लॉक डाउन से लेकर अनलॉक 1 फेज में जान हथेली पर रखकर काम कर रहें है बैंक कर्मचारी
हम ना करें काम, तो रुक जाएगी अर्थव्यवस्था : ब्रांच मैनेजर
बबीता माली
कोलकाता, समाज्ञा : कोरोना वायरस के बीच भी हमारे कोरोना वॉरियर्स लगातार जान की बाज़ी लगाकर काम कर रहे हैं। कोरोना वॉरियर्स के तौर पर सिर्फ लोग डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मी, पुलिस और यहां तक कि केएमसी के ग्रुप डी स्टाफ को देखते है क्योंकि ये लोगों की सेवा में दिन – रात जुटे हुए हैं लेकिन इन सब में एक वर्ग ऐसा भी है जिसका काम किसी कोरोना वॉरियर्स से कम नहीं हैं, वे है बैंक कर्मचारी। जी, हां, इन बैंक कर्मचारी के बारे में किसी को कुछ लेना – देना ही नहीं है। मगर ये बैंक कर्मचारी अगर सेवा देना बंद कर दे तो लेनदेन का चक्का ही रुक जाएगा। लोगों की सेवा को प्राथमिकता देते हुए ये बैंक कर्मचारी लगातार अपनी सेवा प्रदान कर रहे हैं। बैंक कर्मचारियों को सिर्फ एक ही मलाल है कि कम से कम लोगों में हमारे लिए थोड़ा सम्मान और गर्व हो जो वे अन्य कोराेना वॉरियर्स के लिए करते हैं। इस मामले में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई), रवीन्द्र सरणी ब्रांच के ब्रांच मैनेजर अचिंत्य बंद्योपाध्याय का कहना है कि बहुत दुःख होता है यह देखकर कि लोगों में हमारे प्रति कोई श्रद्धा भाव और सम्मान नहीं हैं। ५९ के उम्र में इस पूरे लॉक डाउन से लेकर अब अनलॉक १ में ग्राहकों की सेवा के लिए निरंतर काम कर रहा हूं। एक साल बाद रिटायर्ड हो जाऊंगा। लोग डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मी, पुलिस की श्रद्धा कर रहे हैं, जो करना भी चाहिए लेकिन इनके साथ बैंक कर्मचारी भी जान की बाज़ी लगाकर बैंक पहुंच रहे हैं और लोगों को सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। उनके प्रति भी थोड़ा सम्मान रखना चाहिए। बैंक कर्मचारियों का भी नाम लोगों की जुबान पर आना चाहिए मगर विडंबना है कि किसी को भी हमसे कोई मतलब नहीं है।
बैंक से नहीं मिल रही है कोई परिवहन व्यवस्था, शटल और अन्य साधनों से पहुंच रहे हैं बैंक
बैंक मैनेजर ने बताया कि इस ब्रांच में ८ कर्मचारी है, जो बारी – बारी से बैंक आ रहे हैं। इस दौरान भी वे बैंक रोजाना आ रहे हैं। बैंक पहुंचने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। बैंक की तरफ से कोई परिवहन की व्यवस्था नहीं की गई है। रोजाना उत्तरपाड़ा से शटल और अन्य साधनों का इस्तेमाल कर करीब २ घंटे तक यात्रा कर बैंक पहुंच रहे हैं। जाने के दौरान भी यही अवस्था है। ऐसा ही हाल बैंक के अन्य कर्मियों का भी है।
रोजाना ही 60-70 लोगों से होना पड़ रहा है रूबरू, सुरक्षा के लिए सिर्फ मास्क, ग्लव्स और सैनिटाइजर
उन्होंने बताया कि हमारा ब्रांच कंटेनमैंट जोन के अन्तर्गत हैं। यहां आसपास ही कई कोरोना के मरीज़ है बावजूद इसके हम बैंक में आकर अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। रोजाना बैंक में 60-70 लोग आते हैं। इनमें किसी के शरीर में क्या है यह हम नहीं जान सकते हैं। इनके साथ काम कर रहे हैं। हम काम बंद नहीं कर सकते वरना लोगों का कामकाज ही ठप्प हो जाएगा। उन्होंने बताया कि यहां बैंक कर्मचारी मास्क, फेस शील्ड और ग्लव्स पहनकर काम कर रहे हैं। सैनिटाइजर का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं बैंक में आने वाले ग्राहकों को भी सीमित संख्या में एक बार में प्रवेश की अनुमति है और भीतर आने से पहले दरवाजे पर ही सैनिटाइजर दिया जा रहा है। वहीं थर्मल स्कैनर अभी भी बैंक की तरफ से नहीं मुहैया करवाया गया है। उनका कहना है कि भगवान भरोसे ही काम कर रहे हैं।