मुर्मू, माथुर ने दो नये केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख की कमान संभाली

श्रीनगर/लेह : दो नए केंद्र शासित प्रदेशों के पहले उपराज्यपाल के तौर पर इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज कराते हुए जी सी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को जम्मू कश्मीर तथा आर के माथुर ने लद्दाख के उपराज्यपाल पद की शपथ ली। जम्मू कश्मीर और लद्दाख को केंद्र सरकार के पांच अगस्त के फैसले के अनुसार विभाजित कर दो केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है। केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का फैसला लिया था।
माथुर ने लेह में और मुर्मू ने श्रीनगर में उपराज्यपाल पद की शपथ ली।
त्रिपुरा के 1997 बैच के आईएएस अधिकारी और पूर्व रक्षा सचिव माथुर को लद्दाख की राजधानी में सिंधु संस्कृति ऑडिटोरियम में एक समारोह में जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल ने शपथ दिलाई।
इस समारोह में लेह और करगिल पर्वतीय विकास परिषद के अधिकारी, सेना और अर्द्धसैनिक बल, धार्मिक नेता और आम लोग शामिल हुए।
इसके बाद मुख्य न्यायाधीश 59 वर्षीय मुर्मू को राज भवन में शपथ दिलाने के लिए वायु मार्ग से श्रीनगर पहुंची।
गुजरात के 1985 बैच के आईएएस अधिकारी मुर्मू सक्रिय सेवा में रहते हुए उपराज्यपाल नियुक्त किए गए संभवत: पहले अधिकारी हैं। व्यय सचिव मुर्मू को इस महीने के अंत में सेवानिवृत्त होना है।
मुर्मू की नियुक्ति का वारंट मुख्य सचिव बी वी आर सुब्रह्मण्यम ने पढ़ा। भाजपा नेता जुगल किशोर और राज्यसभा सदस्य तथा पीडीपी नेता नजीर लावे समेत 250 से अधिक गणमान्य अतिथि समारोह में उपस्थित थे।
ओडिशा के मूल निवासी मुर्मू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गुजरात में काम कर चुके हैं। मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब मुर्मू उनके अतिरिक्त प्रधान सचिव थे। मुर्मू ने लोक सेवा में एमबीए किया है और वह राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर भी हैं।
अगले महीने 66 वर्ष के होने वाले माथुर ने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में काफी विकास की जरूरत है।
एक आधिकारिक प्रवक्ता ने राज्यपाल के हवाले से कहा, ‘‘क्षेत्र में कई सरकारी कार्यक्रम पहले से चल रहे हैं, नए शासन के तहत आम लोगों और पर्वतीय विकास परिषदों से विचार विमर्श के बाद लद्दाख के लिए नई प्राथमिकताएं तय की जाएंगी।’’
उन्होंने कहा कि त्रिपुरा का मुख्य सचिव रहते हुए पिछड़े और सीमांत क्षेत्रों में काम करने का अनुभव और रक्षा सचिव के रूप में काम करने का अनुभव उनके काम आएगा।
जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में पांच साल की अवधि के लिए मुख्यमंत्री के नेतृत्व में निर्वाचित विधानसभा और मंत्रिपरिषद होगी जबकि लद्दाख का शासन उपराज्यपाल के जरिए सीधे केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा चलाया जाएगा।
दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के पास एक साझा उच्च न्यायालय होगा।
लद्दाख अधिकारियों की नियुक्ति के लिए केंद्रीय लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के दायरे में आएगा। जम्मू कश्मीर में राजपत्रित सेवाओं के लिए भर्ती एजेंसी के तौर पर लोक सेवा आयोग (पीएससी) बना रहेगा।
नये केंद्र शासित प्रदेशों के सरकारी कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार ही वेतन तथा अन्य लाभ मिलने शुरू होंगे।
यह पहली बार है जब किसी राज्य को विभाजित कर दो केंद्र शासित प्रदेश बना दिए गए हैं। देश में अब राज्यों की कुल संख्या 28 होगी जबकि केंद्र शासित प्रदेश बढ़कर नौ हो जाएंगे।
जम्मू कश्मीर का संविधान और रणबीर दंड संहिता का अस्तित्व बृहस्पतिवार को उस समय खत्म हो गया जब देश ने पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की वर्षगांठ पर ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ मनाया। पटेल को 560 से अधिक रियासतों के भारत संघ में विलय का श्रेय जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *