मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 4 प्रतिशत पर बरकरार रखा। हालांकि आरबीआई ने मौद्रिक नीति के मामले में नरम रुख बनाये रखा और कहा कि जरूरत पड़ने पर आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने के लिये वह उपयुक्त कदम उठाएगा।केंद्रीय बैंक ने कहा कि मौजूदा और उभरती वृहद आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की शुक्रवार को हुई बैठक में सभी सदस्यों ने आम सहमति से नकदी समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत रेपो दर को 4 प्रतिशत पर बरकरार रखने का निर्णय किया।
इसके साथ रिवर्स रेपो 3.35 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) तथा बैंक दर 4.25 प्रतिशत पर बरकरार रहेगी।रेपो दर वह ब्याज है, जिस पर बैंक रिजर्व बैंक से नकदी की फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये कर्ज लेते हैं, जबकि रिवर्स रेपो बैंक द्वारा आरबीआई को दिये जाने वाले कर्ज या उसके पास रखने वाली राशि पर मिलने वाला ब्याज है।रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समीक्षा की जानकारी देते हुए यह भी कहा कि आरबीआई आर्थिक वृद्धि को पटरी पर लाने के लिये उदार रुख को बनाये रखेगा।उदार रुख से कोविड-19 से प्रभावित अर्थव्यववस्था को गति देने के लिये जरूरत पड़ने पर नीतिगत दरों में कटौती की जा सकती है।