कोरोना से ठप था काम, अब जल जमाव से खराब हो रहा है सामान
कोलकाता, समाज्ञा : 2020 एक ऐसा वर्ष है जो शायद ही दुनिया का कोई व्यक्ति भूल पाएगा। इस वर्ष के शुरुआत से अलग-अलग देशों में बड़ी घटनाएं घटनी शुरू हुई और एकाएक महामारी कोरोना ने दुनिया भर को अपनी चपेट में ले लिया। दुनिया का कोई भी ऐसा कोना नहीं है जो इस महामारी से अछूता हो। भारत में भी कोरोना ने भारी तबाही मचाई है। इस महामारी के कारण कइयों की जानें तो गयी ही हैं, साथ ही अर्थ व्यवस्था पर इसका बड़ा असर पड़ा है। छोटे से बड़े सभी व्यवसाय व व्यवसायी इससे प्रभावित हुए हैं। पश्चिम बंगाल में कोरोना के साथ-साथ सुपर साइक्लोन अम्फान के कारण यहां के लोगों का और बुरा हाल है। वर्ष 2020 के पांचवे महीने तक बंगाल में कोरोना व अम्फान की वजह से लोगों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। इनमें चाय व्यवसायी भी शामिल हैं। कोरोना के कारण लागू किये गये लॉकडाउन व चक्रवाती तूफान अम्फान ने चाय व्यवसायियों की कमर तोड़ दी है। लॉकडाउन में काम ठप था और अम्फान के बाद वेयर हाउस में जल जमाव के कारण चायपत्ती भी खराब होने लगी है। इससे चाय व्यावसायियों को करोड़ों का नुकसान हो रहा है।
कोलकाता पोर्ट जोन इस्टैबलिशमेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज तिवारी से इस संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि बजबज ट्रंक रोड और कोलकाता पोर्ट इलाका टी हब माना जाता है। यहां वेयर हाउस में स्टॉक किये हुए चाय की निलामी होती है। दक्षिण कोलकाता के अधिकांश वेयर हाउस पोर्ट ट्रस्ट के अधीन आते हैं। एक वेयर हाउस से अमूमन 35 से 40 हजार टन का एक्सपोर्ट होता है । कोरोना के कारण लागू किये गये लॉकडाउन से काम ठप हो गया और जब चायपत्ती को आवश्यक वस्तु घोषित कर के छूट दी गयी तब अम्फान की वजह से व्यवसाय दुबारा ठप हो गया। उन्होंने बताया कि आंधी के कारण कई वेयर हाउस के छत क्षतिग्रस्त हो गये जिस वजह से बारिश का पानी अंदर आ गया। वहीं दूसरी सड़क ऊंची होने के कारण वहां से बारिश का पानी वेयर हाउस के अंदर आ गया।
कोलकाता पोर्ट जोन इस्टैबलिशमेंट वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव सुरेश गुप्ता ने बताया कि लॉकडाउन व अम्फान की वजह से चाय व्यवसायियों को बहुत नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा लॉकडाउन के दौरान जब चायपत्ती को आवश्यक वस्तु घोषित किया गया तब केंद्र व राज्य सरकार के बीच ताल-मेल न होने के कारण भी काम ठप रहा। उन्होंने बताया कि जब केंद्र ने यह घोषणा की कि 33 प्रतिशत लेबर के साथ काम किया जा सकता है तब राज्य सरकार ने इसे 25 प्रतिशत कर दिया। ऐसे में एक बड़ी उलझन पैदा हो गयी। इस बीच प्रवासी मजदूर अपने गांव चले गये तो मैन पावर और कम हो गया। कई महीनों से एक रुपये का व्यवसाय नहीं हुआ और पोर्ट की ओर से वेयर हाउस रेंट में भी छूट नहीं दी जा रही है। उन्होंने कहा कि उन लोगों ने पोर्ट के साथ-साथ मिनिस्ट्री ऑफ शिपिंग को भी किराये में कटौती के संबंध में चिट्ठी लिखी, लेकिन किसी का कोई जवाब नहीं आया। उन्होंने आगे कहा कि पोर्ट इलाके में सभी वेयर हाउस सड़क की सतह से नीचे हैं, ऐसे में अम्फान व काल बैसाखी के दौरान हुई बारिश से वेयर हाउस जलमग्न हो गया। अम्फान द्वारा मचाई गयी तबाही में बिजली भी चली गयी जिससे समस्या और ज्यादा बढ़ गयी। सीईएससी से शिकायत करने पर भी ठोस सहायता नहीं मिली।
चाय निर्यातक अनीस भंसाली ने कहा कि उनका परिवार चाय व्यवसाय में पिछले 60 वर्षों से है, वे खुद पिछले 30 वर्षों से व्यवसाय संभाल रहे हैं, लेकिन आज तक उन्होंने ऐसी मंदी नहीं देखी। उन्होंने कहा कि एक साथ आधारिक संरचना, वेयर हाउस, श्रमिक, पोर्ट की आधारिक संरचना सबकी व्यवस्था चरमरा गयी है। नुकसान करोड़ों में हुआ है। उन्होंने कहा कि चाय व्यवसाय का सबसे बुरा दौर है। उन्होंने अपनी परेशानी व्यक्ति करते हुए कहा कि वे यह सोचने पर मजबूर हैं कि आखिर उन्होंने यह व्यवसाय क्यों किया।
कलकत्ता टी ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव कल्याण सुंदरम ने बताया कि लॉकडाउन व अम्फान की वजह से भारी नुकसान तो हुआ है लेकिन यह अस्थायी है। पोर्ट इलाके के चाय व्यवसायियों के लिए सबसे बड़ी समस्या खराब सड़क व जाम है। उन्होंने कहा कि माझेरहाट ब्रिज बंद होने के बाद से वाहनों को पोर्ट इलाके से गुजारा जाता है जिससे जाम की समस्या बनी रही है। पहले पोर्ट इलाके की सड़कों पर ज्यादातर मालवाहक ही चलते थे, इस लिए जाम की समस्या नहीं होती थी। लेकिन अब वाहन ज्यादा होने के कारण सड़क जाम सबसे बड़ी समस्या बन कर उभरी है। जाम लगे रहने के कारण सामान की डिलिवरी में हमेशा देरी होती है, जो अपने आप में बड़ा नुकसान है। सड़क की खास्ता हालत के कारण भी मालवाहकों को ज्यादा चक्कर लगाने पड़ते हैं और ट्रिप बढ़ जाता है