता पुलिस ने गत 6 जनवरी से 9 जनवरी तक एफईआई पायलट प्रोजेक्ट (असम) के एक्सटेंशन प्रोग्राम के तहत रिट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया था। इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में कोलकाता पुलिस के घोड़ों के ट्रेनर के साथ ही मुंबई पुलिस के दो ट्रेनर, बंगाल पुलिस से दो ट्रेनर, स्थानीय क्लब से भी ट्रेनर को ट्रेनिंग दी गयी। इनकी ट्रेनिंग सिंगापुर से आये एफईआई कोच राय इब्राहिम ने दी।
क्या कहना है अधिकारियों का
पूर्व रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी एस. रामकृष्णनन ने बताया कि इस ट्रेनिंग से हमारे घोड़े और उनके ट्रेनर को काफी कुछ सीखने को मिला है। इस ट्रेनिंग ने से इनकी कार्यशैली भी उन्नत होगी। उन्होंने इसके साथ यह भी कहा कि इस प्रोग्राम के तहत जितने भी ट्रेनर प्रशिक्षित हुए हैं, वे अपने सहकर्मियों को ये आधुनिक तकनीकी के गुर सिखायेेंगे। इससे उन्हें भी सहूलियत मिलेगी। ज्वाइंट कमिश्नर (आर्म्ड पुलिस) अखिलेश चतुर्वेदी ने भी कहा कि इस ट्रेनिंग को सभी याद रखें और उन्हें अपने सहकर्मियों को भी इस ट्रेनिंग के जरिए मिले गुर का आदान-प्रदान करने को कहा।
क्या कहना है विदेशी कोच का
उन्होंने बताया कि यहां के सभी 10 घोड़े मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से ही काफी बेहतर है। इन सभी घोड़ों तथा इनके ट्रेनर को आधुनिक तकनीकी के गुर सिखाये गये हैं। 4 दिनों में भी काफी कुछ सीखा है इन घोड़ों ने और इनके ट्रेनर ने। मगर यह सब एक दिन या 4 दिनों में नहीं होने वाला है। दिये गये ट्रेनिंग को लेकर लगातार अभ्यास करना जरूरी है। यहां आकर काफी अच्छा लगा और घोड़ों को ट्रेंड करने में भी मजा आया।
क्या कहना है एफईआई के वाइस प्रेसिडेंट का
इंडियन इक्विस्टिरियन फेडरेशन के वाइस प्रेसिडेंट मनोज जालान ने बताया कि उन्होंने बताया कि इस प्रोग्राम का मुख्य उद्देश्य दौड़ से आये हुए (एक्स-रेस हार्स) घोड़ों को फिर से ट्रेनिंग देना है। यह ट्रेनिंग ला एंड ऑर्डर के साथ-साथ स्पोर्ट्स के लिए घोड़ों को तैयार करने के लिए दी गयी है। उन्होंने बताया कि मैंने अन्तरराष्ट्रीय फेडरेशन के तहत असम में पायलेट प्रोजेक्ट किया था। वर्ष 2016 में शुरु हुआ था और 2019 में ही यह पाइलेट प्रोजेक्ट खत्म हुआ। इस पायलेट प्रोजेक्ट को बढ़ाते हुए कोलकाता पुलिस के साथ कोलकाता में पहली बार आयोजित किया गया। कोलकाता हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यही से अधिकतर घोड़ों की सप्लाई दूसरी जगहों और राज्यों में होती है। इसके अलावा यह कोलकाता दौड़ का मुख्य केंद्र है। साथ ही कोलकाता पुलिस का दौड़ के घोड़ों के साथ काम करने का अनोखा इतिहास रहा है। इस प्रोग्राम के तहत विदेशी कोच के जरिए इन घोड़ों तथा उनके ट्रेनर को ट्रेनिंग देकर उन्हें भविष्य के लिए तैयार करना है। ताकि इनकी क्षमता और कार्यशैली को भी और अधिक उन्नत बनाया जा सके।
डेढ़-2 महीने पहले लिये गये केपी के 8 घोड़े सहित 10 को मिली ट्रेनिंग
लालबाजार के अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कोलकाता पुलिस के 8 घोड़े और बंगाल पुलिस के 2 घोड़ों को विदेशी कोच ने ट्रेनिंग दी है। कोलकाता पुलिस ने इन 8 घोड़ों को डेढ़-2 महीने पहले ही लिया था। ये सभी घोड़े रेस के घोड़े हैं। रेस के घोड़ों को ट्रेनिंग देने के लिए ही यह प्रोग्राम आयोजित किया गया। अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कोलकाता पुलिस के पास अभी 75 घोड़े हैं। इनमें से 67 घोड़ें पुराने हैं। पुराने घोड़ों को फिर से नयी ट्रेनिंग नहीं दी जा सकती है। इस बाबत अभी सिर्फ 8 घोड़ों को ही प्रशिक्षित किया गया। ये 8 घोड़ें एकदम नये और आधुनिक तकनीकी से प्रशिक्षित हुए हैं। इससे हमारा काम और भी ज्यादा आसान हो सकेगा।
Written By- बबीता माली