- 2012 के बाद से मारे गए 315 कर्मचारियों के एक भी परिजन को नहीं मिली स्थाई नियुक्ति
- स्थाई की जगह अस्थाई नियुक्ति करके चलाया जा रहा है काम
- मृतक कर्मचारियों के परिवार की सुधि लेने वाला कोई नहीं
हावड़ा ः बीते छह साल से हावड़ा नगर निगम (एचएमसी) में कोई निर्वाचित बोर्ड नहीं होने के कारण एक तरफ जहां आम लोगों को समस्याएं हो रही है, वहीं निगम में कार्यरत अस्थाई कर्मचारियों की परेशानी भी बढ़ती ही जा रही है। वर्तमान में हावड़ा नगर निगम में स्थाई (परमानेंट) से ज्यादा अस्थाई कर्मचारियों की संख्या है। जिन्हें न्यूनतम राशि का भुगतान करके काम करवाया जा रहा है। इनमें सबसे ज्यादा परेशानी अनुकंपा पर नौकरी पाने वाले 300 से ज्यादा अस्थायी कर्मचारियों की है। सेवा के दौरान किसी स्थाई कर्मचारी की मृत्यु होने पर उनके परिवार के किसी एक सदस्य को नौकरी देने की प्रथा देश के लगभग हर राज्य में सभी सरकारी विभागों में है। लेकिन हावड़ा नगर निगम इस मामले में उलटे रास्ते पर चल रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, साल 2013 से ही यहां अनुकंपा पर स्थाई नियुक्ति पूरी तरह से बंद है। यह प्रथा तब से जारी है, जब उसी साल हावड़ा निगम के चुनाव के बाद वहां पहली बार सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के बोर्ड गठन हुआ था। तभी से यहां स्थाई नियुक्ति बंद है।
नाम न छापने की शर्त पर कुछ अस्थाई कर्मचारियों ने बताया कि उससे पहले वाममोर्चा के बोर्ड में कर्मचारियों की मृत्यु मामले में 2012 तक यहां अनुकंपा पर स्थाई नियुक्ति दी गई थी। पर साल 2013 के बाद से अब तक अनुकंपा पर किसी को भी स्थाई नौकरी नहीं मिली है। इसकी जगह अस्थाई नियुक्ति देकर काम चलाया जा रहा है। मृतक कर्मचारियों के परिजनों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, साल 2012 के बाद से अब तक हावड़ा निगम के 315 कर्मचारियों की सेवा के दौरान मृत्यु हुई है। लेकिन, इनमें से एक के भी परिजन को स्थाई नौकरी नहीं मिली है। वर्तमान में यहां अनुकंपा पर काम करने वाले अस्थाई कर्मचारियों की संख्या लगभग 315 है। उन्हें महीने का महज आठ से 10 हजार रुपये वेतन ही दिया जा रहा है। इसके चलते ये आर्थिक तंगी की मार झेल रहे हैं। उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। इसी बीच कथित रूप से आर्थिक तंगी के चलते सही से इलाज नहीं करवा पाने के कारण निगम में अनुकंपा पर कार्यरत एक अस्थाई कर्मचारी राजेश पासवान का कुछ माह पहले निधन भी हो गया था। इससे उनके परिवार पर विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा। उनकी पत्नी और वृद्ध मां आर्थिक तंगी की मार झेल रही हैं।
अस्थाई कर्मचारियों के परिजनों का कहना है कि वर्तमान में वे लोग जो आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं उसके लिए हावड़ा निगम का वर्तमान प्रशासकीय प्रबंधन जिम्मेदार है।
क्या कहते हैं प्रशासनिक बोर्ड के चेयरमैन
इधर, इस संबंध में पूछे जाने पर राज्य सरकार द्वारा नियुक्त हावड़ा नगर निगम के प्रशासनिक बोर्ड के चेयरमैन डा सुजय चक्रवर्ती ने कहा- पहले किसी कर्मचारी की मृत्यु होने पर उनके आश्रित को सीधे निगम के माध्यम से ही स्थाई नौकरी दे दिया जाता था, लेकिन अभी यह नहीं दिया जा रहा है। अभी हमें फाइल नगरपालिका विभाग को भेजना पड़ता है। अनुकंपा पर नियुक्ति के ऐसे बहुत कैस हैं जिनकी फाइलें हम विभाग को पहले से भेज रखे हैं, लेकिन हमें अभी भी विभाग से इसका कोई उत्तर नहीं मिला है। नगर पालिका विभाग ऐसे मामलों को देख रहा है। वहां से कोई सूचना मिलने के बाद ही हम कुछ कर सकते हैं।