नई दिल्ली : लोकसभा में नाथूराम गोडसे को लेकर बुधवार को की गई टिप्पणी पर आज बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर को दोबारा माफी मांगनी पड़ी। इस बार उन्होंने एक वाक्य में कहा कि 27 नवंबर की अपनी टिप्पणी पर मुझे खेद है और मैं सदन से क्षमा चाहती हूं। प्रज्ञा दूसरी बार माफी मांगने के लिए खड़ी हुईं तो वह अपने पुराने रुख पर कायम दिखीं। प्रज्ञा ने बयान शुरू करते हुए कहा कि मैंने दुश्मनों के दिए बहुत अत्याचार सहे। इस पर स्पीकर ने उन्हें बीच में ही टोक दिया और माफी वाला बयान पढ़ने को कहा। प्रज्ञा ने इस पर विरोध जताते हुए कहा, ‘मुझे अपनी बात कहने दीजिए। पुरानी बात भी मेरी अधूरी रह गई। मैं जो कहना चाहती हूं वह तो सुनिए।’ स्पीकर ने उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी। इसके बाद प्रज्ञा को सीधे माफी वाला बयान पढ़ना पड़ा।
दूसरे माफीनामे में क्या कहा
प्रज्ञा ने दूसरी
बार
के माफीनामे
में
कहा,
‘मैंने
27-11-2019 को एसपीजी
बिल
की चर्चा
के दौरान
नाथूराम
गोडसे
को देशभक्त
नहीं
कहा।
नाम
ही नहीं
लिया,
फिर
भी किसी
को ठेस
पहुंचती
हो तो मैं
खेद
प्रकट
करते
हुए
क्षमा
चाहती
हूं।’
प्रज्ञा
के दोबारा
माफी
मांगने
पर लोकसभा
की कार्यवाही
सुचारू
रूप
से चलने
लगी।
पहली बार क्या कहा था
पहले माफीनामे
में
उन्होंने
कहा
था, ‘बीते
घटनाक्रम
में
सबसे
पहले
मैं
सदन
में
मेरे
द्वारा
की गई किसी
भी टिप्पणी
से यदि
किसी
भी प्रकार
से किसी
को ठेस
पहुंची
हो तो मैं
खेद
प्रकट
कर क्षमा
चाहती
हूं।
परंतु
मैं
यह भी कहना
चाहती
हूं
कि संसद
में
दिए
गए मेरे
बयानों
को तोड़-मरोड़
कर गलत
ढंग
से पेश
किया
गया
है।
मेरे
बयान
का संदर्भ
कुछ
और था, जिसे
गलत
ढंग
से इस रूप
में
पेश
कर दिया
गया।
जिस
प्रकार
से मेरे
बयान
को तोड़ा-मरोड़ा
गया
है, वो निंदनीय
है।’
प्रज्ञा ने इस माफीनामे
से विपक्ष
संतुष्ट
नहीं
हुआ
और बिना
किसी
लाग-लपेट
के साफ
शब्दों
में
फिर
से बिना
सफाई
दिए
एक वाक्य
में
माफी
मांगने
की मांग
पर अड़
गया
और सदन
में
विपक्षी
सांसद
हंगामा
करने
लगे।
ऐसे
में
लोकसभा
अध्यक्ष
ओम बिरला
ने सदन
की कार्यवाही
स्थगित
कर दी और सत्ता
पक्ष
एवं
विपक्ष
के बीच
समझौते
के लिए
सर्वदलीय
बैठक
बुलाई
जिसमें
तय हुआ
कि बीजेपी
सांसद
सदन
में
दोबारा
साफ-साफ
शब्दों
में
माफी
मांगेंगी।
3 बजे
जब सदन
की कार्यवाही
दोबारा
शुरू
हुई
तो निर्देश
के मुताबिक,
प्रज्ञा
ठाकुर
ने नया
माफीनामा
पढ़ा।
क्या है मामला
दरअसल, बुधवार
को लोकसभा
में
एसपीजी
संशोधन
विधेयक,
2019 पर चर्चा
हो रही
थी।
डीएमके
सांसद
ए. राजा
जब इस बिल
पर अपनी
बात
रख रहे
थे।उन्होंने
कहा,
‘गोडसे
ने स्वीकार
किया
था कि गांधी
की हत्या
का फैसला
करने
से पहले
32 सालों
तक उसके
मन में
गांधी
के प्रति
द्वेष
पनप
रहा
था।’
राजा
ने कहा
कि गोडसे
ने गांधी
को मारा
क्योंकि
वह एक खास
विचारधारा
में
विश्वास
रखता
था।
इस बीच
प्रज्ञा
ने उन्हें
टोकते
हुए
नाथूराम
को लेकर
टिप्पणी
की।
उनकी
टिप्पणी
पर सदन
में
हंगामा
हो गया।
फिर
लोकसभा
अध्यक्ष
ने प्रज्ञा
की इस टिप्पणी
को सदन
की कार्यवाही
से बाहर
निकालने
का निर्देश
दिया।
बीजेपी ने भी की कड़ी कार्रवाई
गुरुवार को बीजेपी
ने अपनी
सांसद
पर कड़ा
ऐक्शन
लिया
और प्रज्ञा
का नाम
डिफेंस
कमिटी
से वापस
ले लिया।
साथ
ही, उन्हें
पार्टी
की संसदीय
दल की बैठक
में
भी नहीं
आने
का फरमान
सुना
दिया
गया।
बीजेपी
के कार्यकारी
अध्यक्ष
जेपी
नड्डा
ने प्रज्ञा
के बयान
की निंदा
करते
हुए
कहा,
‘पार्टी
कभी
भी ऐसे
बयानों
का समर्थन
नहीं
कर सकती
है।’
उन्होंने
कहा
कि प्रज्ञा
संसद
सत्र
के दौरान
बीजेपी
संसदीय
दल की बैठक
में
भी हिस्सा
नहीं
ले सकेंगी।