जम्मू-कश्मीर पर केंद्र के फैसले का वामो ने किया विरोध

-विमान बोस की अगुवाई में निकाली विरोध रैली

कोलकाता : माकपा ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 व 35 ए को खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले की कड़ी आलोचना की है। माकपा का आरोप है कि भाजपा सरकार के इस कदम से लोकतंत्र की हत्या हुई है। सरकार ने जिस तरीके से संसद को अंधेरे में रखकर राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर से इन दो धाराओं को खत्म करने संबंधित संशोधित बिल पेश की , अपने आप में लोकतंत्र के लिए काला दिन है। संसदीय इतिहास के लिए यह काला अध्याय है। इस बीच माकपा ने केंद्र के फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए वामो के चेयरमैन विमान बोस की अगुवाई में विरोध रैली निकाली गई। रैली में विमान बोस के अलावा माकपा प्रदेश सचिव सूर्यकांड मिश्र, वरिष्ठ नेता व सांसद मो. सलीम सह अन्य वरिष्ठ माकपा नेता उपस्थित थे।

माकपा नेताओं ने केंद्र सरकार से फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि कश्मीर की समस्या का समाधान बातचीत से होना चाहिए था। लेकिन मोदी की सरकार ने वहां दमन की राजनीति का सहारा लिया। वरिष्ठ कश्मीरी नेता यूसुफ तारीगामी सहति अन्य कश्मीरी नेताओं की रिहाई की मांग करते हुए माकपा ने कहा कि नेताओं को नजरबंद कर कश्मीर की समस्या कैसे हल की जा सकती है। रैली का आयोजन कोलकाता जिला माकपा कमेटी की ओर से किया गया। माकपा ने कहा कि हम मोदी सरकार के फैसले का समर्थन नहीं करते हैं। यह फैसला गैरकानूनी व असंवैधानिक है। केंद्र का यह फैसला केवल कश्मीर तक ही सीमित नहीं है, यह लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता व संविधान पर हमला है। इसलिए केंद्र के इस फैसला का सर्व स्तर पर विरोध जरुरी है। इस बीच माकपा ने नेता महाजाति सदन में मोजफ्फर अहमद की 131वीं जयंती के मौके पर एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया। इस मौके पर माकपा प्रदेश सचिव सूर्यकांत मिश्र, विमान बोस, मो. सलीम व अन्य वरिष्ठ नेताओं ने संबोधित किया।

7 अगस्त को माकपा की विरोध रैली ः इस बीच माकपा ने केंद्र के फैसले का विरोध करने के साथ ही 7 अगस्त को कोलकाता में विरोध रैली के आयोजन की घोषणा की है। इसमें सभी वाम दल शामिल होंगे। पूर्व सांसद मो. सलीम ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को भारत के संग जुड़े रहने के लिए के विशेष मर्यादा दिया गया था। लेकिन भारत सरकार अलोकतांत्रिक तरीके से इसे खारिज कर रही है। इससे पाकिस्तानी आतंकियों को फायदा होगा। फैसले से कश्मीर के लोकतंत्र प्रेमी लोगों की आवाजों को दबाने की कोशिश की गई। इससे अलगाववादी ताकतों को ही बल मिलेगा। सलीम ने कहा कि किसी भी बिल को पेश करने के लिए कम से कम 2 दिन का समय दिया जाता है। सदस्यों को बिल की प्रतिलिपि दी जाती है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इससे वहां की स्थिति ओर भी जटिल होगी।

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