मुश्किल से घर-खर्च चला रहे हैं मूर्ति के लिए सजावट बनाने वाले कलाकार
कोलकाता, समाज्ञा : दुर्गापूजा में 2 महीने से भी कम का समय रह गया है। आम तौर पर इस समय केवल महानगर ही नहीं राज्य के लगभग हर कोने में दुर्गापूजा की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो जाती हैं। मूर्ति बनाना, पंडाल तैयार करना, पंडाल सजाना और मूर्ति की साज-सज्जा बनाने वाले कलाकार। दुर्गा मां, उनके चारों बच्चों, उनके वाहनों और महिषासुर की मूर्ति की साज-सज्जा में राज्य के सभी कोनों में लाखों कलाकार दिन-रात काम करते हैं। लेकिन इस साल मूर्ति तैयार करने के लिए किसी ने अग्रीम पेशगी नहीं दी है। इस वजह से मूर्ति की साज-सज्जा करने वाले कलाकार भी परेशान हो गये हैं। उत्तर कोलकाता के कुम्हार टोली में करीब 20-25 ऐसे दुकान हैं जहां नकद मूल्य पर दुर्गा मूर्ति के लिए विभिन्न प्रकार के सजावट के सामान बिक्री होते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, त्रिपुरा के व्यवसायी यहां से दुर्गा की मूर्ति को सजाने का सामान, गले की माला, मुकुट व अन्य गहने खरीद कर ले जाते हैं। किन्तु कोरोना और लॉकडाउन के कारण दुर्गा की मूर्ति को सजाने के सामानों की बिक्रि के बारे में कोई सोच भी नहीं पा रहा है। कुम्हारटोली मृतशिल्पी सांस्कृतिक समिति के संयुक्त सचिव रणजीत सरकार का कहना है कि हम तो पूरे साल दुर्गापूजा का ही इंतजार करते हैं। लेकिन इस बार तो मूर्ति को सजाने के लिए अग्रीम पेशगी ही नहीं आयी है। जो लोग सजावट का सामान तैयार करते हैं, वे भी पेशगी ना मिलने के कारण काफी समस्या में हैं। कुम्हारटोली से सजावट का सामान खरीदने बिहार के छपरा जिले के साहेबगंज से, पूर्वी चम्पारण से लोग सड़कपथ से कोलकाता आकर मूर्ति सजाने का सामान खरीद कर ले जाते हैं। इस बारे में छपरा निवासी विजय कुमार का कहना है कि कोरोना के कारण इस साल छपरा में दशहरा का आयोजन ना करके प्रतिकात्मक रूप से ही त्योहार मनाया जाएगा। इसलिए इस बार कोलकाता में मूर्ति को सजाने का सामान खरीदने नहीं गया। वहीं दूसरी तरफ मूर्ति को सजाने के सामान की पेशगी नहीं मिलने के कारण सजावट का सामान बनाने वाले कलाकार भी परेशान बैठे हैं। दक्षिण 24 परगना जिले के ऐसे ही एक कलाकार आजिबर रहमान का कहना है कि हम दुर्गा मूर्ति और अन्य मूर्तियों के सिर के बाल तैयार करते हैं। आम तौर पर इस समय मूर्ति के लिए बाल तैयार करने से फुर्सत ही नहीं मिलती थी। वहीं कोरोना के कारण अन्य वर्षों की तुलना में इस साल 20% भी पेशगी नहीं मिली है। उनका कहना है कि सिर्फ दुर्गापूजा ही नहीं पूरे साल ही होने वाले विभिन्न भगवानों की मूर्तियों के लिए सिर का बाल बनाने का काम हम करते हैं। लेकिन कोरोना के कारण जैसी परिस्थिति उत्पन्न हो गयी है, जल्द ही हमें किसी अन्य पेशे में जाने की जरूरत पड़ जाएगी। दमदम निवासी कौशिक धर का कहना है कि वे मूर्ति के सिर की सजावट के लिए सामान तैयार करते हैं। उन्होंने बताया कि जरी और गोटा-पट्टी से देवी के सिर की सजावट का सामान बनाकर ही हमारे रोजमर्रा का खर्च निकलता है। लेकिन इस बार कुम्हारटोली की दुकानों से केवल 15 प्रतिशत सजावट का सामानों का ऑर्डर ही मिला है। बड़ी मुश्किल से घर का खर्च चल रहा है। वहीं मूर्ति के लिए गहने तैयार करने वाले दक्षिण 24 परगना के शंभुनाथ मंडल का कहना है कि कोरोना के कारण हमारे व्यापार को काफी नुकसान पहुंचा है। मुख्यमंत्री के पास निवेदन है कि इस परिस्थिति में सरकार हमारी मदद करें।