कोलकाता, 10 मार्च (भाषा) तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी ने रविवार को कहा कि राष्ट्रीय मंच पर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की साझेदार उनकी पार्टी पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव लड़ेगी और वह राज्य में न केवल भाजपा, बल्कि माकपा और कांग्रेस का भी मुकाबला करेगी।
बनर्जी ने कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में एक जनसभा को संबोधित करते हुए एक दिन पहले निर्वाचन आयुक्त के पद से इस्तीफा देने वाले अरुण गोयल की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दबाव के आगे ‘‘न झुकने’’ के लिए सराहना की। बनर्जी ने इस दौरान लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी उम्मीदवारों की घोषणा भी की।
मुख्यमंत्री बनर्जी ने कहा, ”मैं पश्चिम बंगाल में कभी भी ‘डिटेंशन कैंप’ खोलने और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) लागू नहीं करने दूंगी।” उन्होंने दावा किया कि भाजपा को हराने में टीएमसी पूरे देश का नेतृत्व करेगी।
उन्होंने ‘जन गर्जन सभा’ के दौरान कहा, ‘‘हम पश्चिम बंगाल में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ेंगे और कांग्रेस, भाजपा और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के खिलाफ लड़ेंगे। हम असम और मेघालय में भी चुनाव लड़ेंगे। हम उत्तर प्रदेश में एक लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने के लिए (समाजवादी पार्टी के) अखिलेश यादव से बातचीत कर रहे हैं।’’
जनवरी में, बनर्जी ने सीट-बंटवारे समझौते पर बातचीत करने के कांग्रेस नेतृत्व के प्रयासों को खारिज करते हुए घोषणा की थी कि उनकी पार्टी पश्चिम बंगाल में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ेगी।
पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने के तृणमूल कांग्रेस के फैसले ने तीन-तरफा चुनावी मुकाबले के लिए मंच तैयार कर दिया है, जिसमें टीएमसी और भाजपा मतदाताओं का समर्थन हासिल करने के लिए मुकाबला करने को तैयार है।
तीसरे दावेदार के रूप में कांग्रेस-वाम गठबंधन, टीएमसी और भाजपा, दोनों के वोट प्रभावित करने की क्षमता रखता है, खासकर अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों और कम अंतर वाले निर्वाचन क्षेत्रों में।
बनर्जी ने गोयल के अचानक इस्तीफे को चुनावों में हेरफेर करने की भाजपा की कोशिश का सबूत बताया। उन्होंने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनावों और सुरक्षा बलों की तैनाती के संबंध में दिल्ली के नेताओं (भाजपा के) और उसके शीर्ष नेताओं के दबाव के आगे न झुकने के लिए मैं अरुण गोयल को सलाम करती हूं। यह साबित हो गया है कि वे (भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार) चुनाव के नाम पर क्या करना चाहते हैं। वे वोट लूटना चाहते हैं।’’
निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल ने 2024 के लोकसभा चुनावों के कार्यक्रम की अपेक्षित घोषणा से कुछ दिन पहले शनिवार को इस्तीफा दे दिया। गोयल का कार्यकाल 5 दिसंबर, 2027 तक था और अगले साल फरवरी में मौजूदा मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार के सेवानिवृत्त होने के बाद वह सीईसी बन जाते।
टीएमसी प्रमुख बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में केंद्रीय धन की हेराफेरी के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आरोपों को लेकर उन पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘प्रधानमंत्री को बंगाल के खिलाफ निराधार आरोप लगाने से पहले अधिकारियों के साथ तथ्यों की जांच करनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने कोष से मकानों का निर्माण कराया है। वह केवल बंगाल में परियोजनाओं का उद्घाटन कर रहे हैं, लेकिन राज्य के लिए धन जारी नहीं कर रहे हैं। यही उनकी गारंटी है। उन्होंने सभी झूठे वादे किये हैं।’’
धनराशि रोकने को लेकर केंद्र की आलोचना करते हुए बनर्जी ने मनरेगा योजना के तहत मजदूरी देने में देरी का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल के 59 लाख जॉब कार्ड धारकों को दो साल तक काम करने के बाद उनकी मनरेगा मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया। यह टीएमसी सरकार है, जिसने राज्य के खजाने से मजदूरी का भुगतान किया।’’
भाजपा के ‘मोदी की गारंटी’ अभियान का मखौल उड़ाते हुए, बनर्जी ने इसकी प्रभावशीलता पर सवाल उठाया, खासकर घरेलू गैस सिलेंडर की कीमतों में उतार-चढ़ाव के संबंध में।
उन्होंने मखौल उड़ाते हुए कहा, ‘‘वे क्या गारंटी दे रहे हैं? आपकी गारंटी का कोई मूल्य नहीं है, जिसके कारण घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत में वृद्धि हुई। चुनाव से पहले, वे कीमतें 100 रुपये कम करते हैं और फिर चुनाव के बाद 1000 रुपये बढ़ा देते हैं।’’
बनर्जी का इशारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर घरेलू गैस सिलेंडर की कीमतों में 100 रुपये की कटौती के केंद्र के फैसले की ओर था।
बनर्जी ने कहा, ‘‘उन्होंने रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि के माध्यम से 70,000 करोड़ रुपये कमाए हैं। क्या उन्होंने गरीबों के बारे में नहीं सोचा? तब गारंटी कहां थी? मनरेगा एक वैधानिक गारंटी है, लेकिन उन्होंने इसे भी अस्वीकार कर दिया है।’’
तृणमूल कांग्रेस ने रविवार को कोलकाता के प्रसिद्ध ब्रिगेड परेड मैदान में एक भव्य रैली के साथ अपने लोकसभा चुनाव अभियान की शुरुआत की।
टीएमसी ने पश्चिम बंगाल की सभी 42 लोकसभा सीट के लिए अपने उम्मीदवारों की सूची जारी की, जिसमें सात मौजूदा सांसदों को हटाकर और पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान सहित कई नए चेहरों को शामिल करके एक बड़ा बदलाव किया गया है।
पुराने नेताओं और अगली पीढ़ी के नेताओं के बीच कथित खींचतान के बीच, तृणमूल कांग्रेस ने अनुभवी नेताओं और नयी प्रतिभा का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण बनाए रखा।