सर्वाधिक प. बंगाल में तस्करी की शिकार हुई हैं नाबालिगाएं
कोलकाता : बचपन में हम सबने कार्टून किरदार मीना को देखा था। मीना एक गांव की लड़की है, जिसका पालतू एक मिट्ठु तोता होता है। वह घर के सारे काम निपटाने के बाद स्कूल जाकर पढ़ना चाहती है। रंगबिरंगी वह कार्टून किरदार यूनिसेफ में पंजीकृत थी, जिसके माध्यम से एशियाई देशों में शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलायी जाती थी। किन्तु हमारे घरों और मुहल्लों के आस-पास रहने वाली मीना की तरफ शायद ही कभी हमारा ध्यान जाता है। कई बार तो हमारे घरों के आसपास के इलाकों में मौजूद झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाली कोई बच्ची या नाबालिगा अचानक गायब हो जाती है और हमें इसकी भनक तक नहीं लगती। दूसरी तरफ 18 वर्ष से कम आयु की लड़कियों को जब हम काम करते देखते हैं तो इस सोच में पड़ जाते हैं कि ऐसी कौन सी मजबूरी रही होगी जिसके कारण पढ़ने-लिखने की उम्र में वह काम करने लगी है। उस समय शायद किसी के मन में यह बात आती भी नहीं है कि संभव है उसका भी कोई मालिक (बॉस) हो जिसके इशारों पर वह काम कर रही होगी और अपने पूरे दिन की कमाई को जाकर उस व्यक्ति को सौंपना पड़ता होगा। अधिकांश समय देखा जाता है कि काम करने वाली नाबालिगएं और कई बार लड़के भी तस्करी का शिकार होते हैं। कभी ग्रामीण इलाकों से नौकरी के नाम पर शहरों में लाकर तो कभी अपहरण कर उन्हें बेच दिया जाता है। इसके अलावा अधिकांश यौन कर्मियां भी तस्करी की ही शिकार होती हैं। पिछले 3 वर्षों (2015-2017) के आंकड़ों पर यदि ध्यान दिया जाए तो नाबालिकगाओं की तस्करी के सबसे अधिक मामले पश्चिम बंगाल से ही सामने आये हैं। वहीं नाबालिगों की तस्करी के सबसे अधिक मामले राजस्थान से सामने आये हैं।
* अवैध तस्करी की संभावना होने पर दी जाती है सुरक्षा
पुलिस को राज्य सरकार के अधीन माना जाता है और तस्करी को रोकने की जिम्मेदारी भी पुलिस की होती है। इसके साथ ही किशोर न्याय अधिनियम के तहत यदि कोई नाबालिग के नशे के शिकार, दुर्व्यवहार के शिकार या तस्करी की संभावना बनती है तो उन्हें ‘देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाला बच्चा’ माना जाता है। इसके अलावा ऐसे बच्चों की देखभाल के लिए केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित बाल संरक्षण सेवाएं भी प्रदान की जाती है। इस सेवा को प्रमुख रूप से कार्यान्वित करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है। इसके अलावा यदि चाहे तो इस कार्य से सरकारी व गैर सरकारी संस्थाएं भी जुड़ सकती हैं। इस परियोजना के तहत यदि कोई बच्चा किसी संकट में होता है या उसकी तरफ से कोई वयस्क व्यक्ति टोल फ्री नंबर 1098 पर संपर्क करता है तो उसे तुरंत मदद पहुंचायी जाती है।
* सबसे अधिक नाबालिग लड़कियों की तस्करी हुई बंगाल में
यदि आंकड़ों पर ध्यान दिया जाए तो पिछले 3 वर्षों (2015-2017) के दौरान देश के कुल 28 राज्यों में कुल 18,613 नाबालिगों के मानव व्यापार के मामले सामने आये हैं। तीनों वर्षों (2015-2017) में नाबालिग लड़कियों की सर्वाधिक मानव व्यापार के मामले आश्चर्यजनक रूप से पश्चिम बंगाल में सामने आये। यदि बात नाबालिगों के मानव तस्करी की की जाए तो देश में सर्वाधिक मामले राजस्थान से सामने आये हैं। इनमें ओडिसा से पकड़े गये 15 ट्रांसजेंडर भी शामिल हैं जिनको मानव तस्करों के चुंगल से छुड़ाया गया था।
मानव व्यापार के सामने आये कुल मामलों (आंकड़ों में)
वर्ष राज्य नाबालिग नाबालिगा कुल
2015 पश्चिम बंगाल 239 1553 1792
राजस्थान 1804 583 2387
गुजरात 91 244 335
2016 पश्चिम बंगाल 426 2687 3113
राजस्थान 1823 696 2519
गुजरात 137 348 485
2017 पश्चिम बंगाल 20 299 319
राजस्थान 849 37 886
बिहार 362 33 394
Written by- मौमिता भट्टाचार्य