नयी दिल्ली : निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड के मुजरिमों में से एक विनय कुमार शर्मा ने फांसी के फंदे से बचने के अंतिम प्रयास में बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय में सुधारात्मक याचिका दायर की। शीर्ष अदालत के फैसले पर पुनर्विचार याचिका खारिज हो जाने के बाद दोषी के पास यही अंतिम कानूनी विकल्प बचा है। इस सुधारात्मक याचिका में विनय ने अपनी युवावस्था का हवाला देते हुये कहा है कि न्यायालय ने इस पहलू को त्रुटिवश अस्वीकार कर दिया है।याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता की सामाजिक-आर्थिक परिस्थितयों, उसके बीमार माता-पिता सहित परिवार के आश्रितों और जेल में उसके अच्छे आचरण तथा उसमें सुधार की संभावना के बिन्दुओं पर पर्याप्त विचार नहीं किया गया है और जिसकी वजह से उसके साथ न्याय नहीं हुआ है। याचिका में कहा गया है कि उसे तथा अन्य को सजा देने के बारे में न्यायालय ने अपने फैसले में ‘समाज के सामूहिक अंत:करण’ और ‘जनता की राय’ को आधार बनाया है। याचिका में इस फैसले को कानून की नजर में गलत बताते हुये कहा गया है कि शीर्ष अदालत ने अपने बाद के फैसलों में निश्चित ही कानून में बदलाव करके उसके जैसी स्थिति के अनेक दोषियों की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील किया है। याचिका में यह भी कहा गया है कि इस मामले में शीर्ष अदालत के 2017 के फैसले के बाद इसके तीन न्यायाधीशाों की पीठ ने बलात्कार और हत्या से संबंधित कम से कम 17 मामलों में दोषियों की मौत की सजा उम्र कैद में तब्दील की है। दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को ही इस मामले के चारों दोषियों मुकेश, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह को 22 जनवरी की सुबह सात बजे तिहाड़ जेल में मौत होने तक फांसी के फंदे पर लटकाने के लिये आवश्यक वारंट जारी किये थे। दक्षिण दिल्ली में 16 दिसंबर, 2012 की रात चलती बस में छह व्यक्तियों ने निर्भया के साथ सामूहिक बलात्कार के बाद उसे बुरी तरह जख्मी करके मरने के लिये बाहर फेंक दिया था। निर्भया की बाद में 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के अस्पताल में मृत्यु हो गयी थी।
निर्भया मामला: फांसी से बचने के लिये विनय कुमार शर्मा ने न्यायालय में दायर की सुधारात्मक याचिका
