कोलकाता : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी ने हालिया लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए अल्पसंख्यक समुदाय से कम समर्थन मिलने को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि ‘‘सबका साथ, सबका विकास’’ की जरूरत नहीं है और इसके बजाय उन्होंने ‘‘हम उनके साथ जो हमारे साथ’’ का प्रस्ताव दिया।
भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी के विस्तारित सत्र को बुधवार को संबोधित करते हुए अधिकारी ने यह भी कहा कि पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा की जरूरत नहीं है।
हालांकि, बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी टिप्पणियों को संदर्भ से हटाकर पेश किया गया और कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्र ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ का पूरा समर्थन करते हैं।
अधिकारी ने भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी के विस्तारित सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मैंने राष्ट्रवादी मुस्लिमों की भी बात की है। हम सभी ‘सबका साथ, सबका विकास’ की बात किया करते हैं, लेकिन आगे से अब मैं यह नहीं कहूंगा, क्योंकि मेरा मानना है कि इसके बजाय यह ‘हम उनके साथ जो हमारे साथ’ होना चाहिए…अल्पसंख्यक मोर्चा की कोई जरूरत नहीं है।’’
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, पश्चिम बंगाल में करीब 30 फीसदी अल्पसंख्यक मतदाता हैं, जिन्होंने तृणमूल कांग्रेस को हालिया लोकसभा चुनाव में दक्षिणी पश्चिम बंगाल के अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में शानदार जीत हासिल करने में मदद की। वहीं, उत्तर बंगाल में वाम-कांग्रेस गठबंधन और तृणमूल के बीच मतों के विभाजन ने भाजपा को क्षेत्र में कई सीट हासिल करने में मदद की।
साल 2014 में भाजपा ने ‘‘सबका साथ, सबका विकास’’ का नारा दिया था और 2019 में एक कदम आगे बढ़ते हुए इसे ‘‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’’ कर दिया था।
अधिकारी ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव के दौरान ‘‘कई इलाकों में तृणमूल कांग्रेस के जिहादी गुंडों ने हिंदुओं को वोट नहीं डालने दिया।’’
अधिकारी ने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल में, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं है। तृणमूल के जिहादी गुंडे ऐसा नहीं होने देंगे। स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव राज्य में अशांत क्षेत्र अधिनियम लागू कर ही संभव है। हम राष्ट्रपति शासन लागू कर पिछले दरवाजे से राज्य में सत्ता हथियाना नहीं चाहते।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लोगों के जनादेश से चुनाव जीतने पर ही हम सत्ता में आएंगे। लेकिन उसके लिए, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना होगा।’’
बाद में, अपनी टिप्पणियों से विवाद उत्पन्न हो जाने पर अधिकारी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि वह बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक आधार पर लोगों के बीच विभाजन करने में यकीन नहीं करते।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे बयान को संदर्भ से हटाकर पेश किया जा रहा है। मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि जो लोग राष्ट्रवादी हैं, वे इस देश और पश्चिम बंगाल के लिए खड़े हैं, हमें उनके साथ होना चाहिए। जो लोग हमारे साथ नहीं खड़े हैं, जो देश और पश्चिम बंगाल के हित के खिलाफ काम करते हैं, हमें उन्हें बेनकाब करने की जरूरत है।’’
अधिकारी ने कहा, ‘‘साथ ही, ममता बनर्जी की तरह हमें लोगों को बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक में नहीं बांटना चाहिए तथा उन्हें भारतीय के रूप में देखना चाहिए। मैं प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ मंत्र का पूरी तरह से समर्थन करता हूं।’’
अधिकारी ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि उनकी टिप्पणियां किसी समुदाय के खिलाफ नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरी टिप्पणी किसी समुदाय के खिलाफ नहीं थी। हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में कुछ चीजें महसूस की गईं, उनमें से एक यह है कि तृणमूल के आतंक के राज के कारण समान अवसर नहीं मिल पाने के बावजूद भाजपा उसके मुख्य प्रतिद्वंद्वी दल के रूप में उभरी है। दूसरा, यह कि पश्चिम बंगाल में मुसलमान भाजपा को वोट नहीं देते।’’
उन्होंने कहा, ‘‘तीसरा, यह कि माकपा ने हिंदू मतों को विभाजित करने में तृणमूल की मदद की। इसलिए, पश्चिम बंगाल के हिंदुओं को यह पता होना चाहिए कि अगर वे एकजुट नहीं हुए तो भविष्य में पश्चिम बंगाल में वे कहीं के नहीं रह जाएंगे।’’
‘सबका साथ, सबका विकास’ नारे की पार्टी को जरूरत नहीं रहने संबंधी उनकी टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा कि उनकी टिप्पणियां ‘‘राजनीतिक उद्देश्यों’’ के लिए थीं।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरी टिप्पणियां प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए नहीं थी बल्कि राजनीतिक उद्देश्यों के लिए थीं। मेरा मानना है कि प्रशासनिक रूप से, यह ‘सबका साथ, सबका विकास’ होना चाहिए। पश्चिम बंगाल में, 2021 के विधानसभा चुनाव में 91 प्रतिशत मुसलमानों ने तृणमूल को वोट दिया था और 2024 (लोकसभा चुनाव) में यह प्रतिशत बढ़कर 95 हो गया।’’
पिछले हफ्ते के विधानसभा उपचुनावों में तृणमूल कांग्रेस से तीन सीट पर शिकस्त मिलने के कुछ दिनों बाद भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी के विस्तारित सत्र का आयोजन किया गया। संसदीय चुनावों में राज्य में भाजपा के खराब प्रदर्शन के बाद, उपचुनाव के परिणाम भी पार्टी के लिए निराशाजनक रहे।
हालिया लोकसभा चुनाव में, भाजपा ने 12 सीट पर जीत हासिल की, जबकि 2019 के चुनाव में उसने 18 सीट जीती थी।
अधिकारी की टिप्पणी पर, तृणमूल कांग्रेस नेता कुणाल घोष ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘भाजपा लोकसभा चुनाव में राज्य में खराब प्रदर्शन करने के बाद अपने कार्यकर्ताओं को शांत करने के बहाने तलाश रही है।’’