नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से त्योहारों के मौसम में बाजार से खरीदारी करते समय स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देने का आह्वान करते हुए रविवार को आग्रह किया कि वे कोरोना वायरस के इस संकट काल में संयम से काम लें और मर्यादा में रहें।उन्होंने कहा कि जब त्योहार की बात करते हैं, तैयारी करते हैं, तो सबसे पहले मन में यही आता है, कि बाजार कब जाना है? क्या-क्या खरीदारी करनी है? कोरोना के इस संकट काल में, हमें संयम से ही काम लेना है, मर्यादा में ही रहना है।
उन्होंने कहा कि त्योहारों की ये उमंग और बाजार की चमक, एक-दूसरे से जुड़ी हुई है। लेकिन इस बार जब आप खरीदारी करने जायें तो ‘वोकल फॉर लोकल’ का अपना संकल्प अवश्य याद रखें। बाजार से सामान खरीदते समय, हमें स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देनी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब देश ‘‘लोकल के लिए वोकल’’ हो रहा है तो दुनिया भी भारतीय स्थानीय उत्पादों के प्रति आकर्षित हो रही है।उन्होंने कहा कि देश के कई स्थानीय उत्पादों में वैश्विक होने की बहुत बड़ी शक्ति है और उनमें एक है खादी। कोरोना के समय में खादी के मास्क भी बहुत प्रचलित हो रहे हैं और देशभर में कई जगह स्व सहायता समूह और दूसरी संस्थाएं खादी के मास्क बना रहे हैं।
उन्होंने बताया कि राजधानी दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित खादी स्टोर में इस बार गांधी जयंती पर एक ही दिन में एक करोड़ रुपये से ज्यादा की खरीदारी हुई।उत्तर प्रदेश के बाराबंकी की महिला सुमन देवी का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि उन्होंने स्व सहायता समूह की अपनी साथी महिलाओं के साथ मिलकर खादी मास्क बनाना शुरू किया और धीरे-धीरे उनके साथ अन्य महिलाएँ भी जुड़ती चली गईं।
उन्होंने कहा कि अब वे सभी मिलकर हजारों खादी मास्क बना रही हैं उन्होंने बताया कि कैसे लम्बे समय तक सादगी की पहचान रही है आज उसकी प्रसिद्धि एक ‘‘फैशन स्टेटमेंट’’ का रूप ले चुकी है। उन्होंने मेक्सिको की ‘‘ओहाका खादी’’ का जिक्र किया और बताया कि कैसे आज वह एक अंतरराष्ट्रीय ब्रांड बन गया है।
उन्होंने कहा कि हमारे स्थानीय उत्पादों की खूबी है कि उनके साथ अक्सर एक पूरा दर्शन जुड़ा होता है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में भारत के पारंपरिक खेल ‘‘मलखम्ब’’ की बढ़ती लोकप्रियता का उल्लेख करते हुए कहा कि जैसे भारत के अध्यात्म, योग, और आयुर्वेद ने पूरी दुनिया को आकर्षित किया है उसी प्रकार ‘‘मलखम्ब’’ भी अनेक देशों में प्रचलित हो रहा है।
उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी पूरे देश की करीब-करीब 90 प्रतिशत पेंसिल-स्लेट, लकड़ी की पट्टी की मांग को पूरा करती है और उसमें बहुत बड़ी हिस्सेदारी पुलवामा की है। एक समय में हम लोग विदेशों से पेंसिल के लिए लकड़ी मंगवाते थे, लेकिन अब हमारा पुलवामा, इस क्षेत्र से, देश को आत्मनिर्भर बना रहा है।उन्होंने कहा कि घाटी से चिनार की लकड़ी पेंसिल बनाने के काम में इस्तेमाल की जा रही है और पुलवामा का ओखू गांव ‘‘पेंसिल विलेज’’ के रूप में पहचान स्थापित कर चुका है।